उदयपुर : प्राकृतिक संसाधनों का न्यूनतम दोहन करते हुए अधिकतम लाभ प्राप्त करने की तकनीकों से ही जैव विविधता पर संकट कम होगा। यह विचार नेशनल बायोडायवर्सिटी ऑथोरिटी की वरिष्ठ विशेषज्ञ सदस्य डॉ. गौरी जोशी ने विद्याभवन पॉलिटेक्निक में आयोजित वार्षिक समारोह " हार्मनी" में व्यक्त किए। डॉ गौरी ने कहा कि जीवन के हर क्षेत्र में हमें अपना कार्बन फुटप्रिंट न्यूनतम करना चाहिए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि , प्रसिद्ध उद्योगपति , शिक्षाविद ,विद्या भवन के अध्यक्ष डॉ जितेंद्र कुमार तायलिया ने कहा कि तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने का मुख्य उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक प्रगति तथा पर्यावरण की सुरक्षा होना चाहिए।
विशिष्ठ अतिथि प्रताप गौरव केंद्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने कहा कि महाराणा प्रताप का शासन काल वीरता तथा स्वातंत्र्य प्रेम के साथ साथ इंजीनियरिंग का भी उत्कृष्ट उदाहरण रहा है।। उन्होंने कहा कि कृषि व सिंचाई तकनीकी, टाऊन प्लानिंग, जल प्रबंधन व फ़िल्टरेशन इत्यादि क्षेत्रों में महाराणा प्रताप का उल्लेखनीय योगदान रहा है।
प्रारंभ में प्राचार्य डॉ अनिल मेहता ने जैव विविधता संरक्षण में विद्या भवन के योगदान पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में उद्योगपति व विद्याभवन के उपाध्यक्ष हंसराज चौधरी ,शिक्षाविद पुष्पा शर्मा, प्रो अरुण चतुर्वेदी, प्रो अनिल कोठारी , हरीश माथुर, नवीन व्यास, रेवती रमण श्रीमाली , बसंत दक एवं शहर के कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
इस अवसर पर विद्यार्थियों ने रंगारंग प्रस्तुतियां दी। अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को विदाई दी गई। समन्वयन प्रकाश सुंदरम ने किया