उदयपुर सहित राजस्थान के 78 केंद्रों पर कार्यक्रम, संत कोमल मुनि जी ने किया गो उत्पाद किट का विमोचन
उदयपुर : अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर गो सेवा गतिविधियों ने देशभर में इस पर्व को ‘सृष्टि की संरक्षिका गो माता’ के रूप में मनाते हुए व्यापक स्तर पर गौ उत्पादों के विक्रय कार्यक्रम आयोजित किए। अखिल भारतीय गौ सेवा संयोजक अजीत महापात्रा ने अपने संदेश में आव्हान करते हुए कहाँ की जल, जमीन, जंगल, जीव समूह, पर्यावरण, मनुष्य एवं संस्कारों को बचाये रखने है, तो भारतीय गौ माता को आधार बनाना होगा। प्रत्येक व्यक्ति को गो व्रती बनाना है, एवं अपने घर एक गो उत्पाद अवश्य लाना है।
क्षेत्रीय गौ सेवा संयोजक राजेन्द्र पामेचा ने जानकारी देते हुए बताया कि पूरे राजस्थान में कुल 78 स्थानों पर गो उत्पाद विक्रय केंद्र स्थापित किए गए, जहाँ से लगभग 25 लाख रुपये के गो उत्पादों का विक्रय हुआ। उन्होंने कहाँ की गौ माता के द्वारा रोगमुक्त, कर्जमुक्त, प्रदूषण मुक्त, अपराधमुक्त, कुपोषणमुक्त, विषमुक्त, अन्नयुक्त, ऊर्जायुक्त, रोजगार युक्त भारत का निर्माण कर सकते है। इसलिए हर परिस्थिति मे देश मे गोवंश का पालन, संवर्धन एवं संरक्षण करना प्रत्येक भारतवासी का दायित्व है। शास्त्रों मे लिखा है " गौ मय वसते लक्ष्मी" देशी गो माता जिसके सूर्य केतु नाड़ी (कुबड़) है, उसके पंचगव्य से बने उत्पाद जैसे गौ अर्क, धूपबती, गो घृतनस्य, गो घृत बाम आदि से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिसके कारण बीपी, सुगर, कैंसर आदि बीमारियो से बचा जा सकता है।
उदयपुर में प्रमुख 7 केंद्रों — सीए सर्कल, सेक्टर 4 बस स्टैंड, सेक्टर 14, बेदला, बोहरा गणेश जी, विद्या निकेतन आदि स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित हुए। मुख्य आयोजन में जैन समाज के 5000 से अधिक बंधु उपस्थित रहे जिन्होंने अक्षय तृतीया के पारणे के साथ गो उत्पादों का उपयोग कर इसे और भी पावन बनाया।
संत कोमल मुनि जी की गरिमामयी उपस्थिति में गो उत्पाद किट भेंट कर कार्यक्रम का विमोचन किया गया।
राजस्थान के अन्य प्रमुख केंद्रों जैसे बांसवाड़ा, डूंगरपुर, कोटा, बारां, जोधपुर, बालोतरा, सोजत और जयपुर में भी समाजजन ने अत्यंत उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे यह आयोजन सम्पूर्ण प्रदेश में गो सेवा के प्रति जन जागरूकता का प्रतीक बन गया।