पर्यटन को बढ़ावा देने वाली, रिसर्च स्कॉलर के लिए बहुउपयोगी पुस्तक

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Published on : 24 Jul, 25 05:07

पर्यटन को बढ़ावा देने वाली, रिसर्च स्कॉलर के लिए बहुउपयोगी पुस्तक

कोई भी लेखनी, लेखन का विवरण यूँ ही कोई पुस्तक नहीं बन जआती है, उसमे लेखक का समर्पण, चयन, पाठकों की ज़रूरत शामिल होती है, तब कहीं विख्यात लेखक डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल की बहू उपयोगी ग्रन्थ के रूप में पुस्तक तय्यार हो पाती है,  भारत ( उत्तर भारत ) पुस्तक में लेखक। डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने   उत्तर भारत के राज्यों जम्मू कश्मीर , लद्दाख , हिमाचल प्रदेश , पंजाब , हरियाणा, चंडीगढ़ , उत्तराखण्ड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली के पर्यटन स्थलों, का विवरण कला - संस्कृति पर तथ्यपरक और रोचक जानकारी पर केंद्रित किया है। डॉक्टर  सिंघल ने , जहाँ प्यार और गंगा जमुनी तहजीब है वहीं धरती का स्वर्ग कश्मीर है  लिखा है , तो देश की राजधानी दिल्ली देश की धड़कनों में धड़कता दिल है। डॉक्टर सिंघल लिखते हैं कि देश की सीमाओं का सुदृढ़ प्रहरी बन कर खड़ा हिमालय ऋषियों , मुनियों की तपो भूमि है।  यहीं से गंगोत्री की धाराएं निकल देश को  धार्मिक आस्थाओं के साथ-साथ  खूबसूरत एवं खुशहाल बना रही हैं । डॉक्टर सिंघल लिखते हैं,  एशिया के खूबसूरत शहरों में से एक शहर चंडीगढ़  है जो पंजाब और हरियाणा दो अलग-अलग राज्यों की संयुक्त राजधानी है । यहां हिन्दू , मुस्लिम ,सिक्ख , ईसाई , बौद्ध  और जैन संस्कृति के ऐतिहासिक अनूठे कौमी एकता और आस्था के भव्य स्थल मौजूद है।
     डॉक्टर सिंघल द्वारा, उत्तर भारत की कला-संस्कृति और पर्यटन पर आधारित 224 पृष्ठ की इस पुस्तक में हर राज्य के संक्षिप्त इतिहास, भूगोल, वन्यजीव, अर्थव्यवस्था, खनिज, कृषि, हस्तशिल्प, सांस्कृतिक उत्सवों और परिवहन साधनों की जानकारी भी पाठको को दी गई है। प्रत्येक राज्य के शुरू में राज्य की विशेषताओं के आधार पर एक पृष्ठ का रेखा चित्र सुंदरता में वृद्धि करता है। प्रारंभ में एक अध्याय भारत परिचय के रूप में दे कर  भारत के इतिहास और आजादी के बाद वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के सभी प्रधानमंत्रियों के समय में हुई प्रमुख घटनाओं और विकास को भी पाठको तक पहुंचाने का प्रयास किया है। पुस्तक को उत्तर भारत के संदर्भ में भारत की दृष्टि से संपूर्ण पुस्तक बनाने का प्रयास किया गया है। 
   डॉक्टर प्रभात सिंघल की इस सारगर्भित पुस्तक जानकारी में लेखक रहस्योद्घाटन करते हैं कि कवि कालिदास हिमालय पर्वत को  पर्वत राज की संज्ञा से विभूषित करते हैं। शिवालिक पर्वत श्रंखलाएं हैं और  विश्व का दूसरा सबसे बढ़ा हिमनद सियाचिन हिमनद है। जय माता दी के जयकारों के साथ माता वैष्णव देवी के दर्शन को आने वाले यात्रियों की धार्मिक भाव-भूमि के साथ आध्यात्मिक, तपस्वी-की भूमि को अप्रतिम प्राकृतिक सौंदर्य से जम्मू-कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है। इसको प्रकृति ने अपनी खूबसूरती से सँवारने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पर्वत श्रृंखलाओं की सौंन्दर्यपूर्ण अप्रतिम वादियाँ, नदियों और झिलमिलाती आभा, अद्वितीय लुभावने उद्यानों की श्रृंखला, साहसिक और मेवों के साथ केसर की महकती सुगन्ध एवं रंगबिरंगे फूलों की घाटियाँ सोनमर्ग,गुलमर्ग और पहलगाम इस भूमि की अपनी ही विशेषताएँ हैं। यह झेलम नदी के पर बसा हुआ है। 
  डॉक्टर सिंघल आगे लिखते हैं कि बौद्ध भूमि लद्दाख को साहसिक गतिविधियों के केन्द्र के रूप में ख्याति प्राप्त है। प्रकृति का अनन्त सौन्दर्य, महल, मठ, हेमिस एवं सोलर उत्सव यहाँ की खास पहचान हैं। लद्दाख के सांस्कृतिक उत्सव-हिमालयी दरों के बीच गगन चुम्बी पहाड़, सुन्दर झीलें और आकर्षक मठों के साथ लद्दाख में उत्सवों और त्योहारों के दौरान अनूठी तिब्बती संस्कृति, परम्परा और लद्दाखी लोगों के रहन-सहन को बखूबी अनुभव किया जा सकता है। लद्दाख के विभिन्न क्षेत्रों में वर्ष भर कई समारोह मनाए जाते हैं। लद्दाख की प्राकृतिक सुन्दरता और कई त्योहार पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। लद्दाख को बर्फ का ठंडा रेगिस्तान कहा जाता है। पर्यटन विभाग द्वारा स्थानीय सहयोग से सितंबर माह में लेह में आयोजित लद्दाख महोत्सव भी क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति से पर्यटकों को जोड़ने और पर्यटन विकास के उद्देश्य से हर वर्ष आयोजित किया जाता है। यह बेहद रंगबिरंगा और मनोरंजनपूर्ण उत्सव होता है। उत्सव में स्थानीय संस्कृति के रंग, परंपराएँ, वेशभूषा, पारंपरिक संगीत, लोकनृत्य, अनोखे वाद्य, हस्तशिल्प कला, तीरंदाजी की प्रतियोगितताएं, लद्दाख का लजीज व्यंजन जैसे आकर्षणों से करीब दो सप्ताह चलने वाले उत्सव की शुरुआत शानदार परेड प्रदर्शन के साथ होती है। इसमें राज्य की सभी जनजातियों के लोग द्वारा मुखौटे पहन कर किए जाने वाला लोक नृत्य की छठा निराली होती है । 
      खूबसूरत प्राकृतिक सौन्दर्य, वनस्पति एवं फूलों से महकती रमणीक घाटियाँ, अलबेले और अनूठे पहाड़ी स्टेशन, मन्दिरों के कारण पहचान बनाने वाली देवताओं की भूमि है हिमाचल प्रदेश। बहुसांस्कृतिक, विशाल भौगोलिक विविधता एवं लुभावनी प्रकृति से सम्पन्न प्रदेश की कालका-शिमला रेलवे लाइन तथा कुल्लू का ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को की विश्व विरासत धरोहर सूची में शामिल किया गया है। यहां चम्बा  , डलहौजी , धर्मशाला , कुफरी ,मनाली  , कुल्लू , शिमला  यहां के बर्फीले पहाड़ों की हसीन वादियां देश  - विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करती है। बर्फ पर एडवेंचर स्पोर्ट्स का सैलानी खूब लुत्फ उठाते हैं। कुल्लू का दशहरा देश भर में अपने पारम्परिक स्वरूप के कारण प्रसिद्ध है। साथ ही यहां आइस स्केटिंग कार्निवल पर्यटकों के लिए रोमांचक, उत्साह और मनोरंजन से भरपूर है। यहां चित्रकला की परंपरा काफी समृद्ध रही है और चित्रकला का राष्ट्र के संदर्भ में उल्लेखनीय योगदान है। ( पृष्ठ 83)
चंडीगढ़ की तो बात ही कुछ ओर है । विश्व का सबसे खूबसूरत शहर दो राज्यों की अकेली राजधानी और केंद्र शासित प्रदेश है । इस शहर का नामकरण दुर्गा के एक रूप ‘चंडिका’ के कारण हुआ है और चंडी का मंदिर आज भी इस शहर की धार्मिक पहचान है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की मंशा के अनुरूप फ्रांसीसी वास्तुकार ली.कारबुर्जिये ने इस नगर को सुनियोजित रूप से बसाया था। उसके द्वारा किए गए कार्यों को यूनेस्को ने विश्व विरासत सूची में शामिल किया है। रोज गार्डन, रॉक गार्डन और पिंजौर गार्डन प्रमुख दर्शनीय स्थल है।  
     पंजाब में सिक्खों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की  देश की आजादी  और स्वाभिमान के लिए  मुगलों के आगे घुटने नहीं टेके और अपने परिवार को  बलिदान कर दिया । यहां सिक्खों का विश्व प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर है तो  हरमिंदर साहिब गुरुद्वारा कोमी एकता का प्रतीक है।  पंजाब के गुरुद्वारों की संस्कृति से  भूखों को खाना खिलाने की परम्परा विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है ।
यहां खेती लहलहाती है, नदियां गीत गाती  हैं तो भांगड़ा नृत्य की धूम पूरी दुनिया में है। लोहड़ी,बैसाखी और गुरुनानक जयंती राज्य के महत्वपूर्ण पर्व हैं। जलियांवाला बाग ऐतिहासिक घटना का साक्षी है। आनंदपुर साहिब में खालसा विरासत संग्रहालय दर्शनीय है।
       ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक वैभव के साथ आर्थिक रूप से सुदृढ़ हरियाणा वह पावन भूमि है जहाँ कुरुक्षेत्र में कौरवों एवं पाण्डवों के मध्य हुए ऐतिहासिक युद्ध में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश सुनाया था। इतिहास में विश्व प्रसिद्ध पानीपत के तीन युद्ध प्रसिद्ध हैं। खाद्यान्न एवं दुग्ध उत्पादन में अग्रणी राज्य ने देश को खाद्यान्न सम्पन्न बनाने में हरित क्रान्ति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। फरीदाबाद में आयोजित होने वाला अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला जग प्रसिद्ध है। राज्य में झीलों का बाहुल्य है और इनके नाम पक्षियों के नाम पर रखे गए है।
कुरूक्षेत्र पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। 
         दिल्ली भारत का दिल है। पूरे भारत की धड़कन है। यहीं पर होते हैं देश की सीमाओं की सुरक्षा, आन्तरिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाये रखने के फैसले। देश में कानूनों का निर्माण भी दिल्ली से होता है। यहीं से देश विकास और आमजन के कल्याण की सरिता बहती है। भारत का यह आधुनिक मेट्रोपोलिटिन सिटी अनेक प्राचीन ऐतिहासिक एवं औपनिवेशिक इमारतों, धार्मिक स्थलों एवं आधुनिक वास्तु के भवन संस्कृति का संगम स्थल है। एक ही स्थान पर हर जगह सभी चीजें मिलने से इसे 'शॉपर्स पेराडाइज' कहा जाता है। संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, राजघाट पर महात्मा गाँधी की समाधि, यूनेस्को की सूची में शामिल विश्व विरासत स्थल लाल किला, कुतुब मीनार, हुमायूँ का मकबरा, अक्षरधाम, लोटस टेंपल, जंतरमंतर और कई अन्य आकर्षक स्थल दिल्ली की विशेषताएँ हैं।
       हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में  उत्तराखण्ड का उल्लेख किया गया है। भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। हरिद्वार और ऋषिकेश धार्मिक नगर हैं। उत्तराखण्ड को ’देवभूमि’ के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक काल में इस क्षेत्र में हुए विभिन्न देवी-देवताओं द्वारा लिए अवतार। यहाँ त्रियुगी-नारायण नामक स्थान पर महादेव ने सती पार्वती से विवाह किया था। भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने भी यहीं प्रायश्चित किया था। केदारनाथ , बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री को भारत के चार धाम भी कहा जाता है।  हरी-भरी प्राकृतिक सुषमा से आच्छादित एवं हिमखण्डों से धवल आभा बिखेरती पर्वतों की ऊँची-ऊँची चोटियाँ, हिम खण्डों के पिघलने से इठलाती-बलखाती-कलछल करती गंगा एवं यमुना जैसी आराध्य नदियाँ और झिलमिलाते ऊँचाई से गिरते जलप्रपात, हिल स्टेशन, वन्यजीवों की अठखेलियाँ तथा मनोरंजन के लिए वाटर स्पोर्ट्स यहाँ की अपनी ही विशेषताएँ हैं। चमोली जिले में स्थित नन्दा देवी एवं फूलों की घाटी, राष्ट्रीय पार्क यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल हैं। 
    उत्तरप्रदेश राज्य इतिहास,कला -संस्कृति, साहित्य और राजनीति के क्षेत्र में अपना खास स्थान रखता है। गंगा जमुनी संस्कृति इस राज्य की पहचान है। गंगा नदी के मैदानों ने राज्य को धनधान्य से भरपूर बनाया है। भगवान राम, कृष्ण और बुद्ध की भूमि पर रामायण और रामचरित्र मानस जेसे कालजई महाकाव्य रचे गए। वाराणसी,मथुरा,वृंदावन,अयोध्या, चित्रकूट, सारनाथ धार्मिक महत्व तथा आगरा, फतेहपुर सीकरी, लखनऊ एवं इलाहबाद एतिहासिक पर्यटन महत्व के नगर है। मथुरा का कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव और बृज की लठमार होली पूरे भारत में विख्यात है। विदेशी सैलानी भी इन उत्सवों में रुचि लेते है। कृष्ण जन्मभूमि पर होने से इस्कॉन मंदिर का अपना महत्व है। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और आजादी के बाद देश निर्माण में राज्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुवात 1857 में मेरठ से होकर देशभर में फेला। इसमें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने नारी शक्ति का परचम लहराया। ओरछा देश का अकेला स्थान है जहां राम की पूजा राजा के रूप में की जाती है। आगरा का ताजमहल दुनिया में दूसरे और भारत में पहले नंबर का पर्यटक स्थल है जो सर्वाधिक पर्यटकों द्वारा देखा जाता है। ताजमहल के साथ - साथ आगरा का लालकिला और फतेहपुर सीकरी को यूनेस्को ने विश्व विरासत में शामिल किया है।
    उत्तर भारत , विविधताओं में एकता , पर्यटन स्थलों के खूबसूरत दर्शनीय स्थल , धार्मिक स्थलों का एक अनूठा संगम है जो यकीनन भारत का शीर्ष  है, सिरमौर है और ताज है ।  पुस्तक की भूमिका में एडवोकेट अख्तर खान अकेला लिखते है, " विकासशील और विविधताओं से परिपूर्ण उत्तर भारत क्षेत्र और इससे जुड़े राज्यों पर लेखक की यह शोधपूर्ण कृति क्षेत्र के पर्यटन स्थलों की जानकारी के सात -  साथ ऐतिहासिक, भोगौलिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती है।  कोटा के पर्यटन लेखक  डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल का  उत्तरी भारत की खासियतों को  विश्व के पर्यटकों तक पहुंचाने  का यह प्रयास निश्चित तौर पर अभिन्दनीय है । अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से उत्तर भारत के राज्यवार अध्यायों में विभक्त किया गया है।  मुझे विश्वास है यह कृति सभी प्रकार की रुचि के पाठकों एवं शोधर्धियों के लिए तो उपयोगी होगी ही साथ ही पर्यटन को बढ़ावा देने में भी सहायक बनेगी और इस कृति का स्वागत होगा।" अपनी बात में लेखक ने देश की चहुमुखी प्रगति के संदर्भों को रेखांकित करते हुए लिखा है, " वर्तमान भारत की तस्वीर पर दृष्टिपात करें तो दुनिया भर के देशों का भारत को देखने का नजरिया अब बहुत कुछ बदलने लगा है। भारत जिस शिद्दत से हर क्षेत्र में उत्तरोत्तर, दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति कर रहा है, नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, नित-नूतन अनुसंधान और आविष्कार कर रहा है, इन्हीं की बदौलत भारत की तरफ दुनिया के देश उम्मीद भरी नजर से देखने लगे हैं। भारत के विलक्षण सांस्कृतिक गौरव एवं सुसभ्यता रूपी आलोक से, नैतिक-मूल्यों के उजास से, यहाँ का कण-कण प्रकाशित है। सच तो यह है कि हमारे देश का दुनिया में कोई सानी नहीं है। ऐसी जननी जन्म-भूमि भारतवर्ष का हम वंदन... अभिनन्दन करते हैं...। मुहम्मद इकबाल का शेर स्मरण हो आता है...

"कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी। सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जमाँ हमारा।।"
 


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