उदयपुर। उदयपुर की रहने वाली 42 वर्षीय दीया (बदला हुआ नाम) और उनके 43 वर्षीय पति को 10 साल तक निःसंतानता की समस्या से संघर्ष के बाद आखिरकार गर्भधारण की खुशी मिली है। वे लम्बे समय से संतान सुख के लिए इलाज करवा रहे थे लेकिन सफलता नहीं मिली और निःसंतानता का कोई ठोस कारण भी सामने नहीं आया। इन्दिरा आईवीएफ उदयपुर में टेस्ट के बाद हाइपोगोनाडोट्रॉपिक हाइपोगोनाडिज़्म (हाईपो-होइपो) नाम की एक दुर्लभ हार्मोनल समस्या के बारे में पता चला। यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें महिला में ओव्युलेशन (अंडोत्सर्जन) प्रभावित होता है।
गाइनेकोलॉजिस्ट एंड आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ. तरुणा झांब ने बताया कि दम्पती को गर्भधारण में बार- बार असफलता का सामना करना पड रहा था, जिससे मानसिक तनाव और निराशा बढ़ रही थी। दीया की मेडिकल हिस्ट्री में कोई बड़ी समस्या नहीं थी, फिर भी पारंपरिक इलाज में सफलता नहीं मिल रही थी। इन्दिरा आईवीएफ में हुई जांचों में सामने आया कि दीया को ’’हाइपो-हाइपो’’ नामक एक दुर्लभ हार्मोनल समस्या है। इस पर विशेष उपचार की योजना बनाई, जिसमें कंट्रोल्ड ओवेरियन स्टिमुलेशन का उपयोग किया गया। इसके साथ ही प्री इम्पलांटेशन जैनेटिक टेस्टिंग फॉर एनेप्लॉइडी किया गया जिससे मदद से सबसे स्वस्थ भ्रूण चुनने और सफल भ्रूण प्रत्यारोपण की संभावना बढ़ाने में मदद मिली। दो स्वस्थ (यूप्लॉइड) भ्रूणों के ट्रांसफर के बाद दीया का गर्भधारण सफल हुआ। यह केस बताता कि सही जांच और विशेष रूप से तैयार की गई फर्टिलिटी ट्रीटमेंट योजनाएँ जटिल रिप्रोडक्टिव समस्याओं को दूर करने में कितनी महत्वपूर्ण होती हैं। इस केस में इन्दिरा आईवीएफ ने वैज्ञानिक उपचार तकनीकों और पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट के ज़रिए एक बेहद जटिल निःसंतानता समस्या का समाधान किया है। ऐसे कारणों की पहचान कर उन्हें ठीक किया गया जो पहले कभी सामने नहीं आए थे। इन्दिरा आईवीएफ की टीम ने न सिर्फ एक मुश्किल केस को सुलझाया, बल्कि इस दंपती की जिंदगी में खुशियां भर दी।