कला साहित्य,संगीत,, शिक्षा दर्शन  एवं आधुनिक भारत निर्माण मे रबिन्द्रनाथ टेगोर का योगदान” विषय पर संवाद कार्यक्रम।

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Published on : 08 May, 25 08:05

कला साहित्य,संगीत,, शिक्षा दर्शन  एवं आधुनिक भारत निर्माण मे रबिन्द्रनाथ टेगोर का योगदान” विषय पर संवाद कार्यक्रम।

आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम की श्रंखला अंतर्गत राजकीय सार्वजनिक मण्डल  पुस्तकालय कोटा मे गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टेगोर की 164 वीं जयंती पर “कला,साहित्य,संगीत शिक्षा दर्शन  एवं आधुनिक भारत निर्माण मे रबिन्द्रनाथ टेगोर का योगदान” थीम पर डॉ एस.आर. रंगानाथन कंवेशनल सभागार मे संवाद कार्यक्रम सम्पन्न हुआ |

जिसमे मुख्य अतिथि राजू गुप्ता , पूर्व सी.ई.ओ फीदरलाईट समूह एवं पर्यावरणविद , अध्यक्षता  बिगुल जैन उप मुख्य अभियंता (सेवानिवृत) तापीय परियोजना  ,  गेस्ट ऑफ ऑनर एवं विशिष्ट अतिथि डा मनीषा मूदगल एसोशिएट प्रोफेसर ( पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान), एवं नरेंद्र शर्मा अधिवक्ता उच्चतम न्यायालय रहे ।  

डॉ दीपक कुमार श्रीवास्तव मण्डल पुस्तकालयाध्यक्ष ने कहा कि - गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टेगोर एक प्रसिद्ध कवि, लेखक, नाटककार, संगीतकार, दार्शनिक, समाज सुधारक और चित्रकार थे जो मानवता एवं प्रकृति प्रेम मे अटूट आस्था रखते थे जिसका परिणाम ही था उनके द्वारा स्थापित शांति निकेतन । जिसमे गुरुकुल की भांति शिक्षा व्यवस्था प्रक़्रति के बीच पेड के नीचे दी जाती है । वह मानवता को राष्ट्रीयता से भी उपर रखते थे ।

            इस अवसर पर मुख्य अतिथि राजू गुप्ता ने कहा कि – “गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टेगोर ने बांग्ला साहित्य के ज़रिये भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नई जान डाली। वे एकमात्र कवि हैं जिनकी दो रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनीं। भारत का राष्ट्रगान जन-गण-मन और बांग्लादेश का राष्ट्रगान आमार सोनार बांग्ला गुरुदेव की ही रचनाएं हैं।

            अध्यक्षता कर रही बिगुल जैन ने कहा कि – “साहित्य की शायद ही ऐसी कोई विधा है, जिनमें उनकी रचना न हो - गान, कविता, उपन्यास, कथा, नाटक, प्रबंध, शिल्पकला, सभी विधाओं में उनकी रचनाएं विश्वविख्यात हैं। उनकी रचनाओं में गीतांजली, गीताली, गीतिमाल्य, कथा ओ कहानी, शिशु, शिशु भोलानाथ, कणिका, क्षणिका, खेया आदि प्रमुख हैं।‘

            विशिष्ट अतिथि डॉ मनीषा मूदगल ने कहा कि - गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टेगोर एक अच्छे अनुवादक भी थे उन्होंने कई किताबों का अनुवाद अंग्रेज़ी में किया। अंग्रेज़ी अनुवाद के बाद उनकी रचनाएं पूरी दुनिया में फैली और मशहूर हुईं। गेस्ट ऑफ ऑनर नरेंद्र शर्मा ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला | कार्यक्रम का संचालन रामनिवास धाकड़ परामर्शदाता ने किया | कार्यक्रम का प्रबंधन अजय सक्सेना एवं रोहित नामा ने किया |

            कार्यक्रम संयोजिका शशि जैन ने सभी अतिथियों का आभार जताते हुये कहा गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टेगोर कि कविता की पंक्तिया - मेरा शीश नवा दो अपनी, चरण-धूल के तल में।देव! डुबा दो अहंकार सब, मेरे आँसू-जल में। से कार्यक्रम सम्पन्न किया । इस अवसर पर नेहा , सानिध्य , रबीन्द्र जातव , आदित्य तंवर , रामप्रसाद , बालमुकद, नवीन , करण ,सलोनी , हर्षिता , अनीता , चेतन , राकेश , नंदलाल वर्मा , विशाल , नितेश , अनुराग मीणा , कोमल कुमारी , दिलखुश गुर्जर ने भी अपने विचार व्यक्त किये ।


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