*उदयपुर, राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने संस्कृत को श्रेष्ठ, संस्कारिक और देव भाषा बताया, साथ ही इसे कई भाषाओं की जननी कहा। उन्होंने यह वक्तव्य संस्कृत भारती द्वारा आयोजित संस्कृत जनपद सम्मेलन और प्रतिभा सम्मान समारोह के दौरान दिया, जो विद्यापीठ और पेसिफिक विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में हुआ।
मुख्य अतिथि, चित्तौड़गढ़ सांसद सी.पी. जोशी ने कहा कि संस्कृत में अनंत ज्ञान भंडार छिपा है, जो भारत की आत्मा है। सांसद जोशी ने इसे प्रमुख धारा में लाने पर बल दिया और इसे भारतीय ज्ञान प्रणाली के पुनर्जीवन का आधार बताया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा भारती के प्रमुख, श्रीकांत, और विधायक फूल सिंह मीणा ने संस्कृत को मातृभूमि और मातृभाषा के संरक्षण के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने संस्कृत को प्रार्थनाओं की भाषा कहा, जो समाज के नैतिक दायित्व का हिस्सा है।
समारोह में विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को महर्षि पाणिनी पुरस्कार प्रदान किया गया, और संस्कृत के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए संस्कृति गौरव सम्मान से विभूतियों को सम्मानित किया गया।