प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
26 सितंबर 1932 को पंजाब के गाह (अब पाकिस्तान में) में जन्मे डॉ. मनमोहन सिंह का परिवार 1947 में विभाजन के बाद भारत आया। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से अर्थशास्त्र में पढ़ाई की और बाद में कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। 1957 में सेंट जॉन कॉलेज, कैम्ब्रिज से अर्थशास्त्र में स्नातक डिग्री हासिल करने के बाद, वह भारत लौटे और पंजाब विश्वविद्यालय में पढ़ाने लगे। 1960 में ऑक्सफोर्ड से डीफिल की। उनकी शैक्षणिक यात्रा में कई प्रतिष्ठित छात्रवृत्तियां शामिल रहीं।
करियर की शुरुआत और योगदान
डॉ. मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय में लेक्चरर के रूप में करियर की शुरुआत की। 1966-1969 के दौरान, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) में काम किया। इसके बाद, वह भारत सरकार में विभिन्न पदों पर रहे, जिनमें मुख्य आर्थिक सलाहकार (1972-1976), भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर (1982-1985), योजना आयोग के प्रमुख (1985-1987), और वित्त मंत्री (1991-1996) शामिल हैं।
प्रधानमंत्री के रूप में भूमिका
डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वह भारत के पहले और एकमात्र सिख प्रधानमंत्री थे। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) और सूचना का अधिकार अधिनियम जैसे महत्वपूर्ण कानून पारित किए। 2008 में उन्होंने भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर कर विदेश नीति को नई दिशा दी।
आर्थिक सुधार और विरासत
1991 में वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को उदार बनाया और लाइसेंस राज समाप्त किया। उनके सुधारों ने भारत की अर्थव्यवस्था को आधुनिक और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया। उनकी विरासत भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव को मजबूत करती है।
व्यक्तिगत जीवन और सम्मान
उनका विवाह गुरशरण कौर से हुआ और उनकी तीन बेटियां हैं। अपनी विनम्रता और ईमानदारी के लिए पहचाने जाने वाले सिंह को पद्मविभूषण (1987) सहित कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले।
लेखन और विचार
उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें चेंजिंग इंडिया, द क्वेस्ट फॉर इक्विटी इन डेवलपमेंट, और मेकिंग डेमोक्रेसी वर्क फॉर प्रो पूअर शामिल हैं।
निष्कर्ष
डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन देश के प्रति उनकी सेवा और आर्थिक सुधारों के प्रति समर्पण का प्रमाण है। उनका योगदान भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।