नमामि गंगे जल संरक्षण जन अभियान के अंतर्गत प्रतिदिन जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन (रेन वाटर हार्वेस्टिंग) तथा "बावड़ी बचाओ, विरासत बचाओ" जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से परंपरागत जल स्त्रोतों की सफाई एवं संरक्षण का कार्य प्रभावी रूप से किया जा रहा है। यह अभियान जन-जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ लोगों को अपनी जल विरासत से जोड़ने का कार्य भी कर रहा है।
किन्तु यह अभियान तब और अधिक प्रभावशाली बन सकता है जब स्वयं प्रशासनिक अधिकारी आगे आकर इसका नेतृत्व करें। यदि अधिकारीगण अपने निजी एवं शासकीय भवनों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करें और उसकी सूची को सार्वजनिक रूप से प्रतिदिन प्रकाशित करें, तो यह आमजन के लिए एक सशक्त प्रेरणा बन सकती है।
प्रख्यात जल योद्धा और "वॉटर हीरो" डॉ. पी.सी. जैन का मानना है कि –
“जल संरक्षण केवल नीतियों से सफल नहीं हो सकता, इसके लिए नेतृत्वकर्ताओं की व्यक्तिगत भागीदारी और दृश्यमान प्रतिबद्धता अनिवार्य है। जब अधिकारी अपने घर और कार्यालय में जल संचयन की व्यवस्था करते हैं, तो समाज में यह संदेश जाता है कि जल की जिम्मेदारी हम सभी की है।”
डॉ. जैन ने देशभर में सैकड़ों बावड़ियों के पुनर्जीवन और सामुदायिक जल संरचनाओं के विकास के माध्यम से यह सिद्ध किया है कि एक व्यक्ति की पहल भी जनांदोलन का रूप ले सकती है। यदि कलेक्टर, आयुक्त, अभियंता एवं विभागाध्यक्ष स्वयं रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली स्थापित कर उसका प्रदर्शन करें, तो समाज में व्यापक प्रभाव उत्पन्न होगा।
जिलों में प्रत्येक महीने ऐसे भवनों की सूची प्रकाशित कर यह बताया जाए कि कहाँ-कहाँ यह व्यवस्था स्थापित की गई है, तो विद्यालय, कॉलोनी, संस्थान और आमजन भी इस मुहिम से जुड़ने को प्रेरित होंगे।
डॉ. जैन की विचारधारा को साकार करने के लिए अधिकारी अपने व्यक्तिगत कार्यों को सार्वजनिक प्रेरणा में बदल सकते हैं, जिससे वे न केवल नीति निर्माता बल्कि जीवन शैली परिवर्तन के अग्रदूत बन सकें।
आइए, इस अभियान को केवल कार्यक्रम न मानकर एक जन-जीवन की अनिवार्य आदत बनाएं — और यह तभी संभव है जब नेतृत्वकर्ता स्वयं उदाहरण बनें।
"आज की बचाई हर बूंद, कल की जीवन रेखा बन सकती है" — यही है जल योद्धा डॉ. पी.सी. जैन का संदेश।