सतत विकास एवं समावेशी वृद्धि हेतु जैव प्रौद्योगिकी का हस्तक्षेप

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Published on : 08 Jun, 25 09:06

सतत विकास एवं समावेशी वृद्धि हेतु जैव प्रौद्योगिकी का हस्तक्षेप

उदयपुर  / राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक विज्ञान संकाय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से सतत विकास एवं समावेशी वृद्धि हेतु जैव प्रौद्योगिकी का  हस्तक्षेप विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें देशभर के वैज्ञानिक, शिक्षाविद एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए

 कुलपति प्रो. कर्नल एस.एस.सारंगदेवोत्  ने कहा कि बायो ई थ्री अर्थ व्यवस्था, पर्यावरण, रोजगार के अलावा छह कार्य क्षेत्रों पर निर्भर है। जैव विविधता सतत विकास के लिए उत्प्रेरक है। गांधीजी कहा कहते थे किसी भी निर्णय से पहले सोचों क्या इससे सबसे गरीब व्यक्ति को लाभ मिलेगा। यही जैव प्रोद्योगिकी की असली परीक्षा है। जिस तरह से एनवायरमेंटल साइंस और एथिक्स पढ़ना हर एक विद्यार्थी के लिए जरूरी है उसी तरीके विद्यार्थी को बायोटेक्नोलॉजी पढ़ना उसको समझाना बहुत जरूरी है। वर्तमान नवाचार के युग में बायोटेक्नोलॉजी हर एक क्षेत्र में अपनी गहरी पैठ बन चुकी है चाहे वह ऊर्जा के क्षेत्र में हो, खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में हो, या फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में हो।
प्रारंभ में निदेशक डॉ.  सपना श्रीमाली ने अतिथियों का स्वागत करते हुए एक दिवसीय संगोष्ठी की जानकारी दी।

 मुख्य अतिथि के प्रो. अरविंद देशमुख अखिल भारतीय अध्यक्ष, एमबीएसआई ने सेमिनार को संबोधित करते हुए जैव प्रौद्योगिकी भूमिका पर प्रकाश डाला और वर्तमान वैज्ञानिक शोध के सामाजिक प्रभावों की सरहाना की। विशिष्ट अतिथि प्रो. आर. के .गौड़ ने ड्रोन   कृषि और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का कृषि में समन्वय पर अपने विचार प्रस्तुत किये। मुख्य वक्ता प्रो. नितिन देसाई ने अपने विस्तृत व्याख्यान में  बताया कि लेबोरेटरी में की जाने वाली कार्यप्रणाली इंडस्ट्रीज तक पहुंचनी चाहिए और साथ ही उन्होंने बताया कि  जैव प्रौद्योगिकी न केवल वैज्ञानिक नवाचार का माध्यम है बल्कि यह ग्रामीण और सामाजिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में परिवर्तन लाने का भी एक सक्षम उपकरण बन सकती है संगोष्ठी में रजिस्ट्रार डॉ. तरुण श्रीमाली, पीठ स्थविर डाॅ. कौशल नागदा, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, डॉ. मंगल श्री दुलावत, डॉ भावेश जोशी, डॉ. उत्तम शर्मा, डॉ . योगिता श्रीमाली, डॉ. पूजा जोशी, डॉ. लोकेश सुथार, लालिमा शर्मा, शक्ति का चैधरी, डॉ. हिमानी वर्मा,  सहित संकाय के अन्य सदस्य, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित थे। संचालन सिद्धिमा शर्मा ने किया जबकि आभार डाॅ. खुशबू जैन ने जताया।


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