4898 युधिष्ठर संवत् का महत्वपूर्ण अभिलेख जैसलमेर में हनुमान चौराहे के राम मंदिर परिसर के हनुमान मंदिर की दीवार पर लगा है।
यह अभिलेख 226 वर्ष पहले विक्रम संवत् 1854, शक संवत् 1719 में जैसलमेर के महारावल मूलराज भाटी शासक के समय का है।
जैसलमेर के वासियों को गौरवान्वित करने वाला और चौकाने वाला है।
जैसलमेर के एक शिक्षक/इतिहासकार तथा डेजर्ट कल्चर सेन्टर (संग्रहालय) के संस्थापक नन्दकिशोर जी शर्मा ने यह अभिलेख खोजा है।
शर्मा में बताया कि इस शिलालेख में लिखा है कि यह युधिष्ठर के सिंहासन पर विराजने के समय का है। शर्मा ने बताया कि चन्द्रवंशियों की यादव शाखा की शाखा शौरसेनी महाराज गज ने गजनी बसाई थी। यह लोग युधिष्ठर संवत् से समय व्यवस्था कालगणना करते थे। इसका साक्ष्य यह दोहा है-
तिन शत अठ शक धर्म विशाखे सित तिन।
रवि रोहण गज वाहुने गजनी रची नवीन।।
(’जैसलमेर का इतिहास’ पं. हरिदŸा जी व्यास, ’तवारीख’ लक्ष्मीचन्द जी सेवक)
3008 के 36 वर्ष बाद 3044 में इसे कलयुगी संवत् भी कहा जाने लगा। लेकिन जैसलमेर के रावल शासक भाटी युधिष्ठर संवत् ही स्मारकों में अंकित करते थे।