सामुहिक जागरूकता व सहभागिता से ही जल प्रबंधन संभव - प्रो. सारंगदेवोत
उदयपुर / ठाकुर अमरचंद बड़वा की 305 वीं जयंती पर शनिवार को राजस्थान विद्यापीठ ठाकुर अमरचंद बड़वा शोधपीठ एवं ठाकुर अमरचन्द बड़वा स्मृति संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में प्रतापनगर स्थित कुलपति सचिवालय के सभागार में युग - युगीन मेवाड़ में जल प्रबन्धन विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि ठाकुर अमर चंद मेवाड़ के महान प्रशासक, कुशल सेनानायक, कर्तव्यनिष्ठ एवं निष्ठावान प्रधानमंत्री थे। उन्होंने सुविकसित मेवाड़ की कल्पना की जिसमें तहत अमर चंद बडवा ने शहर की जनता को सुरक्षित करने के लिए शहर कोट का निर्माण करवाया। इसके अलावा झीले, बावडिया उनके समय की देन है। झीले, पहाड मेवाड की लाईफ लाईन है। हमारे पूर्वजों द्वारा दी गई विरासत को भावी पीढ़ी के लिए संवर्धन करने की जरूरत है नहीं तो हमें हमारी आने वाली पीढ़ी कभी माफ नहीं करेगी। मेवाड़ पूरे देश में जल प्रबंधन के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। पानी एक सीमित संसाधन है जो जीवन के लिए उपयोगी है। जल प्रबंधन के लिए सामुहिक जागरूकता व सहभागिता विशेष तौर पर महिलाओं को इस दिशा में जोडे बिना जल प्रबंधन संभव नहीं है। मनुष्य को पानी की आर्थिक महत्ता को समझना होगा। नदिया नाडिया है और पेड़ फेफडे है। हमारे पंच तत्व दिनों दिन प्रदुषित होते जा रहे है जिसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार है।
बिना संसाधन के 400 वर्ष पुराने जलाशय आज भी सुरक्षित - ज्ञान प्रकाश सोनी
मुख्य वक्ता ज्ञान प्रकाश सोनी ने कहा कि पानी का अधिकतम उपयोग हो इसमें मेवाड़ की भूमिका अग्रणी रही है जिसके तहत झीलों, बावड़ियो का निर्माण करवाया गया। मेवाड़ में बिना संसाधन के 400 वर्ष पुराने जलाशय आज भी सुरक्षित है। बांध निर्माण में धनुषाकार आकृति, आगे दिवार व पिछे मिटट्ी से बांध बनाने की तकनीक, शीशे का उपयोग पूरे विश्व में मेवाड में ही देखने को मिलता है वह भी उस समय जब विश्व में अन्यत्र एनीेकट बनाने की क्षमता विकसित नहीं हुई थी। मेवाड़ बांध बनाने में अग्रणी रहा है यह इस बात से प्रतीत होता है कि सन् 1900 में भारत में कुल 64 बडे बांधों में से 13 बांध मेवाड़ में थे। दुबई का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां न्यूनतम व्यवस्था होते हुए भी वह अधिक उत्पादन सुरक्षित रखने की कोशिश में सफल ओर हमारे यहां अधिक स्त्रोत होते हुए भी निकासी व्यवस्था ठीक से नहीं कर पाना प्रशासनिक कार्य व्यवस्था में सुधार को दर्शाता है।
जल, जंगल , जमीन को बचाने के लिए जागरूकता जरूरी - जगदीश राज श्रीमाली
मुख्य अतिथि जगदीश राज श्रीमाली ने कहा कि यह हमारी धरती का ही प्रताप है कि भगवान एकलिंगनाथ मेवाड़ के शासक थे और महाराणा दीवान, हारित राशि ने मेवाड़ की स्थापना की। महाराणाओं की जल परम्परा को आगे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मानवश्रम से निर्मित मेवाड के जलाशय सर्वश्रेष्ठ जलाशयों में माने जाते है। श्रीमाली ने जल, जंगल , जमीन को बचाने का समय आ गया है। इसके लिए आम में जागरूकता पैदा करने की जरूरत पर जोर दिया।
प्रारंभ में संस्था अध्यक्ष प्रो. विमल शर्मा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि मेवाड़ में पंच महाभुत के आधार पर मेवाड में संरक्षण व संवर्धन की प्रक्रिया रही है।
संगठन महासचिव जयकिशन चैबे ने संगोष्ठी में आये आलेखों का पुस्तक के रूप में प्रकाशन करने का प्रस्ताव रखा जिसे सदन में ध्वनि मत से पारित कर दिया।
पुर्व प्रशासनिक अधिकारी दिनेश कोठारी ने जोर देते हुए कहा कि भराव क्षेत्र में अतिक्रमण का दुष्परिणाम आम जन को अतिवृष्टि में विकराल रूप मेें देखने को मिलता है। झीलों की नियमित सफाई कर इसकी भराव क्षमता को बनाये रखना जरूरी है। उन्होंने महाराणा प्रताप के समय में झाडोल व चावंड में बनाये गये बांधों की जानकारी दी।
डाॅ. राजेन्द्र पुरोहित ने ठाकुर अमरचंद बडवा द्वारा पिछोला झील के विस्तार एवं परिसर में कराये गये निर्माण कार्यो का विस्तृत विवरण प्रस्तुत की।
लोकेश पालीवाल ने उदयपुर विलुप्त हो रही बावड़ियों की चिंता व्यक्त करते हुए उसे पुनः जीवित करने पर जोर दिया।
वरिष्ठ कवि श्रेणीदान चारण , कैलाश सोनी ने पानी पर कविता सुना सभी को भाव विभार कर
दिया।
संचालन डाॅ. कुलशेखर व्यास ने किया जबकि आभार डाॅ. जयराज आचार्य ने किया।
इस अवसर पर प्रो. जीवनसिंह खरकवाल, जयकिशन चैबे, प्रो. विमल शर्मा, डाॅ. उग्रसेन राव, डाॅ. रमाकांत शर्मा, एडवोकेट भरत कुमावत, गणेश लाल नागदा, मनोहर लाल मुंदडा, हरीश तलरेजा, निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत गोविन्द लाल ओड, डाॅ. कुलशेखर व्यास, डाॅ. जयराज आचार्य, जगदीश पुरोहित, डाॅ. यज्ञ आमेटा, हिम्मत सिंह वारी, लोकेश पालीवाल, राजकुमार चैधरी, नारायण पालीवाल, विनोद पाण्डेय सहित शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
अध्यक्ष डॉ विमल शर्मा ने बताया की चार दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत तीसरे दिन सिटी स्टेशन के सामने तोप माता बुर्ज पर बड़वा कालीन एकमात्र शेष रही लोडची तोप पर सेनापति कोई सैनिक सलाम कार्यक्रम का आयोजन होगा जिसमे सेना, बी एस एफ, सी आर पी एफ व पुलिस के अधिकारी भाग लेंगे