वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की 484 वीं जयंती पर पुष्पांजली एवं विश्व वंदनीय व्यक्तित्व पर संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम की मुख्य अतिथि “साँझ के सानिध्य में” पुस्तक से पादार्पण करने वाली नवोदित लेखिका बबीता शर्मा , अध्यक्षता पेशे से लोको पायलट एवम गायक सुरेश शर्मा एवम विशिष्ट अतिथि नंदकिशोर शर्मा “अनमोल” रहे | कार्यक्रम की सूत्रधार डॉ शशि जैन रही |
इस अवसर पर लेखिका बबीता शर्मा ने वरिष्ठ साहित्यकार बृजेन्द्र सिंह झाला"पुखराज" की रचना का पठन करते हुये कहा कि – “था ख़ोला रक्त धमनियों में,भड़की श्वाँसों में चिंगारी ।था ज़ोर विलक्षण बाज़ुओं में,नस-नस में थी वो उजियारी ।।उस अंगारे की लपटों से,तमतमा उठी पावन माटी ।जहाँ चेतक घोड़े पर प्रताप,वह याद रहे हल्दी-घाटी ।।
अध्यक्षता कर रहे सुरेश शर्मा ने कहा कि- “महाराणा प्रताप का जिक्र आते ही उनके स्वामीभक्त सेवक चेटक घोड़े और रामप्रसाद हाथी का अनायास ही स्मरण हो आता है। उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व के इतिहास को खंगाल ले तो भी इस प्रकार के मूक प्राणियों की मिसाल पाना दुर्लभ होगा। उन्होंने बताया कि चेटक और रामप्रसाद ने अपनी जान पर खेलकर भी महाराणा प्रताप को दुश्मनों के वार से सुरक्षित रखा। इस प्रकार की स्वामीभक्ति से उन्होंने पूरे देश-दुनिया में अपना नाम अमर कर दिया है।
डॉ दीपक कुमार श्रीवास्तव संभागीय पुस्तकालय अध्यक्ष ने कहा कि –आज के इस युग में हर व्यक्ति को हर कदम पर अलग- अलग प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। चुनौतियों को निबटने के दौरान कई प्रकार के रास्ते सामने दिखाई देते हैं परंतु बप्पा रावल से लेकर आज तक का मेवाड़ का इतिहास हमें सिखाता है कि इन परिस्थितियों में स्वाभिमान के मार्ग पर चलकर चुतियों का सामना करें। उन्होंने अपने गौरवमयी इतिहास पर कहा कि हम या हमारा मित्र अपने देश, समाज और व्यक्ति विष्टोन की महानता का जिक्र या स्मरण करें तो ठीक है परंतु हमारी छाती उस वक्त धोदी हो जाती है जब ऐसा कोई जिक हमारा दुश्मन करें।
डॉ शशि जैन ने कहा कि - प्रताप ने अपने समय में जिन चुनौतियों का सामना किया, उसमें उन्होंने हर वर्ग के लोगों को साथ में रखकर प्रयास किया। व्यक्ति दिल से मन से कार्य करने का प्रयास करता है तो सफलता मुमकीन होती है। उन्होंने युवाओं को इस प्रकार के व्यक्ति त्वों से प्रेरणा लेने का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा कि ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं, हमारे आसपास ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जो हमें एक उचित मार्ग पर ले जावें। उन्होंने कहा कि भारत के चप्पे-चप्पे में प्रेरणा स्रोत मिल जाएंगे।
इस अवसर पर युवा साथी मनीष सेन, ललित मीणा, आस्था गुप्ता, मोनिका मीणा, जीतू मीणा, कुलदीप सेन, तन्वी, आदित्य, मधु मंडल, लोकेश शर्मा, विनय सिंह राठौड़, श्यामा, अनामिका, अंजू, यस, सुनीता, अनुराग, लखन मीणा, अक्षय नागर, आशा, गौरव, अनवर अहमद, संजय पटेल, अरुण, विशाल कुशवाहा, अजय सिंह, करिश्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए |