मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के बप्पा रावल सभागार में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं नई परीक्षा प्रणाली के संबंध में एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यों एवं उनके प्रतिनिधियों को एनईपी 2020 और नवीन परीक्षा पद्धति से अवगत कराना था।
कार्यशाला के उद्घाटन के पश्चात विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. पी.एस. राजपूत ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य न केवल प्रशिक्षण प्रदान करना है, बल्कि विश्वविद्यालय की आगामी कार्यप्रणाली को गति देना भी है। उन्होंने कार्यशाला की प्रासंगिकता और आवश्यकता पर बल देते हुए इसे अत्यंत उपयोगी बताया।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने कहा कि महाविद्यालयों से संबंधित शैक्षणिक कार्यों को निष्ठा, समयबद्धता और तत्परता के साथ पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने परीक्षा फॉर्म भरने से वंचित रह गए विद्यार्थियों के लिए एक नवीन ऑनलाइन पोर्टल का शुभारंभ किया, जिससे वे परीक्षा आरंभ होने से पूर्व ऑनलाइन माध्यम से आवेदन कर सकें। कुलपति ने यह भी बताया कि छात्रों की सुविधा हेतु माइग्रेशन, संशोधित अंकतालिका, प्रोविजनल डिग्री, ट्रांसक्रिप्ट आदि दस्तावेजों के लिए ऑनलाइन आवेदन व शुल्क भुगतान की प्रक्रिया शीघ्र ही शुरू की जाएगी, जिससे ये दस्तावेज सीमित समय में उपलब्ध कराए जा सकें।
एनईपी-2020 के नोडल अधिकारी प्रो. के.बी. जोशी ने बताया कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत स्नातक पाठ्यक्रमों में चयनित विषयों के अतिरिक्त प्रत्येक सेमेस्टर में एक स्किल पेपर अनिवार्य होगा। प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर में स्किल पेपर राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जाएगा, जबकि चतुर्थ, पंचम एवं षष्ठम सेमेस्टर में विद्यार्थी अपनी इच्छानुसार कला, विज्ञान या वाणिज्य में से किसी भी संकाय का स्किल पेपर चुन सकेंगे।
डॉ. एन.के. पारीक ने डिपॉजिटरी सिस्टम की विशेषताओं और उसकी आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए वेबसाइट पर विभिन्न प्रपत्रों को अपलोड एवं डाउनलोड करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया को विस्तारपूर्वक समझाया।
कार्यशाला में विश्वविद्यालय से संबद्ध कुल 130 महाविद्यालयों के प्राचार्य एवं उनके प्रतिनिधियों ने सहभागिता की। कार्यशाला के समापन पर परीक्षा नियंत्रक डॉ. पी.एस. राजपूत ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्हें कार्यशाला में प्राप्त ज्ञान को अपने-अपने महाविद्यालयों में लागू करने का आह्वान किया।