डायबिटिक फूट गैंग्रीन का बिना ऑपरेशन युनानी चिकित्सा द्वारा सफल इलाज।

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Published on : 19 Jul, 25 05:07

डायबिटिक फूट गैंग्रीन का बिना ऑपरेशन युनानी चिकित्सा द्वारा सफल इलाज।

गाजियाबाद उत्तर प्रदेश  निवासी एक 62 वर्षीय महिला के बाएं पैर की उंगलियों में तेज़ दर्द व सूजन की शिकायत थी। इस में अंगूठा और साइड की 3 छोटी) उंगलियों का रंग काला पड़ गया था और इसी पैर के तलवे में पंजे की साइड की त्वचा पीली पड़ गई थी जिसमें गंदा मवाद भरा हुआ था। यह हिस्सा संक्रमित हो गया था। यह परेशानी पिछले साल 25 नवंबर से शुरू हुई। इन्हें हाइ शूगर, हाइ ब्लड प्रेशर, हाइ कोलेस्ट्रॉल और थायराइड प्रॉबलम पहले से थी। शूगर की समस्या पिछले 25 वर्षों से थी।  विशेषज्ञों द्वारा डायबिटिक फूट गैंग्रीन निदान कर चिकित्सा किया गया और सबसे छोटी उंगली काट दी गई। लेकिन मरीज़ की शारीरिक स्थिति को देखते हुए बाकी उंगलियों को काटने से मना कर दिया गया। और सिर्फ औषधिय उपचार दिया गया लेकिन कोई खास सुधार नहीं हुआ और रोग दिन बदिन बढ़ता गया। इनके एक रिश्तेदार डॉ. मसर्रत रियाज ने इन्हें यूनानी उपचार लेने की सलाह दी तो इन्हों ने गत वर्ष 23 फ़रवरी को यूनानी विशेषज्ञ डॉ मोहम्मद शमीम खान एम. डी. युनानी, वरिष्ठ यूनानी चिकित्सा अधिकरी व प्रभारी राजकीय यूनानी औषधालय, भीमगांज मंडी उत्तर कोटा राजस्थान से संपर्क कर प्रमार्श लिया। डॉ खान ने इस रोगी को आलू शलगम चुकंदर बैगन अरवी तथा मीठे खाद्द पदार्थ से परहेज बताते हुए नीम के पत्तों के जोशांदे से ज़ख्म को साफ करने और एक मरहम लगाने तथा शुद्ध जड़ी बूटियों से तैयार खास यूनानी औषधियां उपयोग करने को कहा। लगातार इलाज के एक माह बाद दर्द व सूजन दुर हो गया। 2 माह बाद गैंग्रीन ग्रस्त हिस्सा पांव से स्वत: अलग हो गया और 3 माह बाद ज़ख्म पूर्णत: भर गया।  आख़िरकार डायबिटिक फूट गैंग्रीन जिसका एलोपैथिक इलाज सिर्फ ऑपरेशन द्वारा काट कर पांव से अलग करना था वह युनानी चिकत्सा पद्धति से सिर्फ औषधिय उपचार से ही बिल्कुल सही हो गया। युनानी इलाज का इस मरीज में एक अहम फायदा ये भी हुआ कि शूगर कंट्रोल में रहने लगा। 
डॉ खान का कहना है कि ऐसे जानलेवा और खतरनाक रोग जिन में एलोपैथिक दवा ज्यादा कारगर न हो पा रहा हो तो उन में विशेषज्ञ की देख रेख में यूनानी इलाज को भी एलोपैथिक उपचार के साथ साथ ले लेना चाहिए। इसके कई फायदे हैं। युनानी दवाएं शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ती हैं। एलोपैथिक दवाओं के दुष्य प्रभाव को कम करती हैं और धीरे धीरे रोग को जड़ से खत्म कर देती हैं। 
डॉ खान इस से पहले भी गैंग्रीन सहित कई जटिल रोग जैसे बांझपन, सफेद दाग, सोरायसिस और  आपरेशन वाले रोग जैसे गुर्दे की पथरी, गर्दन और कमर में दबी नस, अंडाशय की गठान का यूनानी पद्धति द्वारा सफल इलाज कर चुके हैं।


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