मुंबई के कवि और गीतकार कविश सेठ ने बांधा समा

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Published on : 21 Apr, 24 00:04

लेकसिटी में कविता और गीतों से सजी शनिवार की शाम

मुंबई के कवि और गीतकार कविश सेठ ने बांधा समा

उदयपुर, देशभर के युवाओं की जुबान पर आ चुके 'न जाने कब से अंग्रेजी भूत सवार है, हिन्दी बोले तो बोले गवार है' गीत से देशभर में चर्चा में आए मुंबई के मशहूर गायक, कवि और गीत लेखक कविश सेठ शनिवार को उदयपुर यात्रा पर रहे। उन्होंने शाम को कश्ती फाउंडेशन के तत्वावधान में 'करीबखाना' कार्यक्रम में कविताओं व गीतों की प्रस्तुति दी। विद्या भवन आॅडिटोरियम में कविश ने  वायरल गीत ' न जाने कब से अंग्रेजी भूत सवार है, हिन्दी बोले तो बोले गवार है' से अपनी प्रस्तुति की शुरुआत की और एक-एक कर स्तरीय कविताओं, गीतों और गजलों से समा बांध दिया।



विद्या भवन आॅडिटोरियम में आयोजित हुए  इस कार्यक्रम में उन्होंने अपने गीत 'भले तू डांट बीवी की खाना और मेरे बेटे तू कचहरी न जाना।' के माध्यम से कोर्ट-कचहरी के मामलों से होने वाले नुकसान बताए। इसी प्रकार कविश ने 'वो जमाना चला गया है, वो मोहब्बत अब कहा है' तथा  ' आज का दिन मैंने यू ही जाने दिया है, रोज रोज कोसना मैंने जाने दिया है' को सुनाकर लोगों को आकर्षित किया।

'कोई रे बाबा की जाणा' गीत की मनोहारी प्रस्तुति से माहौल को रसमय बना दिया वहीं 'नॉक नॉक रिश्तेदार, भागो आया रिश्तेदार' तथा तोंद कविता को प्रस्तुत कर लोगों को खूब गुदगुदाया ।

आरंभ में कश्ती फाउंडेशन की संस्थापक श्रद्धा मुर्डिया ने अतिथियों का स्वागत किया और इस आयोजन के उद्देश्य को उजागर करते हुए बताया कि युवाओं के समक्ष इस तरह की प्रस्तुति से नई प्रतिभाओं को प्रोत्साहन मिलता है।
इस मौके पर लेकसिटी की नवीन प्रतिभाओं को मंच प्रदान करने के उद्देश्य से आर्टिस्ट दिनेश वर्मा, मारीशा दीक्षित जोशी व कोमल राज द्वारा प्रस्तुति दी गई।  प्रस्तुति दौरान कपिल पालीवाल, ओजस, रितेश गोहिया, कार्तिक सोमपुरा, गौरव रोशन नेगड़ी, युवराज आदि ने सहयोग किया।

कार्यक्रम का संचालन कुणाल मेहता ने किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में गीत-संगीत व साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।


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