वर्तमान में जलवायु परिवर्तन गांवों में भी बीमारियों के रास्ता खोलाःखराड़ी
उदयपुर। ईएफ पॉलीमर एवं बायफ द्वारा उदयपुर में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को रोकने के लिये क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर और डेयरी विषयक पर डबोक सिथत रूपीज़ रिसोर्ट में राष्ट्रीय कान्फेन्स का आयोजना किया गया। जिसमें देश भर की विभिन्न संस्थाओं विश्व बैंक, अन्तराष्ट्रीय वित्त निगम, बायफ, हिस्दुस्तान जिंक समुन्नति, फिक्की,ईएफ पोलीमर, आईकार्ट, स्ट्रींग बायों, प्रोम्पट डेयरी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, महाराणा प्रताप विश्वविद्यालय एवं राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संस्थाओं एवं विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। जलवायु परिवर्तन के इस दौर में जहाँ तापमान में अचानक वृद्धि से बंसत का मौसम छोटा होता जा रहा है एवं धरती खतरे के कगार पर खडी है। इस पर गहन चर्चा की गई।
कार्यशाला का उद्घाटन राज्य के जनजाति विकास मंत्री बाबुलाल खराडी ने किया। इस अवसर पर खराडी ने कहा कि आज से 20 साल पहले आदिवासी क्षेत्र में बी.पी. शुगर आदि बीमारियाँ नही पायी जाती थी परन्तु आज जलवायु परिवर्तन, रासायनिकों के उपयोग की वजह से गंाव-गांव में ये देखी जाने लगी है। जलवायु परिवर्तन ने गांवों में भी बीमारियों के लिये रास्ता खोल दिया है जो खतरनाक है।
कार्यकम की अध्यक्षता बायफ के प्रेसीडेंट डॉ. भरत काकडे द्वारा की गई। इस कार्यशाला में 5 तकनीकी सत्रों का अयोजना हुआ जिसमें जल, जमीन, जंगल,जलवायु एवं जानवर पर पड़ रहे इसके कुप्रभाव को बचाने के लिये साझा रणनिति करने पर सहमति बनी।
कृषि एवं पशुपालन के क्षेत्र में नवाचार के विभिन्न साधनों जैसे बायोचार, फसल अमृत के माध्यम से वातावरण में कार्बन एवं मिथेन के उत्सर्जन को कम करने की रणनीति पर विचार हुआ। इसी प्रकार किसान को इस तरह के नवाचार से आर्थिक लाभ दिलाने की प्रक्रिया पर जोर दिया गया।
सम्मेलन में करीब 30 संस्थाओं के प्रमुखों एवं विशेषज्ञों ने भाग लिया। इन संस्थानों में से कुछ ने दुबई में हुए कोप-28 एण्ड क्लामेट कॉन्फ्रेेन्स में भी भाग लिया था।