कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत वीएमओयू, कोटा की चयन समिति में राज्यपाल मनोनीत सदस्य बने

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Published on : 28 Jul, 24 04:07

कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत वीएमओयू, कोटा की चयन समिति में राज्यपाल मनोनीत सदस्य बने

उदयपुर   जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत को राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने वर्धमान महावीर ओपन विश्वविद्यालय, कोटा की चयन समिति में एक वर्ष के लिए राज्यपाल मनोनीत सदस्य नियुक्त किया है। वे विश्वविद्यालय के कार्यों व निर्णयों को लेकर सीधे राज्यपाल कार्यालय को रिपोर्ट करेंगे। शिक्षा, शोध के उत्थान द्वारा समाज सेवा का लक्ष्य लिए प्रो. कर्नल एस.एस. सारंगदेवोत जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के सातवें कुलपति. विद्या प्रचारिणी सभा के कार्यकारी अध्यक्ष व चेयरमैन बीएन विश्वविद्यालय के पद पर कार्यरत हो अपनी प्रभावी बौद्धिक क्षमता, कुशल नेतृत्व, दक्षता और असाधारण शैक्षणिक सूझबूझ को सिद्ध किया है। प्रो. सारंगदेवोत के 14 पुस्तकें और 10 मोनोग्राफ प्रकाशित हो चुके हैं और उन्होंने अपने नाम से 20 पेटेंट्स का पंजीकरण करवाया है तथा 10 पेटेंट ग्रांट भी हो चुके हैं। आपके मार्गदर्शन में 80 शोध ग्रन्थ (पीएच.डी.) जमा हो चुके हैं।
उनके विशिष्ट कार्यों में जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ की गरिमा को पुनर्स्थापित करना, नैक द्वारा ‘ए’ ग्रेड प्राप्त कर लेना, सभी पाठ्यक्रमों की यूजीसी से मान्यता लेना, विद्यापीठ का आईआईआरएफ व यूनिरैंक में विद्यापीठ का राज्य व राष्ट्रस्तर पर उत्तम स्थान प्राप्त कर पाना, राष्ट्रीय स्तर के खेलों का आयोजन तथा विद्यापीठ का एक रिकॉर्ड स्वीकृत होना शामिल हैं। उनके उच्च आदर्शों, उत्कृष्ट अकादमिक कार्यों, नैतिक मूल्यों, कुशल प्रशासन क्षमता, निष्णात शोध कार्यों, कर्तव्य परायणता की भावना तथा समाज के आर्थिक रूप से विपन्न वर्ग, वंचित वर्ग, प्रौढ़ शिक्षा, कौशल-आधारित शिक्षा के उत्थान, ग्रामीण उत्थान आदि कार्यों को दृष्टिगत करते हुए यह सम्मान प्रदान किया गया है। वे नैक की विजिटिंग टीम के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनके अंतरराष्ट्रीय / राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न शोध पत्रिकाओं एवं सम्मेलन कार्यवाहियों में 150 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। वे अनेक आमंत्रित व्याख्यान दे चुके हैं।
प्रो. सारंगदेवोत द्वारा कोविड महामारी के समय में किए गए कार्य भी उल्लेखनीय हैं। इस आपदा काल में उन्होंने कुशल ऑनलाइन शिक्षण, वेबिनार्स व प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं के अतिरिक्त आयुष मंत्रालय की दवाइयों का घर-घर वितरण, टीकाकरण, मास्क व राशन वितरण आदि कई कार्य करवाए।
अपनी गहन प्रतिबद्धता से 100 से अधिक संगोष्ठियाँ, 50 से अधिक वेबिनार, 2014-15 में संस्थानों और विश्वविद्यालयों श्रेणी में पेटेंट फाइलिंग में आईआईटी के बाद दूसरा स्थान प्राप्त करना, 13 शोध पत्रिकाओं का प्रारंभ और संचालन, शोध प्रयोगशालाओं की स्थापना, मीरा, महाराणा प्रताप और राव मोहन सिंह पीठ की स्थापना, संकाय सदस्यों को आर्थिक प्रोत्साहन, आधारभूत संरचना की सशक्तता, पुस्तकालयों का डिजिटलीकरण, उत्कृष्ट परीक्षा सुधार, प्रगतिशील शोध कार्य, कई कौशल-आधारित पाठ्यक्रमों को प्रारम्भ, आदि कार्य करवाए। अपने कार्यकाल में प्रो. सारंगदेवोत ने न केवल कई नये अकादमिक और कौशल विकास आधारित पाठ्यक्रमों को प्रारंभ किया वरन दो कन्या महाविद्यालयों की स्थापना भी की और सांयकालीन महाविद्यालय को पुनर्जीवित किया। नवाचार करते हुए आपने ज्योतिष, वास्तुशास्त्र व योग आधारित पाठ्यक्रमों को भी अपने विश्वविद्यालय में प्रारम्भ किया, जिन्हें इस सम्मान में भी रेखांकित किया गया है।
प्रो. सारंगदेवोत उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने तथा सामाजिक उत्थान की गतिविधियों हेतु कई बार पूर्व में भी सम्मानित हुए हैं। वे अपने विश्वविद्यालय में एक गुरुकुल की स्थापना को कृतसंकल्प भी हैं।


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