ऑपरेशन सिंदूर पर काव्यगोष्ठी

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Published on : 19 May, 25 05:05

बता दिया दुश्मन को हमने , क्या होता सिंदूर है

ऑपरेशन सिंदूर पर काव्यगोष्ठी

कोटा / आर्यन लेखिका मंच कोटा द्वारा शनिवार को गायत्री विहार, बजरंग नगर में ऑपरेशन सिंदूर पर  राष्ट्रभक्तिपूर्ण कविताओं की  काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया।
" बता दिया दुश्मन को हमने , क्या होता सिंदूर है। रिपु दमन को निकल पड़े हैं,लक्ष्य नहीं अब दूर है। " इस कविता को जब  पल्लवी दरक न्याती ने सुनाया तो श्रोताओं ने तालियों से भरपूर दाद दी। ऐसे ही स्वर थे नीलाक्षी श्रीवास्तव के "जल चुकी प्रचंड ज्वाल चंडिका संभाल लो, रक्तबीज के रुधिर को कंठ में उतार लो" पर भी तालियां खूब बजी। काव्यगोष्ठी में राष्ट्रभक्तिपूर्ण कविताओं ने खूब रंग बिखेरा।
   " छीना ललनाओ का सिंदूर ,अब तुम्हें तंदूर में भुनेंगे । ऐसा हश्र करेंगे अब , सदियों तक ना भूलेंगे " पर डॉ. श्रीमती युगल सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर कविता पर खूब दाद बटोरी।
रघुनंदन हटीला की कविता " धर्म पूछ कर ली है जान,कब तक अत्याचार सहेगा हिंदुस्तान,
ऐसा सबक सिखाओ यारों जो सदियों याद रखे पाकिस्तान " भी श्रोताओं के दिल को छू गई।
      रामेश्वर शर्मा ' रामू भैया' की कविता "मातृ शक्ति ने थाम लिया जब परचम स्वाभिमान का, नया दौर शक्तिशाली होगा ,अपने भारत महान का", राम शर्मा 'काप्रेन' की कविता " हमने बदली सोच अब, हिंद नहीं कमजोर,
ध्वस्त धारणा को किया, प्रत्युत्तर पुरजोर",
अरविंद पाण्डेय की कविता, " अरविंद पांडे जी ने 71 के युद्ध को याद करते हुए अपने पिता द्वारा लिखित तत्कालीन समय की एक कविता , " देख लिया हमने पानी पाकिस्तान का, अमेरिका से भीख मांग कर लाया भुट्टो,  कर आया सौदा अपने स्वाभिमान का, भगवती प्रसाद गौतम की कविता "बाहें भी अंबर सी ऊंची और ममता की झोली मां ,भुला ना पाऊं मैं सूरत उसकी , कुमकुम और रोली मां ", जितेंद्र निर्मोही की कविता ,"गोविंदा की कसम तुम्हें उठाना ही पड़ेगा, इस देश के हालात तुम्हें बदलना ही पड़ेगा ", योगिराज योगी की कुंडलियां, " हमने हर बार तुझे रोका है, गलत काम करने से  टोका है , फिर भी हरकतें ना पाक तेरी,सुधर जा अब भी मौका है " ने भी स्रोतों को खूब गुदगुदाया।
      डॉक्टर अपर्णा पाण्डेय की कविता " तुम उठो ऊंचे कि जितने ,शान से ऊंचा हिमालय,
या कि फ़िर आकाश के जैसे बनो विस्तृत हिमालय ", प्रतिभा शर्मा की कविता "कैसे, क्या लिखूॅं उस माॅं पर, जिसने मुझको जन्म दिया पाला पोसा और बड़ा किया", रेखा पंचौली की कविता "कौन कहता है कि यह स्वर्ग नहीं है , मैं तो कहती हूं स्वर्ग यही हैं यही हैं यही हैं ", साधना शर्मा की कविता " मेरे देश का कैसा यहाँ बिगड़ा हुआ है हाल, कोई तो राम कृष्ण बनकर दिखा दो कमाल, आओ मेरे कान्हा आओ मेरे राम", रश्मि वैभव गर्ग की कविता "कदाचित् !साथ रहना हमारी नियति नहीं है,पर..तुम्हारे दीर्घायु होने की कामना,
मेरे अधिकार क्षेत्र में है ", दीप्ति सिंह हाड़ा की कविता "नटखट मोरे श्याम अंगना में आए,चलत उठत, गिरत, पैजनिया बजाए,  शोभा वरन न जाए प्रभु की चंदनिया शर्माए ‌",  वंदना शर्मा की कविता  "नहीं बचाया पेड़ो को हमने धरा पे जीवन नहीं बचेगा, अगर न होगा धरा पे ही जल, तो कल सुहाना नहीं बचेगा", 
अन्जना मनोज गर्ग की कविता "चाय 'च' से 'चलो सब','आय' से फिर मैं भी 'आती हूँ',
बलिहारी इस चाय की ,जो सबको मित्र बनाती है, साथ बिठाती और हँसाती है", डॉ इंदु बाला शर्मा की कविता "सृष्टा ने एक अनुपम कृति बनाई है ,जिसमें जग की दिव्य आभा समाई है" ने भी अच्छा रंग जमाया। श्याम शर्मा और नहुष शर्मा आदि ने भी काव्य पाठ किया।
गतिविधियों का वार्षिक कलेंडर बनाए :
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     काव्यगोष्ठी के अवसर पर प्रारंभ में अध्यक्ष रेखा पंचोली और उपाध्यक्ष डॉ. अपर्णा पाण्डेय द्वारा इस वर्ष की गठित नई कार्यकारिणी के पदाधिकारियों और सदस्यों का माल्यार्पण कर सम्मान किया गया और परिचय दिया गया। रेखा पंचोली ने संस्था के उद्देश्य बताते हुए कहा कि संस्था ने सफलता पूर्वक चार वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। संस्था में कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ की रचनाकार शामिल हैं।
      अध्यक्षता करते हुए  साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही ने कहा यह दशक हाड़ौती अंचल की लेखिकाओं के नाम होगा ।  निरंतर साहित्यिक आयोजन और उनकी बानगी यही दर्शाती है। पिछले दिनों हाड़ोती की महिला रचनाकारों के साहित्यिक अवदान पर कृति " नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान" ने महिला रचनाकारों में हौंसला बढ़ाया है और शिखा अग्रवाल की संपादित कृति " शृंगार " आई जिसकी रचनाओं में भी महिला वर्चस्व  और उनका स्पष्ट है। महिला साहित्यकारों को ले कर कई नए कार्य किए जा रहे हैं। मुख्य अतिथि रामेश्वर शर्मा ' रामू भैया ' ने कहा कि  संस्था को राज्य स्तरीय स्वरूप प्रदान कर अधिक से अधिक महिलाओं की भागीदारी जोड़े। विशिष्ठ अतिथि भगवती प्रसाद गौतम ने  खुशी जाहिर की कि महिला रचनाकारों की यह संस्था साहित्य के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य कर रही है। विशिष्ठ अतिथि और मंच के मार्गदर्शक डॉ. प्रभात कुमार सिंघल ने संस्था की गतिविधियों का वार्षिक कलेंडर तैयार कर योजनाबद्ध कार्य करने और उपलब्धियों की एक स्मारिका के प्रकाशन का सुझाव दिया। अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उपाध्यक्ष डॉ. अपर्णा पाण्डेय ने सभी का आभार व्यक्त किया।
 


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