बीएन संस्थान में हर्षोल्लास से मनाया गया बसंत पंचमी पर्व 

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Published on : 14 Feb, 24 11:02

बीएन संस्थान में हर्षोल्लास से मनाया गया बसंत पंचमी पर्व 

उदयपुर  : भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के संघटक भूपाल नोबल्स स्नातकोत्तर महाविद्यालय के अंतर्गत संचालित हिंदी विभाग में ज्ञान दायिनी मां सरस्वती के प्रादुर्भाव दिवस बसंत पंचमी सहित निराला जयंती उल्लास पूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर संबोधित करते हुए अधिष्ठाता डॉ. रेणू राठौड़ ने कहा कि बसंत की पंचमी तिथि एवं ऋतुराज बसंत का का पीले रंग से गहरा संबंध है। पीला रंग दिमाग को सक्रिय रखने के साथ ही मानसिक अवसाद को दूर करता है जिसके फलस्वरूप मस्तिष्क में उठने वाली तरंगे खुशी का एहसास कराती है। सहायक आचार्य डॉ. चंद्र रेखा शर्मा ने पौराणिक आख्यानों के माध्यम से मां सरस्वती का पृथ्वी पर आविर्भाव किस प्रकार हुआ, इस पर प्रकाश डालते हुए छायावादी विख्यात कवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर अपने विचार प्रस्तुत किए। इस अवसर पर सह अधिष्ठाता डॉ. रितु तोमर एवं डॉ. संगीता राठौड़ भी उपस्थित रहे। उपस्थित विद्यार्थियों में से ईश्वर औदिच्य ने रामधारी सिंह दिनकर की कविता एवं राजेंद्र सिंह ने नागार्जुन की कविता एवं बसंत पंचमी के महत्व पर अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए।
भूपाल नोबल्स पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों ने भी बसंत पंचमी उत्सव हर्षोल्लास से मनाया। प्राचार्या डॉ. सीमा नरुका ने बताया कि विद्यालय में सर्वप्रथम माँ सरस्वती की माल्यार्पण कर सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का आगाज़ किया गया। प्री-प्राइमरी कक्षाओं के बच्चे पीले रंग के वस्त्रों में आये और पीले रंग के खाद्य पदार्थ टिफिन में लेकर आये और कविता पाठ , श्लोक पाठ, इत्यादि प्रस्तुतियां दी गयी। बसंत पंचमी का महत्व बताया गया। संस्थान के कार्यवाहक अध्यक्ष कर्नल प्रो एस एस सारंगदेवोत, मंत्री डॉ महेंद्र सिंह आगरिया और प्रबंध निदेशक श्री मोहब्बत सिंह राठौड़ ने इस अवसर पर सबको बधाईया देते हुए सन्देश में कहा की इस दिन का उद्देश्य, सृष्टि में नव चेतना और नव निर्माण के कारण हुए आनंद को व्यक्त करना और आनंदित होना है।वसंत ऋतु में वृक्षों में नए पल्लव आते हैं। प्रकृति के इस बदलते स्वरूप के कारण मनुष्य उत्साही और प्रसन्नचित्त हो जाता है। वसंत पंचमी माघ माह की शुक्ल पंचमी के दिन मनाई जाती है। अमित तेजस्विनी और अनंत गुण शालिनी देवी सरस्वती का जन्म वसंत पंचमी को हुआ था, इसलिए उस दिन उनकी पूजा की जाती है, और इस दिन को लक्ष्मी जी का जन्मदिन भी माना जाता है; इसलिए इस तिथि को 'श्री पंचमी' भी कहा जाता है।वसंत पंचमी पर, वाणी की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की पूजा और प्रार्थना का बहुत महत्व है। ब्राह्मण शास्त्रों के अनुसार, वाग्देवी सरस्वती ब्रह्मस्वरूप, कामधेनु और सभी देवताओं की प्रतिनिधि हैं। वह विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी हैं।  


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