अच्छी उपज को अच्छे मुनाफे में बदलना ही भविष्य की कृषि

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Published on : 06 Mar, 24 15:03

राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन शोध-पत्रों का वाचन एवं खुली चर्चा

अच्छी उपज को अच्छे मुनाफे में बदलना ही भविष्य की कृषि

उदयपुर,बदलती दुनिया में कृ्षि पर पुर्नविचार विषयक पर राष्ट्रीय सेमीनार के दुसरे दिन बुधवार को कृषि वैज्ञानिको, कृषिविद् एवं कृषि के महारथियो ने विभिन्न शोध-पत्र पढे जिनका सार अच्छी उपज को अच्छे मुनाफे में बदलना ही भविष्य की कृषि माना गया। क्योकी आगामी ढाई-तीन दशक में कृषि उत्पादन को दुगना करने पर ही आम आदमी का पेट भर पाएगा।
आज बुधवार को राजस्थान कृषि महाविद्यालय सभागार में डाॅ. अमित गोस्वामी, डाॅ. मुक्ता अग्रवाल, डाॅ. आर. के. शर्मा, डाॅ. दीपल राॅय चैधरी ने स्मार्ट खेती प्रौद्योगिकी, जलवायु स्मार्ट कृषि तकनीकियों, कृषि पारिस्थितिकी तंत्र, सतत् संसाधन प्रबधंन, नीली अर्थव्यवस्था, डेयरी व्यवस्था, पोषण सुरक्षा, प्रसार क्षेत्रों में स्मार्ट सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, प्रसार कार्यकर्ताओं को नई तकनीक के लिए तैयार करने, मल्टीमीडिया आधारित प्रसार जैसे विषयों पर शोध-पत्रों का वाचन एवं खुली चर्चाएं की गई।
पंकज कुमार मेघवाल ने स्मार्ट टेक्नोलोजी के उपयोग कृषि निर्णयों में सहयोग के बारे में बताया। डाॅ. भट्ट ने कृषि टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए सुझाव दिये। वहीं प्रिया वशिष्ठ ने उत्तर प्रदेश मे महिला कृषि उद्यमिता की स्थिति एवं उन्हें दिये जाने वाले प्रोत्साहनों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर प्रीति यादव ने कृषि विरासत को संजोने की बात की। साथ ही निलेश शर्मा ने पशुधन आधारित खेती को भरोसेमंद बताया।
नफीस अहमद ने स्वस्थ प्रसंस्कृत, अनाज आधारित खाद्य प्रदार्थ, समन्वित कृषि प्रणाली द्वारा टिकाउ कृषि माॅडल पर शोध पत्र पढ़ा। प्रीति सिंह व जसवीर सिंह ने मशरूम उत्पादन एवं किसानों का आर्थिक-समाजिक विश्लेषण का रेखांकित किया।
इससे पूर्व सोसायटी मोबलाईजेशन के अध्यक्ष एवं शेर-ए-कश्मीर विश्वविद्यालय, जम्मू के पूर्व कुलपति डाॅ. जेपी शर्मा ने जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक खेती, उत्पादन, मूल सवंर्धित उत्पाद एवं पोषण पर प्रकाश डाला। उन्होंने जम्मू से कन्याकुमारी एवं राजस्थान से असम तक खेती, प्रसंस्कृत उत्पाद और कृषि को कृषि व्यवसाय से जोड़ने का आव्हान किया। उन्होंने किसानों की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों को आर्थिक उन्नति से ज्यादा आत्मसम्मान की जरूरत है ताकि व अपने व्यवसाय से दूर नहीं भागें। उन्होंने कहा कि कृषि को फिर से एक नई क्रांति की जरूरत है और देश के युवाओं द्वारा कृषि क्रांति का आधार भी तैयार हो चुका है। आज का पढ़ा लिखा युवा फूड प्रोसेसिंग, वेल्यू एडिशन, टेक्नोलाॅजी और मार्केटिंग को भली-भांति जानता है। गांव में ही प्रोसेसिंग हो, पैकेजिंग हो और वहीं से सीधे बाजार तक सामान पहुंचे तो युवाओं को खेती-किसानी से कोई परहेज नहीं होगा। आजकल तो कई युवा किसान ऐसे हैं जिनका अंतरराष्ट्रीय बाजार में लिंक स्थापित है और वे अच्छा खासा मुनाफा कमा रहें हैं।
राष्ट्रीय सेमिनार का समापन दिनांक 07.03.2024 प्रातः 11.30 राजस्थान कृषि महाविद्यालय सभागार में होगा।

कृषक वैज्ञानिक संवाद

कृषि जगत मंेे नामचीन वैज्ञानिक, पूर्व कुलपति शेर-ए-कश्मीर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जम्मू एवं मोबिलाईजेशन सोसाइटी अध्यक्ष डाॅ. जे. पी. शर्मा, डाॅ. सुमति शर्मा एवं डाॅ. आर. आर. बर्मन द्वारा किसानों के साथ वार्तालाप किया गया।
सभी किसान भाई एमपीयूएटी कार्य क्षेत्र के गोदित गांव मदार के किसानों द्वारा बताई गई समस्याओं का समाधान वैज्ञानिकों ने किया। अंत में कृषक भाई ने कृषकों की दशा पर कविता के माध्यम से प्रकाश डाला।
चैमासा माथा पे बरसे, पड़े बिजलियां कुण जाणें
सियाला री ठण्डी रातां सिया मरा पर कुण जाणें
किसानां रो राम रखवालों दुखड़ो टालियों ना ये टले
बिजली महंगी डीजल महंगो देखी दशा किसानां की
बदन तोड़ कर करी कमाई हो गई राख मसाना की


साभार :


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