एराम फरीदी द्वारा निर्मित लघु फिल्मों का यह संग्रह तीन अलग-अलग कहानियों को प्रस्तुत करता है, जो समान मानवीय संवेदना से जुड़ी हैं। इस संग्रह में शामिल तीन फिल्में - फेडोराज़ रिंकल्स, नैना और मीट मिस्टर चांग - समाज से जुड़ी संवेदनाओं की आवाज़ बनाती हैं।
फेडोराज़ रिंकल्स: एक वृद्ध महिला की कहानी
फेडोराज़ रिंकल्स का निर्देशन अश्विन कौशल ने किया है। यह कहानी फेडोरा गोम्स नामक एक वृद्ध महिला की है, जो अपने अतीत और सामाजिक पहचान से जूझती है। सुष्मिता मुखर्जी ने इस भूमिका को बेहद सजीवता से निभाया है, और उनके चेहरे की हर झुर्री मानो एक बीते युग की कहानी कहती है। अली असगर और मनीष वधवा ने सहायक भूमिकाओं में संजीदगी लाई है।
नैना: एक ग्रामीण लड़की की कथा
नैना का निर्देशन सुमन गुहा ने किया है। यह एक ग्रामीण लड़की की कथा है जो अपनी आंतरिक रोशनी से सामाजिक अंधकार को चुनौती देती है। हीरा सोहल ने इस भूमिका में सहजता और मार्मिकता के साथ जीवन डाला है। इस फिल्म में कलाकार विपिन भारद्वाज का अभिनय सराहनीय है। राजस्थान की ग्रामीण पृष्ठभूमि, सादगीपूर्ण चित्रण और भावनात्मक संवाद इस फिल्म को विशेष बनाते हैं।
मीट मिस्टर चांग: एक चीनी मूल के व्यक्ति की कहानी
मीट मिस्टर चांग का निर्देशन अश्विन कौशल ने किया है। यह फिल्म भारत में रह रहे एक चीनी मूल के व्यक्ति की कहानी कहती है, जिसे महामारी के दौरान नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ता है। चिएन हो लियाओ ने मिस्टर चांग की भूमिका को बेहद शांत, गहरे और असरदार तरीके से निभाया है।
संग्रह की विशेषता
इस संग्रह की विशेषता है इसकी सच्चाई, सरलता और भावनात्मक ईमानदारी। यह संग्रह दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है और नारीवाद, पहचान, भेदभाव और आत्मसम्मान जैसे विषयों पर गहरे संवाद स्थापित करता है।