तीन दिवसीय सूचनाप्रद इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का पेसिफिक यूनिवर्सिटी में समापन

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Published on : 12 Mar, 24 10:03

तीन दिवसीय सूचनाप्रद इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का पेसिफिक यूनिवर्सिटी में समापन

यूनिवर्सिटी ऑफ़ डिब्रिसेन हंगरी की प्रोफेसर एनिको बोरबास ने एंटी कैंसर, एंटीवायरस तथा एंटी मलेरियल दवाओं के क्लिनिकल रिसर्च, उनके मरीजों पर प्रभावों की जांच और उनके व्यवसायिक उत्पादन तक की प्रक्रिया को चरणबद्ध रूप से समझाया तथा इसमें हो रहे नवाचार से अवगत कराया। कॉन्फ्रेंस के तीसरे दिन साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर में तनाव प्रबंधन की भूमिका पर पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल उदयपुर के डॉ. महेन्द्र वरहेडे, डॉ. सुरेश मेहता एवं डॉ. दीपक सालवी ने विशेष व्याख्यान देते हुए कहा कि मनोवैज्ञानिक रोगों में तनाव प्रबंधन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। संयमित जीवनशैली, नियमित व्यायाम, योग, ध्यान और स्वस्थ आहार से तनाव को कम करने में मदद मिलती है। इसके साथ ही सामाजिक समर्थन, परिवार और मित्रों का साथ भी तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण होता है। समय और काम को सही ढंग से प्रबंधित करना भी तनाव को कम करने में मदद करता है। इन सभी उपायों के संयोजन से मनोवैज्ञानिक रोगों के लक्षणों को कम किया जा सकता है। अच्छे संबंधों के विकास के लिए भी तनावमुक्त, प्रसन्न व स्वस्थ दिमाग होना जरुरी है। 
पेसिफिक ग्रुप ऑफ एजुकेशन के सी.ई.ओ. शरद कोठारी के अनुसार कॉन्फ्रेंस के दौरान विद्यार्थियों ने विभिन्न विदेशी संस्थानों के प्रतिनिघियों से मिलकर अंतर संकाय परिचर्चाएं की। विभिन्न एंटीबायोटिकस पर किए गए समसामयिक शोध कार्यों पर सार्थक चर्चा हुई। इसके साथ ही न्यूरो केमिस्ट्री में आधुनिक शोध एवं नवाचार पर विचार गोष्ठी हुई। कोविड के उपरांत इम्यून सिस्टम में हुए परिवर्तनों पर हुए प्रजेंन्टेशन ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। शरद कोठारी ने बताया कि अग्गेउमगलहेस संस्थान ब्राजील तथा पेसिफिक वि.वि. के बीच अकादमिक सहयोग के लिए लेटर ऑफ इंटेट पर हस्ताक्षर किये गए। इसी क्रम में अगली कॉन्फ्रेंस ब्राजील में होगी।
कॉन्फ्रेंस के अंतिम दिन 50 ओरल प्रेजेंटेशंस विभिन्न विषेषज्ञों तथा शोधार्थियों द्वारा दिए गए। पेसिफिक युनिवर्सिटी के डॉ. विरेन्द्र गोयल ने बताया कि कीटो आहार एक विशेष प्रकार का आहार है जिसमें कार्बाहाइड्रेट्स की मात्रा को कम किया जाता है और अधिक मात्रा में प्रोटीन और अच्छे वसा का सेवन किया जाता है। यह आहार विशेषतः वजन घटाने के लिए उपयोगी है लेकिन, इस आहार के कई दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं जैसे कि मूड स्विंग्स, आक्षेप, थकान और नकारात्मक स्वभाव इसलिए, इसे अच्छी तरह से समझकर और विशेषज्ञ की सलाह लेकर ही अपनाया जाना चाहिए।
ग्रेटर नोएडा की सोनिया वर्मा ने थॉयराइड हार्मान को नियंत्रण में रखने के प्रभावी उपचारों पर चर्चा की साथ ही उन्होंने एंडोक्राइन संतुलन के बारे में विस्तार पूर्वक समझाया तथा उसके आंकलन के तरीकों को वैज्ञानिक सटीकता के साथ मापन के तरीके बताएं।
हंसराज कॉलेज डीयु की मोनिका कुमारी ने पाइथोकेमिकल्स पर प्रेजेंटेशन देते हुए बताया कि ये केमिकल्स पौधों में पाए जाते हैं जो कि अपने संरक्षणात्मक गुणों के कारण महत्वपूर्ण होते हैं। उनके शोध अनुसार कुछ पाइथोकेमिकल्स ब्रैस्ट कैंसर के इलाज में सहायक होने की संभावना है। ये केमिकल्स कैंसर को रोकने और उसके विकास को धीमा करने में मदद कर सकते हैं। इस तरह की तकनीकी जानकारी को विस्तार से अध्ययन करके, ब्रैस्ट कैंसर के ईलाज में बड़ी सफलता मिल सकती हैं।
मिरांडा हॉउस इंस्टिट्यूट की हिमांशी शर्मा और जया कुमारी ने बायोमिमिक्री पर बेहद प्रभावी और सूचनाप्रद व्याख्यान दिया। बायोमिमिक्री द्वारा प्राकृतिक प्रणालियों से इस प्रकार के समाधान तैयार कर सकते हैं जो विनिमयशील और सामर्थ्यवान हो और पृथ्वी के संतुलन को भी सुरक्षित रखने में मदद करे।
कुमायूं यूनिवर्सिटी नैनीताल के संतोष ने हिमालयी जड़ी-बूटियों की जैव विविधता और उसका एंटीकैंसर एजेंट के रूप में उपयोग बताया। हिमालयी क्षेत्र में पाए जाने वाले कुछ पौधों में ऐसे तत्व होते हैं जो कैंसर के खिलाफ लड़ने में मदद कर सकते हैं। इन पौधों की जड़ों, पत्तियों और फूलों से एंटीकैंसर एजेंट्स को प्राप्त किया जा सकता है और इसका वैज्ञानिक अध्ययन अभी किया जा रहा है। इसका व्यापक अध्ययन और उपयोग मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयुक्त है।
कॉन्फ्रेंस के समापन समारोह में मुख्य अतिथि रक्षा मंत्रालय के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. सतीष रेड्डी ने सभी वैज्ञानिकों, फार्मासिस्ट, चिकित्सकों, केमिस्ट, बायोलॉजिस्ट और शोधकर्ताओं का उत्साहवर्धन करते हुए उन्हें निरंतर शोध के लिए प्रोत्साहित किया तथा इसे जनकल्याण के लिए आवश्यक बताया। आज कई नई-नई बीमारियों की खोज हो रही है ऐसे में नवीन दवाइयां एवं उपचारों की भी आवश्यकता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। विज्ञान के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं जिन्हें खोजते हुए कई जनहितकारी मेडिसिन और मेडिकल ट्रीटमेंट का विकास बुद्धिजीवियों द्वारा किया जा सकता है। यह कॉन्फ्रेंस इस दिशा में उठाया गया सार्थक कदम है।
कन्वीनर डॉ.बृजेश राठी ने कॉन्फ्रेंस की संक्षिप्त रिपोर्ट पेश की। पेसिफिक यूनिवर्सिटी के डीन पीजी स्टडीज प्रो. हेमंत कोठारी ने कॉन्फ्रेंस के मुख्य सुझावों को स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्रालय को भी भेजना के बारे में कहा। कॉन्फ्रेंस में पेपर प्रेजेंटेशन के लिए स्नातक, स्नातकोत्तर तथा पी.एच.डी. स्तर पर अचीवमेंट र्स्टीफिकेट दिये गए। इसी प्रकार बेहतरीन पोस्टर प्रदर्शन के लिए भी स्नातक, स्नातकोत्तर तथा पी.एच.डी. स्तर पर अचीवमेंट र्स्टीफिकेट दिये गए। 
पेसिफिक के फैकल्टी ऑफ साइंस के डीन प्रोफेसर रामेश्वर आमेटा ने दूषित पानी के ट्रीटमेंट में नैनो स्ट्रक्चर मोडिफाइड ग्राफिक कार्बन नाइट्रेट के प्रयोग पर चर्चा की जिससे कि घरेलू और औद्योगिक वॉटर वेस्ट को सहजता से कम खर्चे में साफ किया जा सकता है जो कि पर्यावरण संरक्षण में बेहद सहायक रहेगा। वहीं दूसरी ओर पेसिफिक वि.वि. के डॉ. पारस टांक ने ग्रीन अप्रोच के माध्यम से बिना किसी रासायनिक द्रव्यों के इस्तेमाल करते हुए ग्राउंडवाटर से अधिक फ्लोराइड हटाने की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला जो की पहाड़ी क्षेत्र के लिए विशेष रूप से लाभकारी है। 
सेंट्रल यूनिवर्सिटी गुजरात के अंकुश गुप्ता, आईसीएमआर के चेंगिंग तोपे, भुवन दीक्षित ने नैनो टेक्नोलॉजी तथा विज्ञान में इसके प्रयोग पर चर्चा की। 
आरटिमिस हॉस्पिटल गुरुग्राम के डॉ. अभिषेक चंद्र गुप्ता ने बताया कि फैटी लिवर रोग विज्ञान के अनुसार एक स्वास्थ्य समस्या है जो कि यकृत में वसा का अधिशेष जमा होने से होती है। यह रोग अनियमित लाइफस्टाइल, अधिक तेलीय खाना खाने, नियमित व्यायाम की कमी और मोटापे के कारण हो सकता है। 
उल्लेखनीय है कि पेसिफिक यूनिवर्सिटी उदयपुर, हंसराज कॉलेज नई दिल्ली, हेटरोकेम इनोटेक प्रा. लिमिटेड, मेयो क्लिनिक अमेरिका, पेसिफिक मेडिकल यूनिवर्सिटी, जेएनयू और यूनिवर्सिटी ऑफ़ डिब्रिसेन हंगरी द्वारा संयुक्त रूप से यह कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई जिसका लाभ देश विदेश से आए 800 विद्यार्थियों और शिक्षाविदों ने उठाया।


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