तपीश
गर्म हवाओं से
झुलस्ता हुआ मजदूर
पेट की आग को
शांत करने
निकल पड़ता मजदूरी को
शीतल छांव नहीं
फिर भी वह रुकता नहीं
निरंतर बढ़ता चलता
पसीना उसे नहला देता
लेकिन पेट की आग को शांत करने
गर्म हवाओं से भी वह मुकाबला
कर ही जाता
प्रेरणाश्री गौड़
जोधपुर राजस्थान
साभार :
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