मानव कल्याण की भावना से करें हार्टफुलनेस ध्यान 

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Published on : 25 Mar, 25 05:03

वीरपुरा जयसमंद।  श्री गातोड जी मंदिर परिसर, वीरपुरा जयसमंद में हार्टफुलनेस ध्यान और प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। शिविर के आयोजक श्री पन्ना लाल औदिच्य ने बताया कि इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने ध्यान का लाभ उठाया । इससे पहले जयसमंद झील की पाल पर भी सुरम्य प्राकृतिक वातावरण में 35 से अधिक लोगों और पर्यटन समिति तथा मत्स्य पालन समिति सदस्यों ने ध्यान  किया। इस अवसर पर हार्टफुलनेस संस्था के उदयपुर केंद्र समन्वयक डॉ राकेश दशोरा ने हार्टफुलनेस के मानव कल्याण की धारणा,  प्रार्थना और ध्यान के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने ध्यान के लिये प्रार्थना का महत्व भी बताया । उन्होंने कहा कि समर्पण भाव से की गई प्रार्थना से मन को शांति मिलती है और ध्यान के द्वारा हम अपने हृदय में ईश्वर की अनुभूति महसूस कर सकते हैं। जो आध्यात्मिक मार्ग पर प्रगति का अनुपम साधन है। इस अवसर पर हार्टफुलनेस प्रशिक्षक डॉ सुबोध शर्मा ने हार्टफुलनेस ध्यान पद्धति और एकात्म अभियान से सभी को अवगत करवाया। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के संस्कृती मंत्रालय और हार्टफुलनेस संस्थान के सामूहिक सहयोग से देश के आठ राज्यों में हर दिल ध्यान हर दिन ध्यान के उद्देश्य से एकात्म अभियान संचलित किया जा रहा है इसमें राजस्थान के 18000 गांवों में करोड़ों लोगों को ध्यान साधना से जोड़ने का भागीरथ प्रयास हार्टफुलनेस संस्थान के वैश्विक गुरू पूज्य श्री कमलेश पटेल दाज़ी के नेतृत्व में किया जा रहा है। ध्यान से पूर्व बहन आशा शर्मा द्वारा एकात्म अभियान के तहत उपस्थित भाई  बहनो को निर्देशित शिथिलीकरण करवाया गया, बहन रंजना ने सभी को मानसिक स्वास्थ्य के लिए विशेष ब्राइटर माइंड कसरत करने का तरीका बताया और डॉ सुबोध शर्मा ने प्राणाहुति आधारित योग ध्यान कराया।
उक्त कार्यक्रम में पाल पर 25 लोग थे तथा डॉ दीपिका पालीवाल जी उपनिदेशक मत्स्य विभाग और वालुरामजी, सहायक मत्स्य विकास अधिकारी का  सहयोग सराहनीय रहा। ध्यान के पश्चात सभी प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए। उन्हें अपूर्व शांति, कृतज्ञता, तानव से मुक्ति और समाधि की स्थिति का अनुभव हुआ जो अविस्मरणीय रहा। इस अवसर पर श्री पन्ना लाल जी औदिच्य ने बताया कि प्रार्थना हृदय का अमृत है जो मानव हृदय की कलुषित चित्त वृत्तियों  का प्रक्षालन कर देती है। इसके माध्यम से मनुष्य आत्म साधना में लीन हो कर परमात्मा से संवाद कर सकता है।  


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