उदयपुर : पेसिफिक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पिम्स), हॉस्पिटल, उमरड़ा उदयपुर में चिकित्सकों ने बार-बार फेफड़ों के संक्रमण के अनोखे मामले का सफलतापूर्वक समाधान किया है।
चेयरमैन आशीष अग्रवाल ने बताया कि गत दिनों एक मरीज कई सप्ताह से सांस की तकलीफ और लगातार खांसी की शिकायत के चलते पिम्स हॉस्पिटल में उपचार के लिए आया। प्रारंभिक जांच में सीने के एक्स-रे से कोई स्पष्ट निदान नहीं मिला। इसके बाद उच्च-रिज़ॉल्यूशन सीटी (HRCT) स्कैन किया गया। HRCT में बाएं फेफड़े के ऊपरी हिस्से में कैविटी, निचले हिस्से में ब्रोंकियेक्टैसिस और दाएं निचले हिस्से में ग्राउंड-ग्लास ओपेसिटी पाई गई, जिससे किसी संक्रामक या सूजनजन्य कारण की आशंका हुई। तथ्य जानने के लिए फ्लेक्सिबल ब्रोंकोस्कोपी की गई, जिसे पिम्स हॉस्पिटल के अनुभवी रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग की टीम द्वारा किया गया।
इस टीम में फैकल्टी सदस्य डॉ. सानिध्य टाक, डॉ. करण सिंघल, डॉ. दीक्षांत चौधरी, डॉ. अनिरुद्ध के साथ-साथ पीजी छात्र डॉ. गुरमिहर सिंह, डॉ. अर्पित जौहर, डॉ. गौरांग और डॉ. शुभनिश चौधरी शामिल थे। ब्रोंकोस्कोपी के दौरान चौंकाने वाली बात सामने आई कि दाएं फेफड़े के निचले हिस्से की ब्रोंकस में एक मूंगफली फंसी हुई थी। आमतौर पर ऐसे मामलों में रीजिड ब्रोंकोस्कोपी और जनरल एनेस्थीसिया की आवश्यकता होती है, लेकिन इस केस में बिना किसी बेहोशी के फ्लेक्सिबल ब्रोंकोस्कोपी से डॉमिया बास्केट द्वारा मूंगफली को सुरक्षित रूप से निकाल लिया गया।
फ़ौरन बौडी को हटाने के बाद मरीज की सभी लक्षण जैसे खांसी और सांस की तकलीफ पूरी तरह समाप्त हो गए और वह ऑक्सीजन थेरेपी से मुक्त हो गया। चेयरमैन आशीष अग्रवाल के नेतृत्व में यह मामला न केवल एक चिकित्सकीय उपलब्धि रहा, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वयस्कों में अस्पष्ट फेफड़ों की तकलीफ के मामलों में विदेशी वस्तु का संदेह हमेशा बनाए रखना चाहिए।
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