‘शर्मा स्लिंग- राउंड लिगामेंट पुली फिक्सेशन‘ तकनीक को मिली अंतरराष्ट्रीय मान्यता’’

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Published on : 02 Aug, 25 12:08

’गर्भाशय प्रोलैप्स की नई सर्जरी तकनीक ने रचा इतिहास, डॉ.राजरानी शर्मा को मिला सम्मान’

‘शर्मा स्लिंग- राउंड लिगामेंट पुली फिक्सेशन‘ तकनीक को मिली अंतरराष्ट्रीय मान्यता’’

उदयपुर। महिलाओं में गर्भाशय के लटकने (Uterine Prolapse) की समस्या के समाधान हेतु पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ.राजरानी शर्मा द्वारा विकसित की गई अभिनव शल्य चिकित्सा विधि ’शर्मा स्लिंग-राउंड लिगामेंट पुली फिक्सेशन’ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हो गई है। यह तकनीक हाल ही में एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा जर्नल में प्रकाशित हुई है, जो इसकी वैज्ञानिक मान्यता और उपयोगिता को दर्शाता है।
इस उपलब्धि के पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में आयोजित सम्मान समारोह में डॉ.राजरानी शर्मा को मुख्य अतिथि यूनेस्को एम.जी.आई.ई.पी एशिया पेसिफिक के अध्यक्ष डॉ.बी.पी.शर्मा,इंडियन मेडिकल एसोसिएशन,उदयपुर के अध्यक्ष डॉ.आनंद गुप्ता,विशिष्ट अतिथि डॉ.एस.के.कौशिक, पेसिफिक मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट डॉ.एम.एम.मंगल एवं डॉ.आर.के.सिंह द्वारा सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर पीएमसीएच के चेयरमेन राहुल अग्रवाल ने डॉ.शर्मा को बधाई देते हुए कहा कि यह तकनीक न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की साख बढ़ा रही है, बल्कि महिलाओं के लिए एक सुरक्षित, सरल और प्रभावी इलाज का विकल्प भी बन रही है।
सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि डॉ.बी.पी.शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. राजरानी शर्मा द्वारा विकसित यह तकनीक महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति एक वैज्ञानिक सोच और सामाजिक संवेदना का उत्कृष्ट उदाहरण है।
इस दौरान आईएमए उदयपुर के अध्यक्ष डॉ.आनंद गुप्ता ने भी डॉ.शर्मा की सराहना करते हुए कहा कि हमारे शहर की यह उपलब्धि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। इससे मेडिकल छात्रों और युवा डॉक्टरों को नवाचार की प्रेरणा मिलेगी।
सम्मान समारोह के इस अवसर पर डॉ.राजरानी शर्मा ने बताया कि यह तकनीक पारंपरिक सर्जरी की तुलना में कहीं अधिक आसान, सुरक्षित, प्रभावी, कम रक्तस्राव वाली, कम समय लेने वाली तथा जटिलताओं से रहित है। इसका सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इस प्रक्रिया में गर्भाशय को निकाले बिना ही उसका उपचार संभव होता है, जिससे महिला की प्रजनन क्षमता सुरक्षित रहती है। इस तकनीक की एक और विशेषता यह है कि इसके बाद सामान्य प्रसव संभव है, जबकि पूर्ववर्ती तकनीकों में ऑपरेशन के बाद केवल सीज़ेरियन डिलीवरी ही करनी पड़ती थी।
डॉ.शर्मा की इस विशेष शल्य कौशल को भारत सरकार द्वारा ‘इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट (IPR) के तहत पेटेंट व कॉपीराइट प्रदान किया गया है, जो इस तकनीक की विशिष्टता और मौलिकता को दर्शाता है।
यह अभिनव तकनीक न केवल महिलाओं की सेहत के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है, बल्कि भारत को वैश्विक मंच पर शल्य चिकित्सा नवाचार में एक नई पहचान भी दिला रही है।
डॉ.शर्मा ने बताया कि इस तकनीक के माध्यम से अब तक कई जटिल मामलों में सफलता पूर्वक सर्जरी की जा चुकी है और रोगियों को अत्यंत सकारात्मक परिणाम मिले हैं। यह उपलब्धि चिकित्सा जगत के लिए एक प्रेरणास्पद उदाहरण है।


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