राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य नवाचार, रिसर्च व तकनीकी पर बल देकर कुशल युवा तैयार करना है। साथ ही रोजगारपरक शिक्षा व्यवस्था का निर्माण कर आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करते हुए राष्ट्र सर्वोपरि का भाव रखने वाले युवा तैयार करना है। यह विचार ए पी सी महाविद्यालय प्रतापगढ़ में गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव प्रोफेसर राजेश जोशी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने के 5 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में एबीआरएसएम के तत्त्वावधान में आयोजित "नीति से परिवर्तन की ओर" विषय पर आयोजित व्याख्यान सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि शिक्षा नीति में अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय पर बल दिया गया है।
'सर्वे भवन्तु सुखिनः' और 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की अवधारणा पर आधारित इस शिक्षा नीति में राष्ट्रीय एकता पर बल दिया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का कुशल क्रियान्वयन भारत को 2047 तक विकसित भारत बनाने की संकल्पना को साकार करेगा। इसमें भारत की शिक्षा प्रणाली को व्यापक, बहुविषयक और छात्र केंद्रित शिक्षा प्रणाली में बदलने पर बल दिया गया है। शिक्षा को सर्वसुलभ, न्यायसंगत और गुणवत्तापूर्ण बनाने का लक्ष्य रखा गया है ताकि हर सामाजिक व आर्थिक पृष्ठभूमि के विद्यार्थी समान अवसर प्राप्त कर पा सकें। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति के ये प्रावधान भारत को वैश्विक चुनोतियों से निपटने में सक्षम बनाते है। इसी क्रम में प्रोफेसर जोशी ने बताया कि आने वाले समय में सभी विश्वविद्यालयो में समान क्रेडिट सिस्टम लागू होगा, जिससे विद्यार्थी आवश्यक होने पर एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में अध्ययन हेतु प्रवेश ले सकेंगे। इस अवसर पर उन्होंने गूगल फॉर्म के माध्यम से छात्रों व शिक्षकों से नई शिक्षा नीति पर विचार भी रखने का आग्रह किया।
व्याख्यान की अगली कड़ी में राजकीय महाविद्यालय बांसवाड़ा के सहायक आचार्य जितेंद्र कुमार कलाल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में बताया कि नई शिक्षा नीति को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों की मांग के अनुरूप तैयार किया गया है ताकि भारतवर्ष आने वाले समय में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने। कुशल युवाओं की मदद से उत्पादन में सिरमौर बनकर दुनिया का शीर्ष निर्यातक राष्ट्र बने और दुनिया भारत को विश्वगुरु के रूप में पुन: देख सके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता ए पी सी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गिल ने की। डॉ. गिल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विषय प्रतिपादन के क्रम में कहा कि नई शिक्षा नीति नए भारत के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रही है, आज भारत वैश्विक चुनौतियों का निडरता से सामना कर रहा है। आने वाले दौर में इस शिक्षा नीति के कई सुखद परिणाम देखने की मिलेंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य नवाचार, रिसर्च व तकनीकी पर बल देकर कुशल युवा तैयार करना है। साथ ही रोजगारपरक शिक्षा व्यवस्था का निर्माण कर आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करते हुए राष्ट्र सर्वोपरि का भाव रखने वाले युवा तैयार करना है। यह विचार ए पी सी महाविद्यालय प्रतापगढ़ में गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव प्रोफेसर राजेश जोशी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने के 5 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में एबीआरएसएम के तत्त्वावधान में आयोजित "नीति से परिवर्तन की ओर" विषय पर आयोजित व्याख्यान सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि शिक्षा नीति में अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय पर बल दिया गया है। 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' और 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की अवधारणा पर आधारित इस शिक्षा नीति में राष्ट्रीय एकता पर बल दिया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का कुशल क्रियान्वयन भारत को 2047 तक विकसित भारत बनाने की संकल्पना को साकार करेगा। इसमें भारत की शिक्षा प्रणाली को व्यापक, बहुविषयक और छात्र केंद्रित शिक्षा प्रणाली में बदलने पर बल दिया गया है। शिक्षा को सर्वसुलभ, न्यायसंगत और गुणवत्तापूर्ण बनाने का लक्ष्य रखा गया है ताकि हर सामाजिक व आर्थिक पृष्ठभूमि के विद्यार्थी समान अवसर प्राप्त कर पा सकें। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति के ये प्रावधान भारत को वैश्विक चुनोतियों से निपटने में सक्षम बनाते है। इसी क्रम में प्रोफेसर जोशी ने बताया कि आने वाले समय में सभी विश्वविद्यालयो में समान क्रेडिट सिस्टम लागू होगा, जिससे विद्यार्थी आवश्यक होने पर एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में अध्ययन हेतु प्रवेश ले सकेंगे। इस अवसर पर उन्होंने गूगल फॉर्म के माध्यम से छात्रों व शिक्षकों से नई शिक्षा नीति पर विचार भी रखने का आग्रह किया।
व्याख्यान की अगली कड़ी में राजकीय महाविद्यालय बांसवाड़ा के सहायक आचार्य जितेंद्र कुमार कलाल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में बताया कि नई शिक्षा नीति को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों की मांग के अनुरूप तैयार किया गया है ताकि भारतवर्ष आने वाले समय में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने। कुशल युवाओं की मदद से उत्पादन में सिरमौर बनकर दुनिया का शीर्ष निर्यातक राष्ट्र बने और दुनिया भारत को विश्वगुरु के रूप में पुन: देख सके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता ए पी सी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गिल ने की। डॉ. गिल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विषय प्रतिपादन के क्रम में कहा कि नई शिक्षा नीति नए भारत के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रही है, आज भारत वैश्विक चुनौतियों का निडरता से सामना कर रहा है। आने वाले दौर में इस शिक्षा नीति के कई सुखद परिणाम देखने की मिलेंगे।