हमारी संस्कृति ‘सर्वहित सर्वोपरि’ की, इसी मूल मंत्र को अपनाकर करें कार्य -बिरला

( 1668 बार पढ़ी गयी)
Published on : 22 May, 25 05:05

 नयापुरा और रामपुरा में सामाजिक कार्यकर्ताओं व प्रबुद्धजनों से संवाद

हमारी संस्कृति ‘सर्वहित सर्वोपरि’ की, इसी मूल मंत्र को अपनाकर करें कार्य -बिरला

के डी अब्बासी 

कोटा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को नयापुरा और रामपुरा क्षेत्र में आयोजित संवाद कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ताओं, प्रबुद्ध नागरिकों से भेंट की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जनसेवा केवल एक ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि यह भारत की संस्कृति और जीवन-दर्शन का आधार है। उन्होंने कहा, हमें गरीब को गणेश मानकर उनकी सेवा करनी है। यह हमारी परंपरा है कि हम समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति के लिए भी संवेदनशील रहें।

बिरला ने कहा कि समाज के प्रत्येक अभावग्रस्त व्यक्ति की चिंता करना हमारा कर्तव्य है। लोकतंत्र में वैचारिक मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन विकास की दृष्टि से कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। हमारी विचारधारा भिन्न हो सकती है, लेकिन हमारी कार्य संस्कृति में ‘सर्वहित सर्वोपरि’ का भाव सर्वोच्च होना चाहिए। यही लोकतंत्र की आत्मा है।

 

उन्होंने स्पष्ट कहा कि जनता ने उन्हें जो दायित्व सौंपा है, वह केवल सत्ता का नहीं बल्कि सेवा का माध्यम है। कोटा-बूंदी क्षेत्र की जनता को बेहतर सुविधाएं, समान अवसर और समावेशी विकास देना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।

 

बिरला ने सामाजिक कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे समाज में समरसता, सहयोग और सेवा की भावना को मजबूत करें। सेवा, समर्पण और सकारात्मक परिवर्तन, यही हमारे कार्य का आधार होना चाहिए।

 

बिरला ने आश्वस्त किया कि आने वाले समय में कोटा-बूंदी क्षेत्र की प्रत्येक समस्या का समाधान प्राथमिकता से किया जाएगा, और क्षेत्र के समग्र विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.