उदयपुर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के संघटक अनुसंधान निदेशालय में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। यह कार्यशाला एमपीयूएटी, उदयपुर व अन्तर्राष्ट्रीय जिंक संस्था एवं हिन्दुस्तान जिंक के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित की गई। डॉ. अरविन्द वर्मा, अनुसंधान निदेशक ने अपने स्वागत उद्बोधन में बताया कि जिंक फसलों और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है। पौधों में, जिंक एंजाइमों और हार्मोन के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो विकास के लिए आवश्यक हैं। मानव स्वास्थ्य में, जिंक प्रतिरक्षा प्रणाली, घाव भरने, डीएनए संश्लेषण और कोशिका विभाजन जैसे कई कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है। डॉ. सौमित्रा दास, निदेशक, एशिया पेसेफिक, अन्तर्राष्ट्रीय जिंक संस्था, नई दिल्ली ने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने जिंक का फसलों पर उपयोग कर खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में अहम योगदान प्रदान किया। अन्तर्राष्ट्रीय जिंक संस्था विश्व के अनेक देशों में जहां पर कुपोषण की समस्या है, वहां पर कार्य कर रही है। जिंक एवं आयरन कुपोषण की समस्या को समाप्त करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करते है तथा शरीर को स्वस्थ्य बनाते है। हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड से सृष्टि अरोडा, अंशुल नेगी, प्रोद्युत गोराई, इन्द्रा दास भी कार्यक्रम में उपस्थित रहेे।
मुख्य अतिथि डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक, कुलपति, एमपीयूएटी, उदयपुर ने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को धन्यवाद प्रदान किया एवं उन्होंने कहा कि जिंक के उपयोग फसलों पर किए गए अनुसंधान कार्य आने वाले समय में फसलों में जिंक के महत्व और उपयोग के लिए काफी मदद करेगा तथा यह कुपोषण की समस्या को कम करने में अपना अहम योगदान देगा। जिंक न केवल फसलों की लिए ही उपयोगी बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी यह उपयोगी है। इसका सबसे अधिक प्रभाव उन बच्चों पर पडता है जो कुपोषण की समस्या से जूझ रहे है। डॉ. कर्नाटक ने बताया कि देश की लगभग 48 प्रतिशत भूमि में जिंक की कमी है। विश्व के लगभग 30 प्रतिशत बच्चें जिंक की कमी से ग्रसित है, इसलिए हमें बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए जिंक का उपयोग अतिआवश्यक है जिंक का उपयोग मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होता है। इस कार्यशाला में उन्होंने जिंक के फसलों पर उपयोग के फायदों पर अपने अनुभव साझा किये। डॉं. एस. के. शर्मा, सहायक महानिदेशक, मानव संसाधन, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने जिंक के फसलों के उपयोग पर अपने अनुभवों को ऑनलाईन साझा किया। डॉ. देवेन्द्र जैन, सहायक आचार्य, राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर ने परियोजना के तीन वर्षाें के अनुसंधान कार्य को पावर पॉइन्ट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया। डबोक एवं मदार के किसानों को जैव उर्वरक भी वितरित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. लतिका शर्मा तथा धन्यवाद डॉ. सुभाष मीणा, परियोजना प्रभारी जिंक प्रोजेक्ट ने अदा किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के लगभग 100 अधिकारीगण, वैज्ञानिक, छात्र-छात्राओं एवं किसानों ने भाग लिया।