"प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता की ओर: सप्त शक्ति तकनीकी सेमिनार का समापन रणनीतिक अंतर्दृष्टियों के साथ"

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Published on : 17 Jul, 25 11:07

"प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता की ओर: सप्त शक्ति तकनीकी सेमिनार का समापन रणनीतिक अंतर्दृष्टियों के साथ"

जयपुर : तकनीकी सेमिनार "नेक्स्ट जेनरेशन कॉम्बैट- शेपिंग टुमॉरोज़ मिलिट्री टुडे" विषयक के दूसरे दिन की शुरुआत भी उतनी ही रोचक और ज्ञानवर्धक रही। पहले दिन के संवादात्मक आधार पर, सत्रों में एक मजबूत, भविष्य के लिए तैयार भारतीय सेना को आकार देने में उन्नत विज्ञान और प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर गहन चर्चा की गई, जो 'विकसित भारत' के दृष्टिकोण को साकार करने में व्यापक राष्ट्रीय शक्ति का एक आवश्यक साधन है। इसमें यह बताया गया कि विकसित राष्ट्र का दर्जा प्राप्त करने की दिशा में भारत की यात्रा किस प्रकार इसकी तकनीकी प्रगति से अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है।

ड्रोन युद्ध के तेजी से विकास पर जोर देते हुए, वक्ताओं ने मानव रहित हवाई प्रणालियों (यूएएस) में भविष्य के रुझानों पर चर्चा की। विशेष रूप से स्वदेशी सौर ऊर्जा चालित ड्रोन के विकास पर बल दिया गया, जो दीर्घकालिक उड़ान और बेहतर स्टील्थ क्षमताओं से युक्त हों।

उद्योग प्रतिनिधियों ने रोबोटिक कॉम्बैट सिस्टम्स (RCS) को आक्रामक एवं रक्षात्मक अभियानों में समावेशित करने की रणनीतिक आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने आरसीएस को लड़ाकू दलों के महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में देखा, जो स्वायत्त गति, लक्ष्य का पता लगाने और संलग्न होने में सक्षम थे, साथ ही घातक कार्रवाइयों के लिए सख्त मानवीय निगरानी बनाए रखते थे। आधुनिक सैनिक प्रणालियों के क्षेत्र में भी चर्चा हुई, जिसमें आत्म-उपचार करने वाले वस्त्र, उन्नत हल्के कवच जिनमें उच्च बैलिस्टिक सुरक्षा हो, तथा पर्यावरण के अनुरूप ढलने वाली अडाप्टिव कैमोफ्लाज सामग्री शामिल थीं।एडीजी, आर्मी डिज़ाइन ब्यूरो ने एकीकृत रक्षा नवाचार हब को सशक्त करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने iDEX जैसी पहल की सफलता का हवाला दिया और अधिक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।

सेमिनार में इस बात पर भी चर्चा हुई कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), बिग डाटा एनालिटिक्स, 3डी प्रिंटिंग जैसी उन्नत निर्माण तकनीकों और संचार प्रणालियों जैसी नागरिक क्षेत्रों की प्रौद्योगिकियां किस प्रकार सहजता से सैन्य प्रणालियों में एकीकृत की जा सकती हैं।

प्रख्यात वक्ताओं ने ग्रे ज़ोन युद्ध की बढ़ती हुई चुनौती पर भी ध्यान केंद्रित

किया और इस बात पर बल दिया कि भारतीय सेना को पारंपरिक युद्ध की सीमा से नीचे संचालित होने वाली इन गुप्त और अपारंपरिक चुनौतियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए व्यापक क्षमताओं का विकास करना आवश्यक है।

      लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह, आर्मी कमांडर, सप्त शक्ति कमान ने सेमिनार का समापन भारतीय सेना की इस अटूट प्रतिबद्धता को दोहराते हुए किया कि वह तकनीकी परिवर्तन को अपनी परिचालनिक तैयारी की आधारशिला बनाएगी। उन्होंने एक चुस्त, अनुकूलनशील और तकनीकी रूप से श्रेष्ठ सेना की परिकल्पना प्रस्तुत की, जो किसी भी खतरे को प्रभावी ढंग से रोकने और निर्णायक प्रतिक्रिया देने में सक्षम हो, और जिसमें सभी स्तरों पर 'टेक्नो कमांडर' सेना का प्रतिनिधित्व करते हों  उन्होंने सुरक्षा बलों के सभी घटकों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त संरचनाओं (Joint Structures) की उभरती आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह सेमिनार सभी के मन-मस्तिष्क को इस परिवर्तनकारी पथप्रौद्योगिकी-सक्षम सेनाको अपनाने के लिए प्रेरित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुई है।
 

कुल मिलाकर, इस सेमिनार ने बौद्धिक संवाद के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य किया तथा भविष्य की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना को सुसज्जित करने के उद्देश्य से भावी रणनीतिक पहलों


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