उदयपुर में 25 से 31 मई तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन

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Published on : 25 May, 25 06:05

-राकेश मिश्रा महाराज करेंगे कथा वाचन -सहस्त्र औदीच्य धर्मशाला, छोटी ब्रह्मपुरी में होगा प्रतिदिन तीन घंटे का आध्यात्मिक प्रवाह

उदयपुर में 25 से 31 मई तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन

उदयपुर। भागवत सत्संग परिवार के तत्वावधान में शहर में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन 25 मई से 31 मई 2025 तक सहस्त्र औदीच्य धर्मशाला, छोटी ब्रह्मपुरी, उदयपुर में होगा। प्रतिदिन शाम 4 बजे से 7 बजे तक आयोजित होने वाली इस कथा के कथावाचक पं. राकेश मिश्रा महाराज होंगे, जो भागवत पुराण के विविध प्रसंगों का भावपूर्ण वाणी से वर्णन करेंगे।
संयोजक सुनील व्यास ने बताया कि 25 मई को प्रथम दिवस पर कथा का शुभारंभ दोपहर 1 बजे सत्यनारायण मंदिर से दिव्य कलश यात्रा के साथ होगा, जो नगर के विभिन्न मार्गों से होते हुए कथा स्थल तक पहुंचेगी। इसके उपरांत श्रीमद् भागवत महात्म्य की कथा सुनाई जाएगी, जिसमें भागवत की महिमा और उसके शुद्धि व मोक्षदायक स्वरूप पर प्रकाश डाला जाएगा। 26 मई द्वितीय दिवस पर राजा परीक्षित की कथा के साथ शुकदेव एवं परीक्षित संवाद की प्रेरणादायी चर्चा होगी। साथ ही शिव-पार्वती विवाह का भावविभोर कर देने वाला सजीव चित्रण भी प्रस्तुत किया जाएगा।
27 मई को तीसरे दिन ध्रुव चरित्र, जड़ भरत कथा, अजामिलोपाख्यान तथा नरसिंह भगवान की लीला का सजीव वर्णन किया जाएगा, जो जीवन में भक्ति, विवेक और परमात्मा की कृपा का महत्व दर्शाएंगे। 28 मई को चौथे दिन गजेंद्र मोक्ष की मार्मिक कथा, समुद्र मंथन की गूढ़ गाथा, वामन अवतार, श्रीराम अवतार एवं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव जैसे उत्सवी प्रसंगों का जीवंत चित्रण किया जाएगा।
इसी तरह, 29 मई को पांचवें दिन श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं, विशेष रूप से माखन चोरी और गोवर्धन लीला को नाट्य रूप में सजीव रूप से प्रस्तुत किया जाएगा, जो भक्तों को बाल रूप श्रीकृष्ण के सान्निध्य का अनुभव कराएगा। 30 मई को छठे दिन रासलीला, कंस वध, उद्धव-गोपी संवाद तथा भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह की भावप्रवण कथा प्रस्तुत की जाएगी। ये प्रसंग भक्ति, प्रेम और आत्मसमर्पण की उत्कृष्ट मिसाल के रूप में श्रवण कराए जाएंगे।
31 मई पूर्णाहुति पर भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न विवाहों की कथा, जरासंध वध, शिशुपाल एवं दंतवक्र उद्धार, सुदामा चरित्र एवं राजा परीक्षित के मोक्ष का प्रसंग होगा। कथा का समापन मंगलमयी आरती एवं महाप्रसाद वितरण के साथ होगा।


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