प्राकृतिक खेती पर संस्थागत प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया गया आयोजन
जैसलमेर । कृषि विज्ञान केन्द्र पर प्राकृतिक खेती एवं मोटे अन्नाज उत्पादन पर संस्थागत प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केन्द्र डॉ. दीपक चतुर्वेदी ने प्राकृतिक खेती को सूक्ष्म जीवो की खेती बताते हुए इसका मृदा स्वास्थ सुधार, पोषक तत्वों की कमी की पूर्ति एवं फसल उत्पादनता में इसके महत्व की जानकारी दी।
उन्होंने मोटे अन्नाज जैसे बाजरा, ज्वार आदि के उत्पादन में किसानों को सक्रिय भागीदारी निभाने के साथ की किसान महिलाओं की अहम् भूमिका बताई। केन्द्र की गृह वैज्ञानिक डॉ. चारू शर्मा में जैसलमेर के खड़ीन क्षेत्र में उत्पादित प्राकृतिक चना, गेहूँ के प्रसंस्करित उत्पाद से किसानों को खेती से उद्यमिता की ओर जाने और स्वरोजगार अपनाने को प्रेरित किया साथ ही बाजरे से मिलने वाले पोषक तत्वों एवं के प्रसंस्करित उत्पाद जैसे बिस्कूट, दलिया आदि की भी जानकारी दी।
इस अवसर पर डॉ. बबलू शर्मा मृदा वैज्ञानिक ने रासायनिक उर्वरको के उपयोग से हो रहे मृदा के स्वास्थ में गिरावट एवं पोषक तत्वों की पोधों को उपलध में कमी के लक्षण के बारे में बताया और मृदा की गुणवता जो सुधारने में प्राकृतिक खेती का महत्त्व पर प्रकाश डाला। किसानों को मोटे आनाज के द्वारा मानव स्वास्थ पर होने वाले लाभ एवं खाध्य का एक अभिन्न के साथ वर्तमान समय की आवश्यकता बताई। कार्यक्रम में सेउवा, रायमाला, रामगढ क्षेत्र के विभिन्न किसानो एवं कृषक महिलाओ ने भाग लिया।