डॉ. प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ पश्चिम मध्य रेलवे मंडल कार्यालय के सभागार में ब्रजभाषा साहित्य समिति कोटा एवं सहयोगी संस्था श्री हिंदी साहित्य समिति कोटा के संयुक्त तत्वावधान में स्वामी पीतम सिंह सम्मान समारोह 2025 कार्यक्रम संपन्न हुआ। अध्यक्षता वल्लभाचार्य संप्रदाय के महाप्रभु स्वामी विनय बाबा गोस्वामी ने की। मुख्य अतिथि गीतकार मुकुट मणिराज रहे।
कार्यक्रम में मथुरा के ब्रजभाषा के विद्वान अशोक अज्ञ को अंगवस्त्र, शॉल, श्रीफल एवं नगद राशि देकर स्वामी पीतम सिंह सम्मान 2025 प्रदान किया गया। उन्होंने कहा कि ब्रजभाषा भगवान कृष्ण के मुखारविंद से निकली है। इसलिए इसका एक विशेष स्थान है। इसके अतिरिक्त कालीचरण राजपूत को भी उनके साहित्यिक उपलब्धियां के लिए अलंकृत किया गया।
सलीम स्वतंत्र, ज्ञान सिंह गंभीर, योगीराज योगी, दीनानाथ त्रिपाठी, बालू लाल वर्मा, कालीचरण राजपूत, राजेंद्र मुनि, देशबंधु दिव्य, मनु बशिष्ठ, रघुनंदन हटीला, योगमाया शर्मा, विष्णु शर्मा हरिहर, गोविंद सिंह छोकर, यशपाल, नीरज कुमार ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। डॉ.अपर्णा पाण्डेय ने ब्रज भाषा के पद, कुंडलिया ,छंद प्रस्तुत कर वातावरण में बृज की मिठास घोल दी।
बैठि कुंज की छांह में,राधा नन्द किसोर।
अधरन पे मुरली लसै,देखत हैं चितचोर।।
देखत हैं चितचोर, रूप यह अति मनभावन।
राधा ऐसो रूप,ता ऊपर मुरली वादन।
कह" पांडेय" कविराय,प्रेम को अद्भुत बंधन।
बस जाहि इह हिए ,तो जीवन पावन नन्दन।।
संग सिवा गौरा सोहें ,पुष्पन बसी ज्यूं गंध।जीवन विनको धन्य है,जो सिव चरनन बंध /संग।।
जो सिव चरनन संग,आशु की किरपा बरसै।
प्रेम ,दया, करुना ,उदारता,,नित हिय हरखै।कह "पाण्डेय"कविराय,सरण प्रभु की ही की जै।
हर लेते हर दुःख,नाम ताहि "हर " दीजै।।
महाप्रभु विनय गोस्वामी ने कहा कि ब्रजभाषा बहुत ही मधुर भाषा है। महाकवि सूरदास एवं रसखान जैसे कवियों ने इस भाषा को समृद्ध किया है। अनेक कवियों ने ब्रज भाषा में भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन बहुत ही सुन्दर तरीके से किया है। मुख्य अतिथि मुकुट मणिराज ने कहा के ब्रजभाषा जिस मुकाम पर पहुंच चुकी थी, देश की दूसरी भाषाएं अभी भी वह स्थान ग्रहण नहीं कर पाई हैं। गंगापुर से लेकर अलवर, भरतपुर, करौली, आगरा, मथुरा, मेरठ तक का क्षेत्र ब्रजभाषा ही बोलता है। अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण किया और भगवत सिंह मयंक ने की सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। संचालन श्रीहिंदी साहित्य समिति के अध्यक्ष डॉ. रघुराज सिंह कर्मयोगी ने किया।