उदयपुर में 18 मंदिरों में आयोजित प्राकृत विद्या शिक्षण शिविर का भव्य सामूहिक समापन एवं सम्मान समारोह संपन्न’

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Published on : 19 May, 25 16:05

उदयपुर में 18 मंदिरों में आयोजित प्राकृत विद्या शिक्षण शिविर का भव्य सामूहिक समापन एवं सम्मान समारोह संपन्न’

उदयपुर। प्राकृत भाषा विकास फाउंडेशन एवं अखिल भारतीय दिगंबर जैन शास्त्री परिषद के तत्वावधान में उदयपुर के 18 मंदिरों में आयोजित प्राकृत विद्या शिक्षण शिविर का भव्य सामूहिक समापन एवं सम्मान समारोह आदिनाथ भवन सेक्टर 11 में परम पूज्य प्राकृताचार्य सुनील सागर जी महाराज के आशीर्वाद एवं सानिध्य में हर्षाेल्लास से सम्पन्न हुआ।
शिविर संयोजक रितेश जैन ने बताया कि शिविर में सभी समाजजनो के लिए प्राकृत भाषा का प्रारंभिक ज्ञान,जैन संस्कार एवं प्राकृत के नीति ग्रंथों आदि का शिक्षण भारत के विभिन्न शहरों से पधारे विद्वान शिक्षकों द्वारा कराया गया जिसमें उदयपुर के 1200 शिविरार्थीयो द्वारा अत्यंत उत्साहपूर्वक प्राकृत भाषा का ज्ञानार्जन किया गया।
शिविर के राष्ट्रीय संयोजक डॉ आशीष जैन आचार्य ने बताया कि समारोह की शुरुआत सकल दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष शांतिलाल जी वेलावत,आदिनाथ चेरिटेबल ट्रस्ट सेक्टर 11 के पारस चित्तौड़ा,कमल कांत जोलावत,अशोक शाह,भंवरलाल मुंडलिया,भगवतीलाल रजावत,विनोद रजावत, राजकुमार फत्तावत,अरुण मांडोत सहित सभी पदाधिकारियों एवं आमंत्रित अतिथियों द्वारा चित्र अनावरण,दीप प्रज्ज्वलन एवं पूर्वाचार्यों कोे अर्घ समर्पण कर कार्यक्रम को विधिवत प्रारंभ किया गया किया।
समाज के विभिन्न जैन पाठशालाओं के विद्यार्थियों द्वारा प्राकृत भाषा की थीम पर मंगलाचरण एवं अन्य आकर्षक प्रस्तुतियां दी गई।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य सुनील सागर महाराज ने बताया कि प्राकृत भाषा हमारी मूल भाषा है,जिससे अन्य भाषाओं का जन्म हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में भारत सरकार ने प्राकृत भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया है।प्राकृत भाषा जन जन की बोली की भाषा रही है,इस भाषा के प्रचार प्रसार के लिए संपूर्ण देश में इसी प्रकार से शिविरो के आयोजन किये जाने चाहिए।
प्राकृताचार्य सुनीलसागर जी में प्राकृत भाषाएं में 10 ग्रन्थ लिखें है।गुरुदेव के आशीर्वाद एवं निर्देशन में समाज के सहयोग से अगले वर्ष सम्पूर्ण भारतवर्ष के 1008 स्थानों पर मई एवं जून माह में प्राकृत विद्या शिक्षण शिविर आयोजित किए जाएंगे।
समन्वयक धरनेंद्र शास्त्री ने बताया कि शिविर में प्रथम,द्वितीय एवं तृतीय आने वाले शिविरार्थियों को आकर्षक पुरस्कार,मेडल एवं सर्टिफिकेट द्वारा सम्मानित किया गया।
साथ शिविर के सभी स्थानीय संयोजकों एवं विद्वानों का शाल,पगड़ी,प्रशस्ति पत्र द्वारा अभिनंदन किया गया।


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