कृषि विज्ञान केंद्र उदयपुर में 300 हैक्टेयर में तुअर व उड़द के कृषि प्रदर्शन स्थापित

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Published on : 04 May, 25 04:05

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के बागवानी प्रभाग की समीक्षा

कृषि विज्ञान केंद्र उदयपुर में 300 हैक्टेयर में तुअर व उड़द के कृषि प्रदर्शन स्थापित


उदयपुर, केंद्रीय बजट 2025-26 में देश को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए घोषित राष्ट्रीय दलहन मिशन के तहत उदयपुर जिले में कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। उदयपुर में तुअर और उड़द की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से 300 हैक्टेयर में कृषि प्रदर्शन स्थापित किए गए हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में भीदलहन को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष दिशा-निर्देश दिए गए।  

कृषि विज्ञान केंद्र उदयपुर के प्रफुल्ल भटनागर ने बताया कि केंद्रीय मंत्री श्री चौहान ने आईसीएआर के बागवानी प्रभाग की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए कि वे वैश्विक उत्पादकता में हमारे देश की ऊपरी पायदान पर छलांग लगाने के लक्ष्य के साथ जुटकर काम करें। उन्होंने बागवानी क्षेत्र के विकास और बागवानी से जुड़े किसान भाइयों-बहनों के हित में अपने व्यापक विचार साझा करते हुए कहा कि आने वाले समय में जैसे-जैसे सामाजिक-आर्थिक समृद्धि और बढ़ेगी, बागवानी उत्पादों (विभिन्न प्रकार के फल-सब्जियों) की उपभोक्ता मांग में भी तेजी से बढ़ेगी, इसे दृष्टिगत रखते हुए बेहतर उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए और अच्छे तरीके से काम करना होगा। उन्होंने कहा- बागवानी क्षेत्र में अनुसंधान के लोकव्यापीकरण के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए।
श्री शिवराज सिंह ने बागवानी क्षेत्र की बेहतर फसल पद्धतियों का अध्ययन करने के साथ ही किसानों तक अनुसंधान व आवश्यक जानकारी की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए भी प्रयास करने की बात कही। उन्होंने कहा कि अनुसंधान की जानकारी किसानों तक पहुंचाने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार की जरूरत है, ताकि बागवानी के किसान योजनाओं का सही लाभ उठा सके, इसके अभियान स्तर पर काम किया जाना चाहिए।
श्री चौहान ने कुछ फसलों, विशेषकर आलू, प्याज, टमाटर के संदर्भ में बात करते हुए कहा कि इनके मामले में किसानों को मिलने वाला दाम और उपभोक्ताओं द्वारा देय राशि के बीच का अंतर कम होना चाहिए, ताकि सीधा लाभ किसानों तक पहुंच सके।
बैठक में आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट सहित सभी उप महानिदेशक और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।


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