जो वाणी पर संयम नही रखता वो रिश्तें बचाने में भी सफल नही हो पाताःविरलप्रभाश्री

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Published on : 24 Jul, 25 15:07

जो वाणी पर संयम नही रखता वो रिश्तें बचाने में भी सफल नही हो पाताःविरलप्रभाश्री

उदयपुर। सूरजपोल स्थित दादाबाड़ी में साध्वी विरल प्रभा श्रीजी ने कहा कि जब जीव को कोई स्वीकार करता हैं तो से सबसे पहले बताते हैं कि कैसे बोलना है? वचन पर संयम रखकर बोलना है। जो वाणी पर संयम नही रखता वो रिश्तें बचाने में भी सफल नही हो पाता। ऐसे व्यक्तियों के आसपास देखना कि सभी उससे दूर रहेंगे। संयम की साधना करें। मीठी वाणी बोलें। लोग अपनी ओर आकर्षित हैं। भाषा में क्रोध रखेंगे तो बच्चे भी पास नही आएंगे। कोयल आकृष्ट करती है वहीं कौए से सब दूर रहते हैं। चाय में शक्कर न हो चलेगा लेकिन वाणी मे शक्कर नही हुई तो परेशानी हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि डॉक्टर यदि कड़वा बोले तो मरीज की बीमारी और बढ़ जाएगी। आधी बीमारी तो डॉक्टर के मधुर बोलने से ही चली जाती है। डायबिटीज वालों को तो और मधुर बोलना चाहिए ताकि उसकी सारी सुगर बाहर आ जायेगी। पहले के युग में इतनी बीमारियां होती भी नहीं थी। खानपान अच्छा नही रहा। लाइफ स्टाइल बदल गई। बदल क्या गई, बिगाड़ दी। आज भी देखें तो पुराने लोग चार सीढियां उतर जाएंगे, चढ़ जाएंगे और आज के युवाओं को देखो। एक बार चढ़ गए तो चढ़ गए या उतर गए तो उतर गए। बार बार ऊपर नीचे नहीं आ जा सकते।
साध्वी विपुल प्रभा श्रीजी ने कहा कि परमात्मा की जिनवाणी का एकमात्र लक्ष्य सभी जीव सुखी रहें और उस परम तत्व की प्राप्ति कराना रहा। परमात्मा और हम सभी एक जैसे ही थे लेकिन परमात्मा उस परम तत्व को प्राप्त कर वहां पहुंच गए और हम वहीं के वहीं रह गए। अभी तक धर्म के मर्म को नही समझे हैं। साध्वी कृतार्थ प्रभा श्रीजी ने गीत प्रस्तुत किया।


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