~क्या प्रधानाध्यापक इंजीनियर है?
~प्रधानाध्यापक के पास क्या तरीका है जिससे पता लगाए कि भवन सुरक्षित है या नहीं
*~होना तो ये चाहिए कि PWD के इंजीनियर लगाए जाएं और हर विद्यालय का सर्वे हो तो वास्तविक स्थिति का पता लगे कि कितने मासूमों के सर पर मौत मंडरा रही है।*
सच तो ये है कि राज्य की अधिकतर सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग सुरक्षित नहीं हैं ,कभी भी हादसा हो सकता है ,पर फिक्र किसको है ? क्योंकि मरना तो गरीब को है ?
क्यों ना सवाल पूछे जाएं
~विभिन्न देशों में शिक्षा खर्च बजट का दसवां हिस्सा या इससे ज्यादा होता है और हमारे यहां लगातार घट रहा है।
~सीडीपीपी की रिपोर्ट के अनुसार, स्कूल शिक्षा विभाग के लिए बजट का प्रतिशत 2014-15 में 3.07% था, जो 2024-25 में 1.53% तक कम हो गया, जो 50% की कमी दर्शाता है।
उच्च शिक्षा विभाग के लिए, यह 1.6% से 1% तक कम हुआ। यदि इन दोनों को जोड़ा जाए, तो 2014-15 में कुल 4.67% था, जो 2024-25 में 2.53% हो गया..
~राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने जीडीपी का 6% शिक्षा पर खर्च करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन वास्तविकता में, यह प्रतिशत कितना रहा है??
मंथन जरूर करें
किसी अखबार में या किसी न्यूज चैनल हेडलाइन में अपने देखा है क्या कभी कि "स्कूलों के जीर्णोद्धार पर खर्च होंगे इतने करोड़" या फिर इतने करोड़ से इतनी नई सरकारी विद्यालयों की बिल्डिंग बनेंगी..
*नहीं ना*?
*क्योंकि ये सब हमारी सरकारों को प्राथमिकताओं में ही नहीं है*
बड़े अफसरों, नेताओं और पूंजीपतियों के गठजोड़ से देश को लूटने की इजाजत दी जा रही है और गरीब के बच्चे को रहने, सोने और पढ़ने के लिए सुरक्षित छत से ही महरूम किया जा रहा है..
*और जब हादसा हो जाता है, गरीब मासूमों की जान चली जाती है तो सरकारी कारिंदे को बलि का बकरा बना दिया जाता है और हो जाता है न्याय*
और कुछ दिनों बाद हादसे भुला दिए जाते हैं और बड़े ठेकेदार, नेता ,पूंजीपति इन सब के लिए फिर तैयार किया जाता है लूट का मैटेरियल और मासूमों की जान से खिलवाड़ की तैयारी फिर शुरू हो जाती है...
अब तो जागो सरकार-----?