साहित्य उत्सव साहित्यिक विधाओं का अद्भुत, अतुल्य समागम -  डॉ.कृष्णा कुमारी

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Published on : 22 Feb, 24 04:02

डॉ.प्रभात कुमार सिंघल, कोटा

साहित्य उत्सव साहित्यिक विधाओं का अद्भुत, अतुल्य समागम -  डॉ.कृष्णा कुमारी

कोटा  राजकीय सर्वजनिक पुस्तकाल में  पाँच दिवसीय लिट्रेचर फेस्टिवल और पुस्तक मेले का भव्य,गरिमापूर्ण,आकर्षक आयोजन साहित्य, कला, संस्कृति  संगीत, आदि सभी  दृष्टियों से अत्यंत सार्थक, उपयोगी रहा । संस्कृति, कला, साहित्य, पुरातत्त्व, संगीत, टिकट संग्रह,, बाल साहित्य का अद्भुत अतुल्य समागम रहा।  
      यह विचार व्यक्त करते हुए साहित्यकार डॉ. कृष्णा कुमारी ने कहा कि पुस्तक प्रदर्शनी  लाजवाब रही, आकर्षण का केंद्र रही. कई पुस्तकों का पुस्तक  -प्रेमियों ने क्रय किया. हजारों बच्चों, किशोरों, साहित्यकारों, जन सामान्य द्वारा पुस्तकों का अवलोकन करने से उन्होंने किताबों की महत्ता को समझा और पुस्तकों, बाल साहित्य से जुड़े.
      उन्होंने बताया कि एक सत्र के समय बच्चों से हॉल भरा हुआ था, मंच खाली था, सो मैंने कुछ बालगीत सुना दिए, बच्चों को इतने पसंद आये कि नीचे जाते समय कहा कि मैम हमारे स्कूल में आकर और कहानी सुनाइएगा.  मैंने समझाया कि बच्चों यह कविता व गीत हैं. कहानी वो होती है जैसे- प्यासे कौवे की , दोनों में अंतर बताया. यह उपलब्धि भी समारोह की बड़ी है.
     डॉ.कृष्णा ने बताया कि अनेकानेक साहित्यकारों को मंच मिलने से उन्हें सब से रूबरू होने का, अपनी बात कहने का सुअवसर मिला,मिडिया के  प्रयास और प्रचार  से जन सामान्य भी पुस्तकों व साहित्य से जुड़ सके. जन जन तक रचनाकारों को सुना, समझा, पढ़ा, इस प्रकार उनकी भी भागीदारी हुई. शहर में पुस्तकों , साहित्य, कला, इतिहास, संगीत का वातावरण निर्मित हुआ. और भी बहुत कुछ सीखने, समझने, अनुभूति करने, का सुयोग बना। 
      उन्होंने कहा कि यह सब सम्भव हुआ पुस्तकालय के अध्यक्ष डॉ दीपक कुमार श्रीवास्तव, सह अध्यक्षा डॉ शशि जैन एवं समस्त स्टॉफ तथा इस आयोजन से जुड़े हर व्यक्ति के अथक प्रयास, रात दिन की मेहनत, दीपक जी की दूरदृष्टि, नवाचार करने का जूनून, साधना से. ऐसे आयोजन भविष्य में होते रहने चाहिए ।
साहित्य उत्सव का हुआ, यहाँ प्रथम आगाज.
पुस्तक प्रदर्शन देख कर, हर्षित हुआ समाज.


साभार :


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