राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कार्यक्रम में प्रो. सिंह का हुआ भव्य स्वागत

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Published on : 24 Feb, 24 06:02

राज. प्रदेश बने उच्च शिक्षा का वैश्विक गंतव्य, उच्च शिक्षा में सुदृढ़ दीर्घकालिक नीतियों के निर्माण की आवश्यकता : प्रो.अमेरिका सिंह पूर्व कुलपति

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कार्यक्रम में प्रो. सिंह का हुआ भव्य स्वागत

जयपुर, निम्स विश्वविद्यालय जयपुर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए गुणवत्ता समर्थन और वृद्धि पर तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। जिसमे देश विभिन्न क्षेत्रो से आए शिक्षविदो एवं उच्च शिक्षा के हितधारकों ने सहभागिता निभाई। इस अवसर पर मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर अमेरिका सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण पहलूओ पर विभिन्न शिक्षाविदों के साथ महत्वपूर्ण चर्चा की। इस अवसर पर प्रोफेसर सिंह का उच्च शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान एवं पूर्व कुलपति के रूप में प्रदेश में किए गए उच्च शिक्षा में सराहनीय कार्य, नवाचार हेतु निम्स के वीसी डॉ संदीप मिश्रा ने उनका सम्मान भी किया गया।

इस दौरान प्रो सिंह ने राज्यपाल श्री कलराज मिश्र द्वारा लिखित पुस्तक निमित्त मात्र हुं की प्रति
गोधरा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर प्रताप सिंह चौहान एवं पूर्व राज्य मंत्री श्री जगदीश राज्य श्रीमाली को भेंट की। उन्होंने कहा कि निमित्त मात्र हूॅ मैं यह पुस्तक श्री मिश्र के बहुआयामी व्यक्तित्व तथा कार्यों की झलक है। उनका व्यक्तित्व ज्ञान, कर्मठता और मर्यादा का सुन्दर समन्वय है। उन्होंने सदैव राष्ट्रवादी विचारधारा का अनुसरण कर समाज के सम्मुख एक आदर्श प्रस्तुत किया है। उनकी संवेदनशीलता तथा उनके सहज व्यवहार ने उन्हें संपूर्ण राष्ट्र में अत्यंत लोकप्रिय एवं आदरणीय बनाया है। प्रो. प्रताप सिंह चौहान वीसी, गोधरा यूनिवर्सिटी गुजरात,प्रो.  जी के आसेरी प्रो वीसी और आईक्यूएसी प्रमुख, एमिटी यूनिवर्सिटी जयपुर, डॉ. एस श्रीनिवास प्रोफेसर तुमकुर विश्वविद्यालय एवं पूर्व उप सलाहकार मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद, प्रोफेसर संदीप मिश्रा वीसी निम्स यूनिवर्सिटी राजस्थान जयपुर, डॉ. सुनील शर्मा प्रो वीसी निम्स यूनिवर्सिटी राजस्थान जयपुर, डॉ.संदीप त्रिपाठी रजिस्ट्रार निम्स यूनिवर्सिटी राजस्थान भी उपस्थित थे।

प्रो अमेरिका सिंह ने कहा की दुनिया में सबसे बड़ी शिक्षा प्रणालियों में से एक होने के साथ भारत की उच्च उच्च शिक्षा प्रणाली अभूतपूर्व परिवर्तनों का सामना कर रही है। शिक्षा का परिदृश्य एक रोमांचक दौर से गुजर रहा है। ऐसे में हमें शैक्षिक और सांस्कृतिक साख को निर्धारित करना होंगा। आज देश में अच्छी गुणवत्ता और वैश्विक साख वाले उच्च शैक्षिक संस्थानों की कमी के कारण युवा विद्यार्थी और प्रतिभा पलायन हो रहा हैं। हमे विद्यार्थियों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कौशल, अनुसन्धान और उद्यमिता के उन्नयन के पहलुओं से अवगत करवाना होगा जिससे विद्यार्थी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अंगीकार करने की मूल भावना से स्वयं को जोड़ सके तथा इसकी मूल भावना को सार्थक बनाने एवम राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका का निर्वहन सुव्यवस्थित ढंग से कर सके।

पूर्व राज्य मंत्री श्री जगदीश राज श्रीमाली ने कहा कि नई शिक्षा नीति नया भारत बनाने की दिशा में उच्च शिक्षण संस्थानों को उनकी भूमिका फिर से परिभाषित करने की स्वतंत्रता देगी। भारत ने हमेशा से ज्ञान का सही उपयोग किया है। उससे दुनिया को लाभान्वित किया है। राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में उच्च शिक्षा अहम भूमिका निभाती है। भारत में शिक्षा की पुरानी परंपरा रही है। जिसने भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित किया है।शिक्षा राष्ट्रीय स्वरूप व परिवेश के अनुकूल होनी चाहिए। व्यापक विचार -विमर्श के बाद नई शिक्षा नीति लागू की गई है। इसमें भाषा, सभ्यता, संस्कृति, सामाजिक मूल्यों को समुचित स्थान व महत्व मिला है।


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