उदयपुर। सांसद मन्नालाल रावत ने स्थानीय पेसिफिक मेडिकल कॉलेज, भीलों का बेदला में अध्ययनरत एमबीबीएस के विद्यार्थी अतुल कुमार सिंह के साथ कुछ सीनियर विद्यार्थियों द्वारा रेगिंग के नाम पर की गई गंभीर मारपीट को लेकर चिंता जताई है। डॉ रावत ने इस मामले में एसपी को पत्र लिखकर आरोपियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने को कहा है।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने पर पीडित की ओर से सांसद को परिवाद दिया गया जिसमें रैगिंग के दौरान मारपीट से उसके शरीर पर आई चोटों का वीडियो व फोटो भी दिए हैं। सांसद डॉ रावत ने इस मामले में जांच कर आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और कठोर कानूनी कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। सांसद डॉ रावत ने कहा कि सभी शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग पर कानूनी रुप से प्रतिबंध है। इसके बावजूद मेडिकल कॉलेज में इस प्रकार की घटना चिंताजनक है। सभी शैक्षणिक संस्थानों को इसको गंभीरता से लेना चाहिए और रैगिंग रोकने के लिए जो भी प्रयास हो सकते हैं उन्हें गंभीरता से क्रियान्वित करना चाहिए।
क्या कहते हैं रैगिंग के कानून
पिछले दशक में उच्च शिक्षण संस्थानों खासकर इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग के भयावह रूप को देखने के बाद यूजीसी ने रैगिंग के खिलाफ कई कड़े नियम बनाए थे। यूजीसी द्वारा रैगिंग की रोकथाम के लिए क्या नियम बनाए गए जो सभी छात्रों और अभिभावकों के लिए जानने जरूरी हैं।
ये व्यवहार रैगिंग माना जाएगा -
1. अगर संस्थान या हॉस्टल में किसी स्टूडेंट (छात्र या छात्रा) को उसके रंगरूप या पहनावे के आधार पर टिप्पणी की जाए और उसके स्वाभिमान को आहत किया जाए। उसे अजीबोगरीब नाम लेकर पुकारने और प्रताड़ित करने को भी रैगिंग माना जाएगा।
2. किसी स्टूडेंट को उसकी क्षेत्रीयता , भाषा या जाति के आधार पर अपमान जनक नाम लेकर पुकारना और प्रचलित करना भी रैगिंग की श्रेणी में आएगा।
3. स्टूडेंट की नस्ल या पारिवारिक अतीत या आर्थिक पृष्ठभूमि को लेकर उसे लज्जित करना और अपमान करना रैगिंग माना जाएगा।
4. छात्राओं खासकर नई छात्राओं को अजीबोगरीब नियमों के तहत परेशान करना या अपमान जनक टास्क देना भी रैगिंग माना जाएगा।
5. यूजीसी ने स्पष्ट कहा है कि यदि धर्म, जाति या क्षेत्रीयता के आधार पर किसी छात्र को मजाक से भी अपमानजनक लगता है तो उसे रैगिंग की श्रेणी में माना जाएगा।