हमें भले ही भूल जाना, पर हमारी बातों को कभी मत भूलना - संत श्री चन्द्रप्रभ जी

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Published on : 11 Dec, 23 10:12

उदयपुर आज से हमारा पीहर रहेगा, यहां आने का मौका हम तलाशते रहेंगे - संत श्री ललित प्रभ जी

हमें भले ही भूल जाना, पर हमारी बातों को कभी मत भूलना - संत श्री चन्द्रप्रभ जी

उदयपुर। रविवार को टाउन हॉल के सुखाड़िया रंग मंच में राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ जी महाराज, राष्ट्र संत श्री चन्द्रप्रभ श्री जी महाराज और डॉ मुनि श्री शांतिप्रिय सागर जी महाराज के पॉजिटिव और पावरफुल चातुर्मास की पूर्णाहुति पर अंतिम कार्यक्रम के रूप में आभार अभिनंदन और विदाई समारोह का आयोजन हुआ जिसमें इतनी बड़ी तादात में श्रद्धालु पहुंचे कि रंगमंच छोटा नजर आया। रंगमंच का कोना-कोना खचाखच था और यहां तक की टाउन हॉल के बाहर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
याद रहेगा उदयपुर याद रखेगा उदयपुर विषय पर अपना अंतिम संबोधन देते हुए संत श्री चंद्रप्रभ जी ने कहा कि उदयपुर के श्रद्धालुओं ने हमें इतना प्यार दिया कि यह चातुर्मास न केवल मेवाड़ में वरन पूरे देश भर में चर्चित रहा। हमें ऐसा लगता है कि अगर हम यहां पर 5 महीने और रहें तो भी ना हम तृप्त होंगे ना यहां के लोग हमसे तृप्त होंगे। हमने यहां सरोवर और सरोवर बनकर हर भाई बहन की प्यास बुझाने का काम किया है। हमारी एक ही भावना रही कि हमें यहां से लेना कम और देना ज्यादा है। हमको इस दुनिया में अपनी औकात से ज्यादा करके जाना चाहिए इसी में जीवन की सार्थकता है। यह सच है कि हम पूरी दुनिया को सुधार नहीं सकते हैं पर हम जहां रहते हैं हमें वहां के वातावरण को अवश्य सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। हम सूरज बनकर पूरी दुनिया का अंधेरा दूर नहीं कर सकते पर दीपक बनकर आसपास अंधेरा अवश्य दूर कर सकते हैं। हमें अपने जीवन में दो सूत्र अवश्य जोड़ने चाहिए - एक्सीलेंट और एंजॉय‌। हम जो भी करें कमाल का करें और जहां भी रहें आनंद में रहें।
संत प्रवर ने कहा कि हम अपने आप को फिट बनाएं। अगर हम फिट होंगे तो हमारा भारत भी फिट होगा बीमार व्यक्ति दुनिया के लिए अभिशाप है और स्वस्थ व्यक्ति दुनिया के लिए वरदान। हमें रोज सुबह 4 किलोमीटर अवश्य चलना चाहिए, भोजन में सलाद और फल का पूर्ण उपयोग करना चाहिए तो हमें कभी ऑपरेशन करवाने की नौबत नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि हम बच्चों को कार देने की बजाय संस्कार देने की कोशिश करें। बच्चों को घर का गमला बनाने की बजाय जंगल का पौधा बनाएं ताकि वह अपने बलबूते खड़े रह सकें। उन्होंने कहा कि बच्चों को मंदिर अवश्य ले जाएं, सत्संग में जरूर भेजें ताकि वे उत्तम चरित्र के मालिक बन सकें और बुढ़ापे में आपका सहारा बन सकें। उन्होंने कहा कि गरीबी देश के लिए अभिशाप है हर व्यक्ति को अमीर बनना चाहिए।  संत प्रवर ने यह कहा कि आप हमें भले ही भूल जाना पर हमारी बातों को मत भूलना। जैसे गर्भवती महिला अपने गर्भ को संभाल कर चलती है वैसे ही हमारी बातों को आप संभाल कर जीने की कोशिश कीजिएगा। यह सुनकर लोगों की आंखें भीग गई। उन्होंने कहा कि उदयपुर वाले हमें जब भी याद करेंगे हम उदयपुर की सेवा करने के लिए जरूर आएंगे।

इस अवसर पर संत श्री ललित प्रभ जी ने कहा कि उदयपुर में जो कोई भी आता है उसका भाग्य उदय हो जाता है। जैसे भगवान महावीर ने राजगृह नगरी में 14 चातुर्मास किए थे हम भी उदयपुर में काम से कम 4 चातुर्मास अवश्य करेंगे। उदयपुर आज से हमारे लिए पीहर की तरह रहेगा और हम यहां पर आने का कोई न कोई बहाना ढूंढते रहेंगे। उन्होंने कहा कि चातुर्मास में 1000 से अधिक लोगों ने मांसाहार और शराब का त्याग किया जो कि हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।
इस अवसर पर शांति प्रिय सागर ने कहा कि आसमान से ऊंचा कोई नहीं, सागर से गहरा कोई नहीं, प्यार तो करते हैं सभी, पर उदयपुर वालों जैसा कोई प्यारा नहीं। चातुर्मास में प्रवेश से लेकर प्रस्थान तक श्रद्धालुओं ने जो श्रद्धा समर्पित की है उसे लगता है कि उदयपुर वालों में बहुत दम है वह किसी से भी नहीं कम है। उन्होंने कहा कि गुरुदेव ने आपको 5 महीने तक जो लगातार ज्ञान का रसपान कराया है अब आप उसे जीने की कोशिश करना। किसी में कभी कमी नजर आए तो पोस्टमार्टम मत करना केवल ऑपरेशन करना तो आपका और उसका दोनों का भला हो जाएगा। जैसे छलनी अपने पास कचरा इकट्ठा करती है और छाजला कचरे को फेंक देता है वैसे ही हम बुराइयों को फेंक कर और अच्छाइयों को इकट्ठा करते जाएं तो हमारा जीवन वरदान बन जाएगा। विदाई से पूर्व उदयपुर वालों को शुभकामना देते हुए उन्होंने कहा कि सूरज की हर किरण प्रकाश दे आपको, फूल की हर कली खुशबू दे आपको, परमात्मा से यही प्रार्थना करते हैं कि जीवन की हर खुशी मिले आपको।
इस अवसर पर चातुर्मास के सभी लाभार्थियों का अभिनंदन किया गया।
कार्यक्रम के अंत में सुख शांति और समृद्धि की अभिवृद्धि के लिए महा मंगलिक दी गई ।
इस अवसर पर जैन सोशल ग्रुप महिला विंग द्वारा भक्ति नृत्य प्रस्तुत किया गया और मधुर गायक पंकज भंडारी और वासू पूज्य महिला मंडल एवं खरतर गच्छ महिला मंडल ने विदाई भजनों की विशेष प्रस्तुति दी जिसे सुनकर श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गई।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण अध्यक्ष राज लोढ़ा ने दिया, विदाई भाषण चातुर्मास संयोजक हंसराज चौधरी, कालू लाल जैन और अनिल नाहर ने दिया। इस अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के प्रशांत अग्रवाल, प्रोफेसर ललिता मुरडिया, विनीता कोठारी, मीनू जैन, हेमलता जैन, मनीषा कोठारी ने भी अपने विचार रखें।
कार्यक्रम में विधायक ताराचंद जैन, कलेक्टर डॉक्टर पोसवाल, उप महापौर पारस जैन, पवन जैन, डीसी जैन, संयम लोढ़ा, विनोद संचेती, नितेश बाफना, रणवीर कोठारी, शीतल दलाल, राजीव दलाल, गोपाल जैन, कैलाश देवी जैन, रविंद्र पारख, पूजा पारख, रंजन करण पुरिया, अजय सिसोदिया, रश्मि परावत, राकेश मुंद्रड़ा, मंजू मुंद्रड़ा, प्रेम लबाना, मनीष सेठ, हेमलता महात्मा, बसंत धूपिया, कीर्ति कुमार जैन, पदम सोनी, शैलेश जैन, पवन जैन विशेष रूप से उपस्थित थे।


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