नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट (NGMA), मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर, भारत सरकार के सहयोग से, 25 अप्रैल 2025 को मुंबई में ‘नभ: स्पर्श - इंडियन वुमन प्रिंटमेकर्स’ नामक प्रदर्शनी का भव्य उद्घाटन किया गया। इस अनोखी प्रदर्शनी में देश भर से 150 महिला कलाकारों की प्रिंटमेकिंग कला को प्रदर्शित किया गया है, जो विभिन्न पीढ़ियों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसमें लिथोग्राफ, एचिंग, एक्वाटिंट, एंग्रेविंग, स्क्रीन प्रिंट सहित कई तकनीकों का समावेश है, जो इस क्षेत्र में महिलाओं की रचनात्मकता, विविधता और ऊर्जावान प्रतिभा को दर्शाते हैं। प्रदर्शनी का उद्घाटन उद्योगपति और जेएसडब्ल्यू फाउंडेशन की चेयरपर्सन संगीता जिंदल ने किया। इस अवसर पर एनजीएमए (NGMA) के महानिदेशक (Director General) डॉ. संजीव किशोर गौतम और निदेशक (Director) निधी चौधरी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। समारोह में उपस्थित अन्य अतिथियों में लॉरेंट वेरगैन, फेरोज़ा गोदरेज, डॉ. सरयू दोषी, ब्रिंदा मिलर, श्रुति दास, असद लालजी, नैना कनोड़िया, संजुक्ता अरुण, रुक्मिणी दहानुकर सहित कई अन्य शामिल थे।
एनजीएमए द्वारा क्यूरेट की गई इस प्रदर्शनी में श्रुति दास ने डिप्टी क्यूरेटर (Deputy Curator) की भूमिका निभाई है। 'नभ: स्पर्श' भारतीय प्रिंटमेकिंग के विकास की यात्रा को महिलाओं की दृष्टि से प्रस्तुत करती है। यह प्रदर्शनी न केवल उत्कृष्ट कलाकृतियों को प्रदर्शित करती है, बल्कि कलाकारों की रचनात्मकता, नवाचार और संघर्ष की कहानियों को भी उजागर करती है।
इस प्रदर्शनी में एनजीएमए के संग्रह से वरिष्ठ प्रिंटमेकर्स की कलाकृतियाँ भी शामिल हैं, जिनमें अनुपम सूद, रीनी धूमल, ललिता लाजमी, नैना दलाल, जया अप्पासामी, शोभा ब्रूता, कंचन चंदर, प्रतिभा डाकोजी, शोभा घरे, अनीता दास चक्रवर्ती, ज़रीना हाशमी जैसी प्रतिष्ठित कलाकारों के नाम प्रमुख हैं।
प्रदर्शनी की कुछ प्रमुख झलकियों में अनुपम सूद की ‘मास्क सीरीज़’, रीनी धूमल की ‘देवी’, ज़रीना हाशमी की ज्यामितीय डिज़ाइन की खोज, कृष्णा देवयानी की आध्यात्मिक प्रेरित श्रृंखला, और ललिता लाजमी की ‘माइंड्स कपबोर्ड्स’ शामिल हैं। ये सभी कलाकृतियाँ नारीत्व और आत्मचिंतन पर गहराई से प्रकाश डालती हैं।
प्रदर्शनी का एक विशेष खंड दिवंगत कलाकार गोगी सरोज पाल को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इस में उनकी कुछ दुर्लभ लेकिन प्रभावशाली एचिंग और लिथोग्राफ के साथ-साथ उनके बेटे 'पुन्ना' को लिखे गए व्यक्तिगत पत्र भी प्रदर्शित किए गए हैं, जो उन्होंने दिल्ली के गढ़ी स्टूडियो में रहते हुए लिखे थे। इसके अलावा, उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती 32 भावपूर्ण तस्वीरें भी इस खंड का हिस्सा हैं, जो एक कलाकार और माँ की दोहरी भूमिकाओं को उजागर करती हैं।
बच्चों के लिए भी एक विशेष कोना बनाया गया है, जहाँ जीवन की सरल सुंदरता को दर्शाने वाली कलाकृतियाँ लगाई गई हैं। यह खंड बच्चों को कला से जुड़ने के लिए आनंदमय और सुलभ माध्यम प्रदान करता है। इसके साथ ही, दूसरी मंज़िल की गैलरी में प्रकृति-प्रेरित यथार्थवादी कलाकृतियाँ भी प्रदर्शित की गई हैं, जिनका मुख्य विषय पशु और मानव चित्र हैं। ये कृतियाँ प्रकृति और मानव के बीच के गहरे संबंध को उजागर करती हैं।
डॉ. संजीव किशोर गौतम, महानिदेशक, एनजीएमए (Director, NGMA) ने कहा, “भारत में प्रिंटमेकिंग की समृद्ध परंपरा है, जो प्राचीन तकनीकों से विकसित हुई है। स्वयं एक प्रिंटमेकर होने के नाते, मैं इस माध्यम की परिवर्तनकारी शक्ति से प्रभावित हूं। प्रदर्शनी की कलाकृतियाँ तकनीकी उत्कृष्टता के साथ-साथ व्यक्तिगत और सांस्कृतिक अनुभवों की झलक भी प्रस्तुत करती हैं। इनके योगदान ने न केवल भारत में प्रिंटमेकिंग के इतिहास को आकार दिया है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के कलाकारों को भी प्रेरित करते रहते हैं।”
“इतिहास में महिला प्रिंटमेकर्स के योगदान को अक्सर नज़रअंदाज़ किया गया है। लेकिन चाहे वह नाज़ुक एचिंग हो या सशक्त लिनोकट, उनकी कला ने हमेशा अपनी मौलिकता और साहस से समाज को प्रेरित किया है। 'नभ: स्पर्श' के माध्यम से एनजीएमए इन कलाकारों की आवाज़ को मंच प्रदान कर रहा है – उन समकालीन कलाकारों को, जो प्रिंटमेकिंग की भाषा को निरंतर विस्तारित कर रहे हैं।”, निधी चौधरी, निदेशक, एनजीएमए (Director, NGMA) ने साझा किया
'नभ: स्पर्श – भारतीय महिला प्रिंटमेकर्स' प्रदर्शनी 25 मई 2025 तक नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट (NGMA), सर कावसजी जहांगीर पब्लिक हॉल, फोर्ट, मुंबई में जनता के लिए खुली रहेगी।