मानव एवं पशु स्वास्थ्य को ध्यान में रख भविष्य की खेती का आह्वान

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Published on : 08 Mar, 24 04:03

खाद्य आपूर्ति हीं नहीं पोषण व स्वास्थ्य सुरक्षा का जिम्मा भी कृषि में निहित: डाॅ. संजय

मानव एवं पशु स्वास्थ्य को ध्यान में रख भविष्य की खेती का आह्वान

उदयपुर । बदलती दुनिया के लिए कृषि पर पुनर्विचार विषयक सेमिनार का समापन समारोह के मुख्य अतिथी डॉ. संजय कुमार, चेयरमैन, कृषि वैज्ञानिक चयन मण्डल, नई दिल्ली ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारी कृषि की गति प्रकृति के विकास की गति से कही ज्यादा है। हमारी कृषि सिर्फ 1200 साल पुरानी है और आज हम विकास के इस दौर मेें 329.69 मिलीयन टन अन्न एवं 230.6 मिलीयन टन दुग्ध उत्पादन कर रहें है। मगर दुसरी ओर छोटे व सीमांत किसान आज भी मौसम की अस्थिरता, जलवायु परिर्वतन, मृदा क्षरण, संसाधनो की कमी और बाजार की अस्थिरता की मार खा रहे है इस वजह से कृषि की जो समय के साथ प्रगति होनी चाहिए वो नहीं हो पा रही है। किसानों को स्मार्ट कृषि की ओर ले जाना होगा। उनकी कार्य कुशलता में वृद्धि करनी होगी, कृषि रोजगारों का सृजन करना होगा एवं मुल्य संर्वधन को खाद्य सुरक्षा से पोषण एवं स्वास्थ्य सुरक्षा की ओर अग्रसर करना अति आवश्यक है। क्योंकि भारत देश में 80 से 90 प्रतिशत लोग विटामिन बी-12, विटामिन डी, जिंक एवं कोपर जैसे महत्वपूर्ण माइक्रोन्यूट्रिएन्ट्स की कमी से जुझ रहे है। और पशुओं को पोषक चारा उपलब्ध नहीं है अतः भविष्य की कृषि मानव स्वास्थ्य एवं पशु स्वास्थ्य पर आधारित होगी।
अध्यक्षता करते हुए डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद सेन्ट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (आरपीसीएयू) समस्तीपुर, बिहार के चांसलर डाॅ. पी.एल. गौतम ने कहा कि युवाओं का खेती के ओर रुझान कम होता जा रहा है इसलिए कृषि शिक्षा को और रोचक बनाना होगा ताकि ज्ञान वंर्धन ज्यादा हो। कृषि वैज्ञानिक को थिंक टैंक से ऐसा ज्ञान निकालना होगा ताकि दूसरे कुएं भर जाएं।

विशिष्ट अतिथि एमपीयूएटी के कुलपति डॉ. अजित कुमार कर्नाटक ने कहा कि 1960 में भोजन की जो कमी थी उससे हमारा राष्ट्र अधिशेष में बदल गया। हमने कई क्रांतियां देखी। हम खाद्य से पोषण सुरक्षा में बदल गए हैं। आज भारत विश्व के सबसे बड़े कृषि उत्पादकों में से एक हैं। शीर्ष के उन 5 देशों में शामिल है जो कृषि विपणन करते हैं। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, विस्तार, प्रसार से हमारा देश परिपूर्ण है।
शेर ए कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पूर्व कुलपति जम्मू एवं अध्यक्ष मोबिलाइजेशन डाॅ. जे.पी. शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में सेमिनार आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त किया। और कहा कि कृषि की प्रगति के लिए पुर्ण विचार की जरूरत है। जो पिछले तीन दिनों से देश-विदेश के 300 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने मथंन किया। और बताया कि भूमि की समस्या आई है, उसकी उत्पादन क्षमता घट गई है। पश्चिमी देशों में कार्बन क्रेडिट की खेती हो रही है जबकि इस क्षेत्र में हम अभी पिछड़े हुए है।
डाॅ. आर.आर. बर्मन, सहायक महानिदेशक, कृषि प्रसार, आई.सी.आर. नई दिल्ली  ने तीन दिवसीय सेमिनार की प्रोसिडिंग्स पड़ी एवं पांचों सत्रों में शोध पत्रों के आधार पर तैयार की गई सिफारिशों को सदन के समक्ष प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के आरंभ में अनुसंधान निदेशक डॉ. अरविंद वर्मा ने शब्दों से अतिथियों का स्वागत किया। आयोजन सचिव डॉ. धृति सोलंकी ने आभार व्यक्त किया।
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा डाॅ. संजय कुमार को
सोसायटी की ओर से लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड कृषि वैज्ञानिक चयन मण्डल, नई दिल्ली के चैयरमेन डॉ. संजय कुमार को प्रदान किया गया। कृषि के क्षेत्र में नवीन कार्बन स्थिरीकरण मार्ग की खोज और एक विषम प्रणाली में इसका प्रत्यारोपण जैसे उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया गया।
कृषि वैज्ञानिकों, प्रगतिशील किसानों व उद्यमियों सहित शोधार्थियों का सम्मान
फेलोशिप अवार्ड डाॅ. धृति सोलंकि, डाॅ. सूर्या राठौड, डाॅ. प्रकाश पवांर विभिन्न सत्रों में शोध पत्र एवं पोस्टर पड़ने वाले छात्र आदर्श गोपाल कृष्ण, विनायक प्रसाद, सिमरन पुडिंर, कुसुम शर्मा, निकिता वधावन, दिपिक दुबे, सुख श्री साहु, सुर्यकान्ता राॅय, प्रतिभा जोशी, के.सी. शिनोगी एवं विशाल दाधीच आदि का सम्मान किया गया। कृषि उद्यमिता में पराशर समुह को नवाजा गया।  


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