उदयपुर । पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के कान नाक एवं गला रोग विभाग के चिकित्सकों ने 3 साल की बच्ची की श्वास नली में फॅसी मूॅगफली को निकाल कर उसे नया जीवन दिया।
दरअसल राजसमन्द निवासी 3 बर्षीय बच्ची शिवन्या ने एक साथ 25 से 30 मूॅगफली के दाने एक साथ खा लिए। खाते समय मूॅगफली के एक दाना श्वास नली में फॅस गया। जिसके कारण उसे बुखार आ गया और सीने में दर्द एवं गलें में सूजन के साथ साथ श्वास लेने में दिक्कत होने लगी। बच्चे को परिजन स्थानीय चिकित्सक के यहॉ ले गए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। फिर परिजन उसे पीएमसीएच लेकर आए।
पीएमसीएच में कान नाक एवं गला रोग विशेषज्ञ डॉ.शिव कौशिक ने तर्परता दिखाते हुए तुरन्त बच्चें की सीटी स्कैन जॉच कराई तो पता चला कि बच्ची के दोनो फेफडो की मुख्य श्वास की नली में कुछ बीज जैसा फॅसा हुआ है जिसके कारण उसे श्वास लेने में तकलीफ हो रही है।
चिकित्सकों की टीम ने बिना समय गॅवाए बच्ची की बॉन्कोस्कापी करने का निर्णय लिया एवं सफलता पूर्वक मूॅगफली को निकाल लिया गया। इस सफल ऑपरेशन में कान,नाक एवं गला रोग विभाग के डॉ.शिव कौशिक,डॉ.रिचा गुप्ता,डॉ.महेश,डॉ.श्वेता डॉ.दृष्टि,डॉ.रुचिका,डॉ.इशिता,डॉ.अनिल,सुभाष शर्मा,दिनेश,हीरालाल एवं टीम का सहयोग रहा। बच्ची की पीआईसीयू देखभाल में डॉ. पुनीत जैन, डॉ. पलक एवं उनकी समर्पित टीम की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
कान,नाक एवं गला रोग विशेषज्ञ डॉ.शिव कौशिक ने बताया कि आमतौर पर इस तरह की समस्या होने पर डॉक्टर ऑपरेशन कर उस चीज को बाहर निकाल देते हैं। लेकिन बच्चे की कम उम्र को देखते हुए ऐसा करना बिल्कुल भी संभव नहीं था। इसके बाद चिकित्सको की टीम ने बच्चे को बेहोश कर दूरबीन द्वारा उसके मुंह के रास्ते से श्वास नली के अन्दर फॅसी हुई मूॅगफली को बाहर निकाला।
डॉ.शिव कौशिक ने स्पष्ट किया कि पांच साल से छोटे बच्चों को चने, बादाम, ड्राई फ्रूट, मूंगफली के दाने से हमेशा दूर रखना चाहिए। ये ही सांस की नली में फंस जाएं तो फूलकर बड़े हो जाते हैं। गले के अंदर रास्ता छोटा होता है। ऐसी स्थिति में दानों को निकालना मुश्किल हो जाता है। ऐसे केस में 100 में से 1 बच्चे की जान भी जा सकती है। कभी ऐसी स्थिति किसी बच्चे के साथ हो जाए और सांस में रुकावट आने लगे या होंठ नीले पड़ने लगे या छाती अंदर की तरफ जाने लग जाएं। ऐसे लक्षण दिखे तो तुरन्त चिकित्सक से सम्पर्क करें।
पीएमसीएच के एक्जीक्यूटिव डॉयरेक्टर अमन अग्रवाल ने बताया कि हॉस्पिटल के कान,नाक एवं गला रोग विभाग में विश्वस्तरीय अत्याधुनिक उपकरणों के साथ ही विशेषज्ञ चिकित्सको की टीम के चलते ने विगत डेढ़ साल में ऐसे लगभग 100 से ज्यादा बच्चों की श्वास नली में फॅसें सेल,एलईडी बल्ब,मक्की का दाना आदि को निकाल कर उन्हे नया जीवन दिया है। परिजनों ने पीएमसीएच के चेयरमेन राहुल अग्रवाल,सभी चिकित्सकों,मैनेजमेंट, नर्सिंग कर्मियों एवं स्टाफ का आभार जताया।