सामाजिक संवाद और सामंजस्यता की निरंतरता से दूर होगा तनाव

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Published on : 04 Jul, 25 11:07

सीए विमल पूनमिया ने कहा कि पारिवारिक व सामाजिक सामंजस्यता सभी समस्याओं का समाधान

सामाजिक संवाद और सामंजस्यता की निरंतरता से दूर होगा तनाव

उदयपुर,  पारिवारिक और सामाजिक प्रगाढ़ता व्यक्ति को एक बेहतरीन सुकून भरी जीवनशैली प्रदान करती है। व्यक्ति जितना अपने परिवार में सकारात्मकता, संवाद और सामंजस्यता बनाए रखेगा, पूरा परिवार खुशहाल और तनावमुक्त रहेगा। यही सकारात्मकता, संवाद, सामंजस्यता व सक्रियता सामाजिक जीवन में भी व्यक्ति के लिए उपयोगी साबित होती है।

यह विचार डॉक्टर्स डे व सीए डे पर महेश सेवा संस्थान चित्रकूट नगर की ओर से मंगलवार देर शाम को आयोजित विशेष सामाजिक व्याख्यान में उभर कर आए। महेश पब्लिक स्कूल के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में रवीन्द्र नाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज के गोल्ड मेडलिस्ट न्यूरोसर्जन डॉ. पंकज सोमानी ने “तनाव एवं निराशा की जिंदगी में सुकून कैसे पाएं” विषय पर प्रेरणादायक व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि आज की आधुनिक जीवनशैली, सामाजिक संवाद की कमी, बढ़ती अपेक्षाएं और अकेलापन तनाव के प्रमुख कारण बनते जा रहे हैं। ये कारण न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी गहराई से प्रभावित करते हैं।

डॉ. सोमानी ने बताया कि तनाव से निपटने के लिए आत्म-विश्लेषण, समय प्रबंधन, माइंडफुलनेस, योग, सामाजिक जुड़ाव और सकारात्मक सोच जैसी दैनिक आदतों को अपनाना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए चिकित्सकों की भूमिका तो महत्वपूर्ण है ही, लेकिन समाज की सामूहिक ऊर्जा, सहानुभूति और अपनापन भी उतने ही आवश्यक हैं। डॉ. सोमानी ने यह संदेश दिया कि यदि हम अपने रोज़मर्रा के जीवन में छोटे-छोटे सकारात्मक बदलाव लाएं, तो हम सुकून, उम्मीद और मानसिक संतुलन पा सकते हैं।

कार्यक्रम में चार्टर्ड अकाउंटेंट और कानून विशेषज्ञ विमल पूनमिया ने "वसीयत व पारिवारिक समझौता" विषय पर सरल और व्यावहारिक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि समय पर वसीयत तैयार करना और आपसी समझ से पारिवारिक निर्णय लेना परिवार की शांति और सामाजिक सद्भाव के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पारिवारिक सामंजस्यता की कमी से बढ़े विवाद को न्यायालय तक ले जाने से पहले परिवार के जिम्मेदार सदस्यों को दस बार सोचकर पारिवारिक स्तर पर ही समझौते के प्रयास करने चाहिए, क्योंकि न्यायालय में जाने के बाद विवाद को सुलझने में लगने वाले समय से हम सभी वाकिफ हैं। उन्होंने बताया कि जितने मामले में वर्तमान में न्यायालयों में लम्बित हैं, यदि आज की तारीख के बाद एक भी मामला न आए तब भी उनको सुलझने में तीन सौ साल से ज्यादा का समय लगेगा, ऐसा एक सर्वे में सामने आ चुका है। और, न्यायालय में जाने पर पारिवारिक कटुता बढ़ती है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता।

कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष राजेश राठी ने की। इस अवसर पर कुल 29 चिकित्सकों और 45 चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में संस्था के उपाध्यक्ष जितेंद्र ईनाणी और लक्ष्मीकांत मूंदड़ा, सह सचिव संजय मालीवाल, सह कोषाध्यक्ष भगवतीलाल धुप्पड़, रामबाबू खटोड़, दामोदर खटोड़, बृजमोहन सोनी सहित संस्था के वरिष्ठ सदस्य अनिल दाखेड़ा, सत्यनारायण गुप्ता, राकेश काबरा, नरेंद्र लावटी, द्वारका प्रसाद सोमानी आदि गणमान्यजन उपस्थित रहे। संस्था के सचिव ललित प्रसाद माहेश्वरी ने सभी का आभार प्रकट किया। संचालन संस्था के कोषाध्यक्ष हितेश भदादा ने किया।


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