जयपुर के राजस्थान इण्डिया इंटरनेशल सेंटर में प्रसिद्ध शायर और गीतकार साहिर लुधियानवी की स्मृति में परछाइयाँ (ए शरीफ इंसानों )डाँस ड्रामा का भव्य आयोजन
नृत्य नाटिका का निर्देशन करने वाले जाने माने गज़ल गायक डॉ प्रेम भण्डारी और निर्देशक डॉ लईक हुसैन तथा अन्य कलाकारों का हुआ अभिनंदन
-नीति गोपेन्द्र भट्ट -
नई दिल्ली/जयपुरउदयपुर।
जयपुर के राजस्थान इंटरनेशल सेंटर में हाल ही में प्रसिद्ध शायर और गीतकार साहिर लुधियानवी की स्मृति में परछाइयाँ (ए शरीफ इंसानों )डाँस ड्रामा कार्यक्रम का भव्य आयोजन कलात्मक और प्रभावशाली प्रस्तुति हुई । इस डांस ड्रामा में द्वितीय विश्व युद्ध के पहले और बाद की वैश्विक परिस्थितियों और युद्ध काल की विभीषिका और हालातों का सुंदर ढंग से सटीक चित्रण किया गया ।विश्व शान्ति का सन्देश देने वाले इस अद्वितीय आयोजन में तीस कलाकारों ने अपनी कला कौशल का लोम हर्षक प्रदर्शन किया ।दर्शक डेढ़ घंटे तक चले इस शानदार प्रदर्शन को अपलक देखते रहें ।
इण्डिया इंटरनेशल सेंटर जयपुर द्वारा प्रायोजित और द परफॉर्मर्स कल्चर सोसाइटी,उदयपुर के सहयोग से आयोजित इस रोमांचकारी नृत्य नाटिका की अवधारणा और म्यूजिक निर्देशन जाने माने कलाकार और उदयपुर के प्रसिद्ध गजल गायक डॉ प्रेम भण्डारी ने किया।संयोजन और निर्देशन पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर से सम्बद्ध रहें कलाकार लईक हुसैन का था । यह मनोहारी नृत्य नाटिका परछाइयाँ (ए शरीफ इंसानों …विश्व शान्ति का सन्देश देने वाली साहिर लुधियानवी की मशहूर नज़्म और कार्यों पर आधारित थी जिसका उदयपुर के बाद राजस्थान की राजधानी जयपुर में दूसरी बार मंचीय प्रदर्शन हुआ ।
इस अवसर पर राजस्थान इंटरनेशल सेंटर के निदेशक निहाल चंद गोयल और राजस्थान श्री अलंकरण से सम्मानित वीणा म्यूजिक के अध्यक्ष और प्रबन्ध निदेशक के सी मालू ने नृत्य नाटिका में भाग लेने वाले कलाकारों और नृत्य नाटिका की अवधारणा और म्यूजिक निर्देशन करने वाले जाने माने कलाकार और उदयपुर के प्रसिद्ध गजल गायक डॉ प्रेम भण्डारी संयोजन और निर्देशन करने वाले लईक हुसैन तथा का सम्मान किया। कार्यक्रम में राजस्थान के पूर्व पुलिस महा निरीक्षक मनोज भट्ट, सुप्रसिद्ध गजल गायक जगजीत सिंह के बड़े भाई जसबंत सिंह, वीणा संगीत समूह के प्रबन्ध निदेशक हेमजीत मालू ,कई प्रशासनिक अधिकारी गण, कला जगत से जुड़े कलाकार और प्रबुद्ध जन भी मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि “परछाइयां “ नृत्य नाटिका की संकल्पना और संगीत डॉ. प्रेम भंडारी , डिजाइन और निर्देशन डॉ. लईक हुसैन,गायक डॉ प्रेम भंडारी,साधना सरगम और डॉ. पामिल भंडारी मोदी की हैं जबकि इसके म्यूजिक अरेंजर असित देसाई,डॉ. रघु उपाध्याय और सुशील चौधरी हैं । नृत्यकला निर्देशन शिप्रा चटर्जी ,पोशाक संरचना निर्देशन अनुकंपा लाइक,तकनीकी निदेशक कविराज लईक, सहायक निदेशक प्रबुद्ध पांडे,शिष्टाचार सहयोग तुषार भट्ट एवं पूरोबी भण्डारी तथा निर्माता डॉ. जे.के. टायलिया और संचालक जी. एस. पुरी है।
*नृत्य नाटिका की पृष्ठ भूमि*
मार्च 1921 को लुधियाना में जन्मे साहिर लुधियानवी जितना अपने फ़िल्मी गीतों के लिए जाने जाते हैं उतना ही, या शायद उससे भी ज़्यादा अपनी ग़ैर फिल्मी रचनाओं के लिए भी जाने और सराहे जाते हैं. ‘परछाइयां’ उनकी एक लम्बी नज़्म है जिसे उर्दू साहित्य में बहुत महत्वपूर्ण रचना माना जाता है. अली सरदार जाफ़री ने इस नज़्म को उर्दू अदब में एक खूबसूरत इज़ाफ़ा कहकर सराहा है।कविता में एक कहानी को समेटे हुए यह नज़्म अपनी बनावट और बुनावट में महाकाव्यात्मक है. नज़्म बहुत ही प्रभावशाली तरीके से युद्ध का विरोध करती है।हालांकि इसकी पृष्ठभूमि द्वितीय महायुद्ध की है, यह नज़्म आज भी उतनी ही प्रासंगिक है. शायद उससे भी ज़्यादा. कालजयी रचना इसी को तो कहते हैं!
नज़्म तो महान है ही, डॉ प्रेम भण्डारी और साथियों के गायन एयर संगीत निर्देशन तथा डॉ लईक हुसैन के निर्देशन में इसकी नृत्य नाटिका रूप में प्रस्तुति भी इतनी ही भव्य और प्रभावशाली है। सुपरिचित गायक और संगीतकार डॉ प्रेम भण्डारी ने कोई चालीस बरस पहले इस नज़्म की मंचीय प्रस्तुति का सपना देखा था और जब इस सपने के साकार रूप को देखने का मौका मिला तो दर्शकों ने महसूस किया कि कुछ चीज़ों का जादू ऐसा होता है कि उसकी सराहना के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। डॉ भण्डारी की परिकल्पना को लईक हुसैन और उनके साथियों ने साकार किया और ख़ुद डॉ भण्डारी और उनके साथियों ने इस प्रस्तुति में संगीत के रंग भरे। पूरी नज़्म में बार-बार छंद परिवर्तन होता है और सभी ने महसूस किया कि ऐसे हर परिवर्तन के समय डॉ भण्डारी का गाने का लहज़ा भी बदल रहा था। इतनी लम्बी नज़्म को इतने वैविध्य के साथ गाना नहीं, अदा करना कोई मामूली काम नहीं है , लेकिन नृत्य नाटिका से डॉ भडारी और लईक हुसैन ने यह करिश्मा कर दिखाया। दर्शकों के लिए साहिर लुधियानवी के लफ़्ज़ों को उनकी दमदार आवाज़ में सुनना एक अलौकिक अनुभव रहा।असल में डॉ भण्डारी की आवाज़ में जब साहिर लुधियानवी की अनेक बार पढ़ी हुई और लगभग याद हो चली इस नज़्म को दर्शकों ने सुना तो उसके कई नए अर्थ खुल रहे थे।‘परछाइयां’ की यह प्रस्तुति सारी सराहनाओं से ऊपर वाली प्रस्तुति थी।