*टी एस पी जनजाति परिक्षेत्र हेतु अलग से विज्ञप्ति जारी हो*
*एक व्यवस्था सुधारने के चक्कर में दूसरी बिगड़ गई*
*अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पद भरे, अब हिंदी माध्यम में खाली हो गए 11 हजार पद*
बांसवाड़ा । राजस्थान सरकार द्वारा अंग्रेजी माध्यम के महात्मा गांधी स्कूलों में खाली पदों को भरना हिंदी माध्यम के बच्चों पर भारी पड़ गया है। और पूर्व से रिक्त पदों को लेकर जुझ रहे संस्था प्रधान ओर अधिक रिक्त पद होने से नामांकन वृद्धि सहित लक्ष्यों को लेकर चिन्तित है।
दो वर्षों से महात्मा गांधी स्कूलों में पूर्व से कार्यरत शिक्षकों को अधिशेष घोषित कर दिया है किन्तु उन्हें हिन्दी माध्यम स्कूलों में पढ़ाई करने हेतु रिलीव नहीं किया है। यथा स्थिति में रखा गया हैं।
*अधिशेष स्टॉफ को आवश्यकतानुसार उसी जिले में समायोजित किया जाए*
राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम ने अधिशेष स्टॉफ को आवश्यकतानुसार उसी जिले में समायोजित करने हेतु ऑनलाईन आवेदन मांग कर समायोजित करने की मांग राज्य सरकार को ज्ञापन भेज कर की है।
*अलग से टीएसपी एरिया भर्ती विज्ञप्ति जारी हो*
ओर जनजाति क्षेत्रों में सुदूर गांवों हेतु अलग से टीएसपी एरिया भर्ती विज्ञप्ति जारी की जाकर आवेदन पत्र भरवाने चाहिए।
*कोढ़ में खाज़ का काम हुआ नतो पूरे पद भरे नहीं कैडर बना*
हिंदी माध्यम में कार्यरत शिक्षकों को महात्मा गांधी स्कूलों हेतु परीक्षा के जरिए चयन कर उनको अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पोस्टिंग दी गई है ऐसे 11576 शिक्षक हैं जो हिंदी माध्यम से अंग्रेजी माध्यम में चले गए। इससे हिंदी माध्यम में पढ़ाई कर रहे बच्चों के लिए शिक्षकों की कमी हो गई है।
हिंदी माध्यम के स्कूलों में पहले से ही हजारों पद खाली पड़े थे।अब खाली पदों की संख्या में और बढ़ोतरी हो गई है जो कि कोढ़ में खाज़ बन कर रह गया हैं।
नया सत्र एक जुलाई से प्रारंभ हो गया है ऐसे में नए सत्र में हिंदी माध्यम के बच्चों को शिक्षकों की कमी से जूझना तय है ओर एक ओर 10 % नामांकन वृद्धि सहित अन्य लक्ष्य विभाग द्वारा जारी किए गए हैं जिसमें तीन माह हेतु उपचारात्मक शिक्षण हेतु विगत दो विषयों में दो वर्षों से ग्यारहवीं ओर बारहवीं में बज़ट आवंटन पर्याप्त नहीं किया गया हैं।
*यानि इस शैक्षिक सत्र में भी शिक्षकों के पद खाली के खाली ही रहेंगे*
*अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में नामांकन में एकदम से बड़ी गिरावट*
शिक्षा विभाग ने पिछले साल अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की समीक्षा करने की घोषणा की थी। इस घोषणा का यह असर पड़ा कि पिछले साल अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में नामांकन में एकदम से बड़ी गिरावट आ गई थी। शिक्षा के निजीकरण की ओर कदम उठाएं गए हैं।
इन स्कूलों को यथावत रखने के निर्णय के बाद अब यहां शिक्षकों को डेपुटेशन पर लगाया गया है। यह वे शिक्षक है जो इन स्कूलों में लगने के लिए हुई परीक्षा में शामिल हुए थे और मेरिट के आधार पर इनको पोस्टिंग दी गई है।
*अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में इतने शिक्षकों को मिली है पोस्टिंग*
प्रिंसिपल - 380
व्याख्यात- 875
व.अध्यापक - 1205
अध्यापक एल वन - 3978
अध्यापक एल टू - 5138
कुल - 11576
*न कैडर बना, ना नई भर्ती की गई*
राज्य सरकार चाहती तो अंग्रेजी माध्यम महात्मा गांधी स्कूलों हेतु अलग से विज्ञप्ति जारी कर भर्ती कर सकती थी किन्तु हिन्दी माध्यम स्कूलों से सरकार ने अंग्रेजी माध्यम स्कूल
में एक वर्ष के लिए प्रतिनियुक्ति पर शिक्षकों को भेजा गया हैं।
जबकि वास्तविकता तौर पर अंग्रेजी माध्यम महात्मा गांधी स्कूलों खोलते समय ऐसी कोई घोषणा नहीं की थी कि इन स्कूलों के शिक्षकों का अलग से कैडर बनाया जाएगा।
याफ़िर हिन्दी माध्यम स्कूलों से समायोजन किया जाएगा एक ओर प्रतिनियुक्ति पर प्रतिबंध लगाया गया हैं वहीं सरकार द्वारा स्वयं प्रतिनियुक्ति कर रही हैं जिसमें भी माननीय विधायकों को प्रसन्न करने हेतु कर रही हैं।
*शिक्षकों की सीधी भी की जाएगी लेकिन अभी तक ना तो सीधी भर्ती हुई और ना ही अलग से कैडर बना*
हिंदी माध्यम के शिक्षकों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में डेपुटेशन पर लगाकर ही काम चलाया जा रहा है अंग्रेजी माध्यम महात्मा गांधी स्कूलों हेतु शिक्षकों की सीधी भी अभी तक नहीं की गई हैं लेकिन अभी तक ना तो सीधी भर्ती हुई और ना ही अलग से कैडर बना
उधर अंग्रेज़ी माध्यम महात्मा गांधी स्कूलों में प्रतिनियुक्ति से
हिंदी माध्यम के स्कूलों में शिक्षकों की कमी हो गई है।
राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम के प्रदेश शैक्षिक प्रकोष्ठ सह सचिव अरुण व्यास का कहना है कि इन हिन्दी माध्यम के स्कूलों में रिक्त पदों के लिए अलग से कैडर बनाकर नई टी एस पी जनजाति भर्ती की जाए और जनजाति परिक्षेत्र बांसवाड़ा जिला सहित अलग से विज्ञप्ति जारी हो।तभी स्थाई हल हो सकता हैं।
बांसवाड़ा जिले सहित प्रदेश के महात्मा गांधी और अन्य राजकीय अंग्रेजी माध्यमिक स्कूलों में पदस्थापन होने से बाहरी शिक्षकों में उत्साह है।
नौकरी भी मिल गई ओर घर भी चले गए जबकि *स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिला न नौकरी उल्टे उनके परिजनों को पढ़ाने हेतु अब जनजाति परिक्षेत्र में सुदूर शिक्षकों की और ज्यादा कमी हो गई है* इधर अंग्रेजी माध्यम महात्मा गांधी स्कूलों में भी आधे पद ही भरे गए है आधे खाली है जिन्हें भी शीघ्र भरने हेतु मेरिट के बचे हुए कार्मिकों से भरा जाना चाहिए। प्रति नियुक्ति के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे थे।
अधिकांश शिक्षकों ने संबंधित स्कूलों में पदभार संभाल लिया। वहीं, दूसरी तरफ शिक्षा विभाग ने अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में आने वाले शिक्षकों के लिए नियम कड़े कर दिए हैं।
श्रेष्ठ परिणाम देने पर ही शिक्षकों का पदस्थापन नियमित होगा और श्रेष्ठ परिणाम नहीं देने वाले शिक्षकों पर तबादले की गाज गिरेगी।
महात्मा गांधी विद्यालयों में पदस्थापित होने वाले शिक्षकों के लिए शिक्षा विभाग ने कई मापदंड तय किए हैं।
विद्यालयों का परीक्षा परिणाम श्रेष्ठ बनाए रखने सहित कई मापदंडों पर खरा उतरना होगा।
विद्यालय के परीक्षा परिणाम में गिरावट आई या शिक्षक का आचरण अनुकूल नहीं हुआ तो शिक्षक को संबंधित विद्यालय से हटा दिया जाएगा।
पदस्थापन का हर साल नवीनीकरण होगा। रैंकिंग में नीचे रहने वाले शिक्षकों पर भी गाज गिरेगी।
*शिक्षकों पर यह नियम होंगे लागू*
कार्मिक को मूल संवर्ग में किसी उच्चतर पद पर पदोन्नत किया जाता है तो उसे पदोन्नति पर पदस्थापन के लिए प्रतिवर्तित समझा जाएगा।
अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में पदस्थापन के लिए वांछनीय योग्यता रखने पर नियुक्ति प्राधिकारी पदोन्नत कार्मिक का किसी भी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में रिक्तियों और अत्यावश्यकता के अनुसार पदस्थापन कर सकेंगे।