विजय जोशी को प्रेमचंद साहित्य सम्मान

( 793 बार पढ़ी गयी)
Published on : 01 Aug, 25 06:08

प्रेमचन्द एक विचार है जो  सामाजिक चेतना के पथ को दिग्दर्शित करते हैं

विजय जोशी को प्रेमचंद साहित्य सम्मान

कोटा / प्रेमचन्द कथा सम्राट ही नहीं वरन् एक ऐसे विचारक थे जिन्होंने सामाजिक दर्शन से तत्कालीन परिवेश को विवेचित किया। इसीलिए प्रेमचन्द एक विचार है जो हर समय सामाजिक चेतना के पथ को दिग्दर्शित करता है। यह विचार कथाकार विजय जोशी ने मुंशी प्रेमचंद जयंती पर उनके सम्मान के अवसर पर अपने उद्बोधन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वे धनपत राय - नवाब राय और प्रेमचन्द की त्रिआयामी एवं त्रिकोणात्मक यात्रा के ऐसे प्रतिनिधि थे जिनके लेखन की प्रतिध्वनि पिरामिडीय शिखर पर दिशाबोध का ध्वज लहराती है । उनके विचार निरन्तर परिवर्तित होते सामाजिक मूल्यों के प्रभाव से उत्पन्न स्थितियों पर आज भी जागरूक रहकर मानवीय सन्दर्भों को समृद्ध करने को प्रेरित करती है।
    वैश्विक समरस संस्थान साहित्य सृजन भारत , गांधीनगर द्वारा रंगबाड़ी विधायकपुरी में रविवार को आयोजित मुंशी प्रेमचंद पर चर्चा और काव्य संगोष्ठी के अवसर पर कोटा के कथाकार विजय जोशी को  उनके साहित्य में अनुपम योगदान के लिए " राष्ट्रीय मुंशीप्रेमचंद साहित्य सम्मान" से सम्मानित किया गया। संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ . शशि जैन, राष्ट्रीय संरक्षक जितेंद्र निर्मोही, मुख्य कार्य कारी अध्यक्ष डॉ. प्रभात कुमार सिंघल , कोटा जिला इकाई अध्यक्ष राजेंद्र कुमार जैन ने विजय जोशी को माल्यार्पण, शॉल, और पगड़ी पहना कर श्रीफल और सम्मान पत्र अर्पित किया गया। 
  मुख्य अतिथि जितेंद्र निर्मोही ने जोशी की साहित्यिक उपलब्धियों के साथ प्रेमचंद के साहित्य पर विवार व्यक्त करते हुए  देश में आज भी कई हालत वैसे ही हैं जैसे उनके समय में थे इसलिए उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं।  अध्यक्षता करते हुए डॉ. वैदेही ने प्रेमचंद के साहित्य को यथार्थवादी और आदर्शोन्मुख बताते हुए वर्तमान संदर्भों में व्याख्या की। इस अवसर पर साहित्यकार श्यामा शर्मा, विजय शर्मा आदि मौजूद रहे।


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.