अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर उदयपुर में हुई राष्ट्रीय कार्यशाला

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Published on : 24 May, 25 10:05

जैव विविधता को संरक्षित कर आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना सामूहिक जिम्मेदारी - तन्मयकुमार

अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर उदयपुर में हुई राष्ट्रीय कार्यशाला

उदयपुर से हुआ विश्व स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करने के अभियान का शुभारंभ

उदयपुर। झीलों की नगरी उदयपुर गुरूवार को एक और राष्ट्रीय कार्यक्रम की साक्षी बनी। वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण, राजस्थान वन विभाग एवं राजस्थान राज्य जैव विविधता बोर्डके संयुक्त तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 2025 के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन गुरूवार को उदयपुर स्थित रेडिसन ब्ल्यू में हुआ। कार्यशाला में आगामी विश्व पर्यावरण दिवस के मद्देनजर विश्व स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करने के अभियान का भी शुभारंभ किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवसके उपलक्ष्य में आयोजित नेशनल कंवेंशन में वक्ताओं ने जैव विविधता का संरक्षण और संवर्द्धन करते हुए उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए सामूहिक उत्तरदायित्व पर बल दिया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव तन्मय कुमार ने कहा कि भारत जैव विविधता की दृष्टि की समृद्ध है। यहां हजारों प्रजातियों के पेड़-पौधे तथा जीव-जन्तु पाए जाते हैं, जो पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाए हुए हैं। हमारा सामूहिक उत्तरदायित्व है कि हम इनका संरक्षण कर उन्हें आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष जैव विविधता दिवस की थीम प्रकृति से सांमजस्य एवं सतत विकास रखी गई है। इसी अवधारणा पर चलते हुए हमें जैव विविधता संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ना है। उन्होंने महात्मा गांधी के वक्तव्य का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रकृति हमारी आवश्यकताओं को पूरा कर सकती है, लेकिन इच्छाओं को नहीं। इसलिए प्रकृति का दोहन आवश्यकताओं के लिए ही होना चाहिए, कभी न खत्म होने वाली इच्छाओं के लिए नहीं।
उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में देश समन्वित रूप से विकास कर रहा है। इसमें पर्यावरण और जैव विविधता को भी संबल मिला है। प्रधानमंत्री श्री मोदी की ओर से प्रारंभ किया गया एक पेड़ मां के नाम अभियान नए कीर्तिमान स्थापितकर चुका है। कार्यक्रम को वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अमनदीप गर्ग, महानिदेशक एवं विशिष्ट सचिव वन सुशीलकुमार अवस्थी, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण के अध्यक्ष सी अचलेंद्र रेड्डी ने भी संबोधित किया। प्रारंभ में राजस्थान जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव आर एन मीणा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए राजस्थान में जैव विविधता संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों से अवगत कराया। अंत में राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण के सदस्य सचिव डॉ बी बालाजी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यशाला में केंद्रीय वन मंत्रालय, वन विभाग राजस्थान, जैव विविधता प्राधिकरण के अधिकारी, पर्यावरण से जुड़ी विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी, पर्यावरणविद् आदि उपस्थित रहे।

रामसर सूची में शामिल होने पर उदयपुरवासियों को दी बधाई
सचिव तन्मय कुमार ने कहा कि उदयपुर का रामसर शहरों की सूची में शामिल होना पूरे देश के लिए गौरव की बात है। इसके लिए उदयपुरवासियों को कोटिशः बधाई। उन्होंने कहा कि यह किसी एक व्यक्ति या विभाग के प्रयासों का परिणाम नहीं है। यह सभी की सामूहिक उपलब्धि है। प्रकृति संरक्षण में आमजनकी सक्रिय भागीदारी और योगदान से ही यह संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान जैव विविधताओं की धरती हैं। यहां विश्व धरोहर में शामिल केवलादेव घना पक्षी विहार है तो मरू मरूस्थल भी है। यह दोनों स्थल पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता की दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण हैं।

एक्शन प्लान, बुकलेट और ब्रॉशर्स का विमोचन
कार्यक्रम में अतिथियों ने जैव विविधता से जुड़े एक्शन प्लान, बुकलेट और ब्रॉशर्स का विमोचन किया। अतिथियों ने अपडेटेड नेशनल बायोडायवर्सिटी स्ट्रेटेजी एण्ड एक्शन प्लान 2024-2030, कॉम्पेंडियम ऑफ बायोडायवर्सिटी हेरिटेज ऑफ इण्डिया पुस्तक तथा प्रिपरेशन ऑफ इंडियाज सेवन्थ रिपोर्ट, सर्टिफिकेट प्रोग्राम इन बिजनेस एण्ड बायोडायवर्सिटी कंजर्वेशन बॉशर्स का विमोचन किया।

प्रदर्शनी का उद्घाटन, अवलोकन
कार्यक्रम से पूर्व मुख्य अतिथि श्री तन्मय कुमार सहित अन्य नेआयोजन स्थल पर जैव विविधता और जैव संसाधन प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इसमें राजस्थान सहित मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडू राज्यों में जैव विविधता संरक्षण गतिविधियों तथा उत्पादों को प्रदर्शित किया गया। अतिथियों सहित सभी आगंतुक प्रदर्शनी का अवलोकन कर भारत की समृद्ध जैव विविधता और वन संपदा से रूबरू हुए।


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