उदयपुर, देबारी में स्थित मेंवाड की प्रसिद्व माॅ चामुण्डा देवी जो कि घाटा वाली मातारानी के नाम से जगत विख्यात है कि पहाडी पर स्थापित विशाल त्रिशुल के समीप ही ऊचांई पर लोहे से बने शेर की प्रतिमा स्थापित की गई।
इस लोहे से बने विशाल शेर को माॅ भवानी के भक्त किशनलाल लोहार रामा ने अपने कारखाने में डिजाइन करवाकर बनवाया जिसे बनाने में लगभग पन्द्रह दिन का समय लगा, इसकी कुल लंबाई साढे तेरह फीट एवं चैडाई 7 फिट तथा स्टेंड सहित कुल वजन 550 किलो है।
मातारानी की असीम कृपा से इस विशाल शेर को सुरक्षा एवं सावधानी बरतते हुए भक्तगणों द्वारा हाथों से ही उठाकर पहाडी की ऊचांई पर त्रिशुल के समीप पहुचाया गया तथा पूर्ण विधी विधान के साथ मंदिर के वरदा जी भोपाजी के सानिध्य मंे स्थापित किया गया।
इस ऐतिहासिक अवसर पर मंदिर मंडल अध्यक्ष किशोरसिंह, मालवीय लोहार समाज प्रतिनिधी भंवरलाल वल्लभनगर, लक्ष्मीलाल लोसिंग, देवीलाल बोयणा एवं नवयुवक मंडल कार्यकारिणी से लोकेश, चेतन, प्रभुलाल, कांतिलाल, पिंटू, हरिसिंह, गोपाल सहित भक्तगणों की उपस्थिति रहीं।